प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर किसान नेताओं ने पूछा, एमएसपी है और रहेगी तो कानून क्यों नहीं बनाती सरकार?

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Narendra Modi ने कृषि क़ानूनों को छोटे किसानों का भविष्य बदलने वाला, खेती को बचाने वाला बहुप्रतिक्षित फैसला बताया तो MSP और APMC को लेकर आशंकाओं का जवाब भी दिया। आंदोलनकारियों के एक धड़े पर उन्होंने सवाल उठाए तो किसान नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किया, पीएम मोदी के भाषण पर किसान नेताओं और विपक्ष ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी...
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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का केंद्र कृषि और किसान आंदोलन रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी थी, है और रहेगी। मंडी व्यवस्था (कृषि उपज समितियों) APMC को और मजबूत और पारदर्शी किया जाएगा। कृषि सुधार के रूप में आए कृषि कानून देश के 86% से अधिक छोटे और मझौले किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले हैं। 

प्रधानमंत्री ने आज कहा कि ‘एमएसपी है, थी और रहेगी’ लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि एमएसपी पर एक कानून बनेगा, देश भरोसे पर नहीं चलता है। यह संविधान और कानून पर चलता है। राकेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन

संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी MSP पर गारंटी कानून की मांग दोहराई है, अपने बयान में डॉ. दर्शन पाल ने कहा, “एमएसपी पर खाली बयानों से किसानों को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा और अतीत में भी इस तरह के अर्थहीन बयान दिए गए थे। किसानों को वास्तविकता में और समान रूप से टिकाऊ तरीके से तभी लाभ होगा जब सभी फसलों के लिए एमएसपी को ख़रीद समेत कानूनी गारंटी दी जाती है।”

पीएम मोदी के भाषण के जवाब में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने पीएम के भाषण को लफ्लाजी और जुमलेबाजी बताया। उन्होंने किसानों के आंदोलन पर ठोस आश्वासन नहीं मिलने और भाषण को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा, “क्या ये सही नहीं कि आपने सुप्रीम कोर्ट में फरवरी 2015 में शपथ पत्र देकर कहा था कि किसानों को अगर लागत + 50% से ऊपर समर्थन मूल्य दिया तो बाज़ार ख़राब हो जाएगा अर्थात आप पूंजीपतियों के पक्ष मे खड़े हो गए थे।” उन्होंने कहा कि आपने 6,000 रुपए किसानों को दिए लेकिन खेती पर खेती पर 15.000 रुपए प्रति हेक्टेयर का टैक्स लगाया है। सुरजेवाला ने पीएम से सवाल किया, “क्या ये सही नही कि 73 साल में पहली बार खेती पर GST लगाया – खाद पर 5%, कीटनाशक दवाइयों से लेकर कृषि यंत्रों पर 12% से 18 प्रतिशत तक? डीज़ल पर 820% एक्साइज ड्यूटी क्यों बढ़ाई?”

इससे पहले पीएम ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान चर्चा में जवाब देते हुए न सिर्फ अपनी सरकार की उपलब्धियाँ गिनाईं बल्कि कई मुद्दों पर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कृषि सुधारों के संबंध में हरित क्रांति के लिए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रयासों के प्रयासों का जिक्र किया कि कैसे उन्होंने भारी विरोध और आंदोलनों के बावजूद हरित क्रांति शुरु कराई थी। इसके साथ उन्होंने कहा कि दूध सेक्टर में सहकारिता और प्राइवेट कंपनियों के जरिए किसानों को फायदा पहुंच रहा है।

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अपने भाषण में उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म कर चर्चा की तरफ लौटने की बात की तो आंदोलन को लेकर एक धड़े पर निशाना साधा। पीएम ने कहा कि पिछले कुछ समय से एक देश में नई जमात पैदा हो गई है जो आंदोलनजीवी हैं। वकील का आंदोलन हो या स्टूंडेट का या फिर मज़दूरों का वो इसमें कभी पर्दे के आगे तो कभी पर्दे के पीछे नजर आते हैं। ये आंदोलन से जीने के रास्ते खोजते हैं।

