देश में घटेगा चीनी उत्पादन, लेकिन यूपी बनेगा सबसे बड़ा उत्पादक

महाराष्ट्र

लखनऊ/ नई दिल्ली (गांव कनेक्शन/ भाषा)। देश में इस बार चीनी उत्पादन पिछले पेराई सत्र के मुकाबले कम हो सकता है, लेकिन यूपी में उत्पादन बढ़ सका है। महाराष्ट्र को पछड़ाकर यूपी चीनी उत्पादन में नंबर एक हो सकता है। चीनी उद्योन के नए आंकड़ों पर सरकार ने फिर जांच के बात कही है।

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने चालू वर्ष के लिए चीनी उत्पादन अनुमान को नौ प्रतिशत घटाकर 2.13 करोड टन किया है। मौसम और कम बारिश के चलते देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन गिरावट की आशंका है, जिसका असर पूरे देश पर पड़ेगा। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने अपने पहले अनुमान में चालू विपणन वर्ष 2016-17 (अक्तूबर से सितंबर) में 2.34 करोड़ टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान व्यक्त किया था। पिछले वर्ष इसी समय में उत्पादन 2.51 करोड टन का था।

केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से दिल्ली में बुलाई गई गन्ना उत्पादक राज्यों की एक बैठक में सरकार और (इस्मा) ने संसोधित अनुमानों की जानकारी दी। इस्मा के सचिव (यूपी) दीपक गुप्तारा ने बताया, “ पिछले वर्ष की तुलना यूपी में आंशिक तौर पर उत्पादन बढ़कर 76-77 लाख टन हो सकता है। बेहतर किस्मों के चयन और अच्छी बारिश के चलते उत्पादन पर असर पड़ेगा।” पिछले वर्ष उत्पादन 68.5 लाख टन रहा था।

उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड के मुख्य रसायनविद सुनील ओहरी ने कहा कि कम बारिश होने से महाराष्ट्र में गन्ने की खेती पर असर पड़ा है लेकिन यूपी में अच्छी बारिश के साथ अच्छी वैरायटी (किस्म) के चयन से बेहतर परिणाम मिले हैं। विभाग कई वर्षों गन्ना उत्पादकता में सुधार पर काम कर रहा है।

दुनिया के दूसरे सबसे बडे उत्पादक मगर विशालतम उपभोक्ता देश भारत में चीनी उत्पादन में गिरावट की वजह मौसम है। सूखे के चलते महाराष्ट्र और कर्नाटक में संभावित उत्पादन में गिरावट है। महाराष्ट्र में पिछले साल 84 लाख टन की तुलना में इस बार 55 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है।

गाँव कनेक्शन

पूरे देश की बात करें तो उद्योग संगठन ने उत्पादन को 9 फीसदी कम कर कर 213 लाख टन कर दिया है। जबकि सरकार ने 225 लाख टन का अनुमान जताया था। समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक एक बयान में इस्मा ने कहा कि समिति की बैठक में वर्ष 2016-17 में चीनी उत्पादन स्थिति की समीक्षा की गई। उद्योग संगठन ने कहा, “इस्मा ने वर्ष 2016-17 के लिए अपने चीनी उत्पादन अनुमान को संशोधित किया है तथा सितंबर 2016 में किये गये पहले अनुमान 2.34 करोड टन से घटाकर इसे अब 2.13 करोड टन रखा है।‘’ महाराष्ट्र और कर्नाटक के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कुछ चीनी मिलों द्वारा अपना परिचालन बंद करने स्थिति पर विचार करते हुए तथा इन दोनों राज्यों में पहले के अनुमान से कहीं कम गन्ना आपूर्ति की खबरों के बाद इस्मा ने अपने आंकड़ों को संशोधित करने का फैसला किया है।

तो चीनी की नहीं बढ़ेंगी कीमतें

देश में चीनी उत्पादन घटेगा तो क्या इससे चीनी की कीतमें बढ़ेंगी, इस पर उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ से जुड़े एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हमारे देश की घरेलू खपत करीब 255 लाख टन की है, जबकि इस वर्ष का उत्पादन सवा दो सौ लाख कुंटल रहने का अनुमान है, तो अगर निर्यात नहीं किया गया तो उत्पादन और भंडारित चीनी के चलते कीमतों पर असर नहीं पड़ेगा।‘’

खाद्य मंत्रालय ने कहा- संसोधित आंकड़ों की हो जांच

नई दिल्ली। खाद्य मंत्रालय कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में अप्रैल-मई में मध्यवर्ष गन्ना फसल से संभावित चीनी उत्पादन आंकडों पर गौर करने के बाद ही उत्पादन के आंकडों को संशोधित किया जायेगा।

चीनी उत्पादन की वास्तविक तस्वीर को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय अब मिलवार आंकड़े जुटाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि “राज्यों को कहा गया है कि वे खेत के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए और चीनी उद्योग द्वारा रखे जाने वाले उपग्रहीय चित्रों की मदद लेकर अपनी ओर से संभावित गन्ना उत्पादन के आंकडों को दोबारा जांचे।” अधिकारी ने कहा कि उन्हें कहा गया है कि वे केवल कृषि मंत्रालय के गन्ना उत्पादन आंकड़ों पर ही भरोसा किये न बैठे रहें। अधिकारी ने कहा, “ऐसी संभावनायें हैं कि चीनी मिलें कम उत्पादन के अनुमान दे रही हों। मिलवार चीनी उत्पादन का आंकड़ा वास्तविक तस्वीर प्राप्त करने में मदद करेगा।‘’

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