लखनऊ। दिल्ली का रास्ता गांव और किसान से होकर जाता है इसको देखते हुए आने वाले लोकसभा सभा चुनाव 2019 में किसानों को लुभाने के लिए भारतीय जनता पार्टी जीरो बजट खेती का सहारा लेने जा रही है।
प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन लोकभारती उत्तर प्रदेश में गांव-गांव जाकर किसानों के बीच जीरो बजट खेती का प्रचार-प्रसार करने जा रहा है। खेती में बढ़ती लागत और रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती खपत को कम करने के लेकर लोकभारती के कार्यकर्ता किसानों को जीरो बजट खेती के बारे में जागरूक करेंगे लेकिन इसका असली मकसद ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाते हुए बीजेपी के लिए वोट करवाना है।
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जीरो बजट खेती के अभियान के बारे में जानकारी देते हुए लोकभारती के बृजेन्द्र पाल सिंह ने बताया यह शुद्ध रूप से किसानों को खेती की तरफ ले जाने वाला कार्यक्रम है। इसके माध्यम से एक किसान को दूसरे किसान से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना हैं। लोकभारती के इस अभियान को संघ का छिपा हुआ एजेंडा करार देते हुए समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार से लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से किसानों के लिए कुछ नहीं किया है। आधा-अधूरी कर्जमाफी से किसानों में आक्रोश है। सरकार की नीतियों की वजह से किसान परेशान हैं, ऐसे में किसानों को मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए बीजेपी आरएसएस के संगठनों की तरफ से ऐसे अभियान चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा किसान जागरूक हैं वह सबकुछ समझते हैं, बीजेपी के बकहाव में अब नहीं आएंगे।
लोकभारती की तरफ से जीरो बजट खेती अभियान की शुरूआत 20 दिसंबर को भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यलय लखनऊ में की जाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे।
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20 से लेकर 25 दिसंबर जीरो बजट की खेती का बड़ा कार्यक्रम होगा जिसमें प्रदेश के हर ब्लाक से कम से कम एक किसान को शामिल किया जाएगा। जीरो बजट खेती अभियान के बाद प्रदेशभर में 100 से ज्यादा मॉडल केन्द्र बनाए जाएंगे। इन केन्द्रों पर मास्टर ट्रेनर तैनात होंगे जो गांव-गांव जाकर किसानों को जीरो बजट प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देंगे।
लोकभारती के बृजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि इस अभियान का सबसे बड़ा मकसद यह है कि खेती करने के लिए किसानों की बाजारों से निर्भरता कम हो। किसान एक ऐसी पद्धति विकसित करें जहां किसानों को लाभ मिले उनके जीवन स्तर में सुधार हो।
उत्तर प्रदेश में 2 करोड़ 30 लाख किसान हैं। जो प्रदेश की 50 लोकसभा सीटों पर सीधे दखल रखते हैं। अगले लोकसभा चुनाव में भले ही अभी दो साल का वक्त लेकिन विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से किसानों को अपने पाले में करने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव और छह महीने पहले हुए यूपी विधानभा चुनाव में किसानों के समर्थन की बदौलत की भारतीय जनता पार्टी को बड़ी कामयाबी मिली और पार्टी सरकार बनाने में सफल हुई।