पीएम मोदी भाषण के जवाब में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा,”प्रधानमंत्री ने आज कहा कि ‘एमएसपी है, था और रहा है’ लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर एक कानून बनेगा, देश भरोसे पर नहीं चलता है। यह संविधान और कानून पर चलता है।”  इससे पहले उन्होंने कहा था कि “अभी एमएसपी पर कानून नहीं हो है तो देश के किसानों को व्यापारियों को द्वारा लूटा जाता है। हमने कहा है कि एमएसपी पर एक कानून बनाया जाए। अगर ऐसा कानून बनता है तो देश के सभी किसान लाभान्वित होंगे।”

“अगर पीएम मोदी चर्चा करना चाहते हैं तो हमारा मोर्चा (संयुक्त किसान मोर्चा) और कमेटी बातचीत को तैयार हैं। हमारे पंच भी वहीं है और मंच भी वही होगा,” राकेश टिकैत ने आगे कहा।

संयुक्त किसान मोर्चा की 7 सदस्यीय कमेटी के सदस्य और पिछले दो महीने से शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने भी राकेश टिकैत की तरह एमएसपी कानून को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने पीएमओ के एमएसपी minimum support price  ट्वीट के जवाब में कहा, “अगर एमएसपी है, थी और रहेगी तो सरकार एमएसपी गारंटी कानून क्यों नहीं बना देती है। अगर कल को किसान को एमएसपी नहीं मिलती है तो वो पीएम के ट्वीट और भाषण को लेकर तो भटकेगा नहीं। सरकारी अधिकारी तो सिर्फ कानून के आधार पर कार्यवाही करेंगे ना कि ट्वीट और भाषण पर।”

सिंघु बॉर्डर पर पत्रकार वार्ता के दौरान किसान मज़दूर किसान संघर्ष कमेटी के पंजाब राज्य के अध्यक्ष सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “किसानों और मज़दूरों के बिना लोकतंत्र अधूरा है। जब पूरे देश का किसान कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहा है तो आप मानते क्यों नहीं। हम मानते हैं कि वार्ता से हल निकलेगा लेकिन पिछली मीटिंग में तो कृषि मंत्री ने हम लोगों को लगभग धमकी देते हुए कहा कि डेढ़ साल तक कानून के संस्पेड रहने वाली बात मानो तो ठीक वर्ना बैठो।”

पंधेर ने आगे कहा, “हम मानते हैं कि बातचीत से हल निकलेगा, लेकिन पीएम को आज किसानों की मौत पर, कीलें लगाने, बिजली-पानी और शौचालय की सुविधा हटाने और शांतिपूर्वक आंदोलन पर हमलों पर भी बोलना चाहिए था।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पीएम मोदी ने 3 कृषि क़ानूनों की कमी पर कांग्रेस के प्रस्ताव की अनदेखी की है और किसानों, स्नातकों और वैज्ञानिकों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं है। क्या हम सब मूर्ख हैं?”  

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- सरकार कृषि कानूनों पर संसोधन को तैयार है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कानून गलत हैं, राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

संयुक्त किसान मोर्चा ने ‘आंदोलनजीवी’ को लेकर पीएम के बयान की निंदा की

कृषि कानूनों वो पास लेने की लड़ाई लड़ रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री की बयान की निंदा की है। किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहेंगे कि वे आन्दोलनजीवी ही थे जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाया था और इसीलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है। यह भाजपा और उसके पूर्वज ही है जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। वे हमेशा जन आंदोलनों के खिलाफ थे इसलिए वे अभी भी जन आंदोलनों से डरते हैं।

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने जारी बयान में कहा कि अगर सरकार अब भी किसानों की मांगों को स्वीकार करती है, तो किसान वापस जाकर पूरी मेहनत से खेती करने के लिए अधिक खुश होंगे। यह सरकार का अड़ियल रवैया है जिसके कारण ये आंदोलन लंबा हो रहा है जो कि आंदोलनजीवी पैदा कर रहा है।”

उन्होंने कहा ने किसानों की मांगों को गंभीरता से और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता सवाल खुद उठ रहे हैं। सरकार किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का आश्वासन देने के बावजूद विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश कर रही है।”

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