लखनऊ। कर्नाटक में चल रहे सियासी हंगामे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस संबंध में स्पीकर को निर्णय लेने की खूली छूट है। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी 18 जुलाई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना भी करेंगे। ऐसे में बागी विधायकों का सियासी भविष्य अब फिर से एक बार स्पीकर रमेश कुमार के हाथों में है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने फैसले में कहा कि स्पीकर को पूरी आजादी है कि वह नियमों के मुताबिक फैसला करे। स्पीकर विधायकों के इस्तीफे से लेकर उनके अयोग्यता तक पर फैसले लेने को स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि बागी विधायकों पर विधानसभा में जाने को लेकर कोई दबाव नहीं है।
Hearing on Karnataka rebel MLAs case in SC: Supreme Court in its order says, “the Karnataka Speaker cannot be forced to take a decision within a time frame.” pic.twitter.com/9cOT8eTL6f
— ANI (@ANI) July 17, 2019
येदियुरप्पा ने भी सरकार बनाने की कसी कमर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएस येदियुरप्पा ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि कुमारस्वामी को इस्तीफा दे ही देना चाहिए। उन्होंने कहा उन्हें पूरा विश्वास है कि बहुमत हमारे साथ होगा। येदियुरप्पा ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस-जेडीएस की ओर से जारी व्हिप लागू नहीं होगा। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर रमेश कुमार ने कहा है कि वह कानून कोई भी फैसला कानून तहत ही लेंगे।
Karnataka Speaker KR Ramesh Kumar: I will take a decision that in no way will go contrary to the Constitution, the Court and the Lokpal. pic.twitter.com/p0QcgBJkPB
— ANI (@ANI) July 17, 2019
गठबंधन के 16 विधायकों ने दिया था इस्तीफा
दरअसल बीते दिनों कांग्रेस के 13 और जद( एस) के 3 विधायकों ने इस्तीफा दिया था। केपीजेपी और एक निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस्तीफे स्वीकार होने के बाद विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 225 से घटकर 209 तक हो जाएगी। बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस और जद(एस) गठबंधन 105 सीटों की जरूरत होगी। इस स्थिति में गठबंधन के पास केवल 100 सीटें ही होंगी और उन्हे सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।
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कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन की सरकार बचेगी या जायेगी यह गुरूवार को फ्लोर टेस्ट के बाद सामने आ जाएगा। इधर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी अपनी कुर्सी बचाने की कवायद में है तो येदियुरप्पा भी मौका देखकर अवसर भूनाने की पूरी कोशिश करेंगे।