उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद मची तबाही से अब तक 19 लोग की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक लोग अभी भी लापता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF), वायुसेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और राज्य की पुलिस इकाई के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। लापता लोगों में अधिकतर जल विद्युत परियोजनाओं और डैम पर काम करने वाले मज़दूर हैं, जो नदी के रास्ते में आ गए थे। नदी के जल प्रवाह क्षेत्र में आने वाले गाँवों में अभी भी दहशत का माहौल है।
कल के हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है, वहीं 19 के शव अलग अलग स्थानों से बरामद किए गए है। शोक और दुःख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ है, कृपया सहयोग बनाए रखें। राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है। @Ashokkumarips pic.twitter.com/jOVa65M175
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 8, 2021
ग़ौरतलब है कि रविवार, सुबह 11 बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नंदा देवी ग्रुप ऑफ़ ग्लेशियर से एक हिस्सा फट गया था। इस वजह से धौली गंगा नदी का जल स्तर अचानक से बढ़ गया था और नदी के जल प्रवाह क्षेत्र में आने वाले इलाकों में बाढ़ और जलप्लावन जैसी भयानक स्थिति बन गई थी। इस नदी पर चल रही दो जल विद्युत परियोजनाओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। चमोली जिले के रेनी गांव के पास निर्माणाधीन एनटीपीसी लिमिटेड की ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना और तपोवन डैम और पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं, जबकि यहां पर काम करने वाले मज़दूरों को या तो जान गंवानी पड़ी हैं या वे अभी भी लापता हैं।
आईटीबीपी ने अभी तक तपोवन पावर प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे 12 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। इसके दूसरी सुरंग में अब भी करीब 30 लोगों के फंसे होने की आशंका है। सुरंग में फंसे लोगों के साथ-साथ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लगभग 100 मज़दूर अभी भी लापता हैं। वहीं स्थानीय रेनी गांव से भी 50 से अधिक लोगों के लापता होने की ख़बरें हैं।
हमारे जवान रात में भी बचाव कार्यों में लगे हैं। SDRF, सेना एवं ITBP के जवान आपदा से उपजे हालात पर लगातार नज़र बनाए रखे हुए हैं और सभी ज़रूरी एहतियात बरत रहे हैं । स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और बचाव कार्य अभी भी चल रहे हैं। #Uttarakhand pic.twitter.com/m0E8fyW3OK
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 7, 2021
दूसरी तरफ ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना पर करीब 35 लोग काम करते थे। इनमें से 30 अभी भी लापता हैं। आपको बता दें कि ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना का निर्माण पूरी तरह से हो चुका था और यहां पर बिजली का उत्पादन किया जा रहा था, जबकि तपोवन डैम और पावर प्रोजेक्ट का अभी निर्माण कार्य जारी था और वहां पर अधिकतर निर्माण मज़दूर ही कार्यरत थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार गृह मंत्रालय और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों लिए दो-दो लाख और गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 50-50 हजार रुपए का ऐलान किया है। जबकि उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपए के मुआवज़े की घोषणा की है। इसके अलावा आपदा प्रभावित गाँवों में राज्य सरकार की तरफ से राशन, बिस्किट और खाने की पैकेट जैसी बुनियादी मदद मुहैया कराई जा रही है।
आपदा प्रभावित गाँवों में राहत सामग्री पहुँचाई गई है #Uttarakhand pic.twitter.com/psJCfyc1oA
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 8, 2021
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि तपोवन पावर प्रोजेक्ट की छोटी सुरंग का रेस्क्यू कार्यक्रम लगभग खत्म हो चुका है, जबकि बड़ी सुरंग में काफी मलबा है इसलिए वहां रेस्क्यू ऑपरेशन में थोड़ा समय लग रहा है। आस-पास के गाँवों में भी राहत कार्य और सामग्री पहुँचाई जा रही है। उन्होंने लोगों से पैनिक ना करने की भी अपील की। वह खुद घटना-स्थल पर कल से मौजूद हैं और राहत-कार्यों की लगातार निगरानी कर रहे हैं।
कृपया panic न फैलाएं। राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर किये जा रहे हैं, उसमें प्रशासन का सहयोग करें।#Chamoli #UttarakhandPolice #RescueOperation @ANI @aajtak @PIB_India @ABPNews @News18India @DDNewslive @DIPR_UK @IPS_Association pic.twitter.com/m1S1EI3ZZt
— Ashok Kumar IPS (@Ashokkumarips) February 8, 2021
आपको बता दें कि उत्तराखंड के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में स्थानीय लोग हमेशा से पनबिजली परियोजनाओं और डैम निर्माण का विरोध करते आए हैं। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों के भी मुताबिक पर्यावरणीय दृष्टि से भी इन डैम का निर्माण उचित नहीं है। अक्टूबर 2013 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक निगरानी समिति की स्थापना की गई थी। इस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर बन रही 24 जल विद्युत परियोजनाएं पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं।
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