मुंबई (भाषा)। शिवसेना ने आज कहा कि महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दों को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के आंदोलन को मिली प्रतिक्रिया राज्य सरकार के लिए खतरे की घंटी होनी चाहिए।
भाजपा के मौजूदा नेतृत्व पर लगातार निशाना साधने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री को सोमवार शाम को उस समय हिरासत में ले लिया गया जब वह विदर्भ के किसानों की ओर राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ अकोला जिलाधीश के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा नेता यशवंत सिन्हा (80 वर्ष) से मंगलवार को फोन पर बात की और उनके साथ किसानों के मुद्दों पर चर्चा की थी। यशवंत सिन्हा ने अकोला में अपने तीन दिवसीय प्रदर्शन को कल यह कहते हुए खत्म कर दिया था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी।
शिवसेना ने आज कहा कि देश के प्रतिष्ठित नेताओं ने यशवंत सिन्हा के आंदोलन का समर्थन किया।
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पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा, हमने भी यशवंत सिन्हा से फोन पर बात की। यहां किसानों की जिंदगी और मौत का सवाल है तथा इस बात की परवाह किए बगैर कि सत्ता में क्या होगा, हम उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं। शिवसेना ने कहा कि यशवंत सिन्हा कभी भी जन नेता नहीं रहे बल्कि वह नौकरशाह से नेता बने।
संपादकीय में कहा गया है, अगर किसान उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं तो यह भाजपा और सरकार के लिए खतरे की घंटी होनी चाहिए। सरकार को अकोला के किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए।
शिवसेना ने यह पूछा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों के कौन-से मुद्दे हल किए। पार्टी ने दावा किया कि राज्य सरकार ने फसल कर्ज माफी की घोषणा तब की जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने इस पर जोर दिया।
सामना में कहा गया है, असलियत में कर्ज माफी लागू करने से पहले सरकार ने करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर खर्च किए ताकि इसका श्रेय लिया जा सकें। अयोध्या में राम मंदिर की तरह कर्ज माफी भी घोषणाओं में अटकी हुई है। यशवंत सिन्हा की आलोचना करने वालों पर सवाल करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि अगर पूर्व केंद्रीय मंत्री अपनी निजी शिकायतों के कारण अपनी ही पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं तो उन्हें अकोला में इतना जोरदार समर्थन कैसे मिल सकता है।
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पार्टी ने कहा, क्यों मुख्यमंत्री और (राजस्व मंत्री) चंद्रकांत पाटिल ने सिन्हा से आंदोलन को वापस लेने की गुजारिश की? इसलिए कि यह आंदोलन खराब रूप ले सकता है और राज्य विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र को प्रभावित कर सकता है।
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