कर्नाटक: बीजेपी विधायक धरने पर, नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट

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लखनऊ। कर्नाटक में सियासी संग्राम अभी भी जारी है। सदन में हंगामे के स्पीकर रमेश कुमार ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी है। सदन में कुमारस्वामी सरकार को आज फ्लोर टेस्ट का सामना करना था, लेकिन हंगामे की वजह फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका। कर्नाटक में जारी सियासी संग्राम अब एक दिन और टल गया है। कुमारस्वामी सरकार के भविष्य पर अब कल फैसला होने की संभावना है।

इससे पहले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने सदन में अपने भाषण के दौरान भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। इस दौरान बीजेपी ने भीकांग्रेस-जद(एस) सरकार पर फ्लोर टेस्ट में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया। सदन में फ्लोर टेस्ट आज ही कराने के लिए बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था।

धरने पर बीजेपी विधायक

सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थागित करने के फैसले को बीजेपी नेताओं ने असंवैधानिक बताया। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि भले ही आधी रात के 12 बज जाए,लेकिन विश्वास मत का परीक्षण आज ही होना चाहिए। ऐसा न होने की स्थिति में वह और उनके साथी विधायक धरने पर बैठे रहेंगे।

बीजेपी नेताओं कुमारस्वामी पर फ्लोर टेस्ट टालने का लगाया आरोप

इससे पहले कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने स्पीकर को संदेश भेजकर आज ही फ्लोर टेस्ट कराने पर विचार करने को कहा। भाजपा नेता जगदीश शेट्टार ने कहा आरोप लगाया कि सरकार जानबूझ विश्वास मत में देरी कर रही है। उन्होंने कहा कि विश्वास मत लाने का प्रस्ताव सीएम की तरफ से ही लाया गया था। लेकिन जब इस पर बहस शुरू हुई तो सिद्धारमैया, कृष्णा बाइर गौड़ा और एचके पाटिल ने दूसरे मुद्दे उठाने शुरू कर दिए।

वहीं कांग्रेस नेता एचके पाटिल ने कहा कि संविधान के अनुसार राज्यपाल सत्र की कार्यवाही से कोई लेना देना नहीं है। मैं राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वे सत्र की कार्यवाही में हस्तक्षेप न करें। इस दौरान स्पीकर रमेश कुमार ने बागी विधायक श्रीमंत पाटिल की अस्पताल की वायरल फोटो पर चिंता जाहिर करते हुए गृह मंत्री एमबी पाटिल को विधायक श्रीमंत पाटिल के परिजनो से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने बहस के दौरान कहा कि जब तक हमें सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश पर स्पष्टीकरण नहीं मिल जाता। उस समय इस सत्र में फ्लोर टेस्ट कराना सही नहीं होगा। यह पूरी तरह असवैंधानिक होगा। ​​अगर विश्वास प्रस्ताव के दौरान बागी विधायक  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण सदन नहीं आते हैं तो गठबंधन सरकार के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।

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