देश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पिछले दो गन्ना पेराई सीजन का 24,00 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें 2,300 करोड़ रुपए 2018-19 का जबकि 100 करोड़ रुपए 2017-18 सत्र का बकाया है।
दी इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार इस बकाये से चीनी मिलों की नकदी की स्थिति प्रभावित हुई है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से खबर में बताया गया है कि पिछले महीने तक चीनी मिलों ने 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के चीनी सत्र का 84,700 करोड़ रुपए और 2017-18 का 84,900 करोड़ रुपए का भुगतान किया था।
अभी चीनी मिलों पर वर्ष 2018-19 का 2,300 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 का 100 करोड़ रुपए बकाया है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार फरवरी 2020 तक 2018-19 के लिए 87,000 करोड़ रुपए और 2017-18 के सत्र के लिए 85,000 करोड़ रुपए के बकाये का भुगतान करना है।
अधिकारी ने आगे बताया कि देश की चीनी मिलों की नकदी स्थिति को ठीक करने की दिशा में सरकार ने कई काम किये हैं। सरकार ने वर्ष 2017-18 और 2018-19 के चीनी सत्र में कई उपाय किये गये। कई योजनाओं और सहायता के माध्यम से चीनी मिलों को 1,574 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया है।
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नियम तो यह कहता है कि किसानों को 14 दिनों के अंदर पैसे मिल जाने चाहिए। गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत चीनी मिलों को किसानों को गन्ने की आपूर्ति के 14 दिन के भीतर गन्ने का भुगतान करना होता है। और अगर मिलें ऐसा करने में विफल रहती हैं तो उन्हें विलंब से भुगतान पर 15 फीसदी सालाना ब्याज भी देना पड़ता है।
चीनी निर्यात की तरीख बढ़ी
केंद्र सरकार ने मंगलवार को चीनी मिलों के लिए वर्ष 2018-19 के अंतिम सत्र के दौरान आवंटित कोटे की चीनी को निर्यात करने की समय सीमा को 14 मार्च तक बढ़ा दी है जो 15 फरवरी को खत्म हो गई थी।
खाद्य मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश भी जारी किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत 38 लाख टन चीनी पहले ही निर्यात की जा चुकी है।
इस सीजन में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बकाया
बात अगर पेराई सीजन 2019-20 की करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 7,392 करोड़ रुपए किसानों का रुका हुआ है। प्रदेश सरकार ने भी वादा किया था कि प्रदेश के गन्ना किसानों को भुगतान हर हाल में 14 दिनों के अंदर किया जायेगा। उत्तर प्रदेश शुगर मिल एसोसिएशन से मिली रिपोर्ट के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले पांच महीनों में, एक अक्टूबर से 20 फरवरी 2020 तक राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर 7,392.47 करोड़ रुपए पहुंच गया है जबकि पेराई सीजन 2018-19 का 515.55 करोड़ रुपए बकाया है। यही नहीं, पेराई सीजन 2017-18 का 40.45 करोड़ रुपए और पेराई सीजन 2016-17 का 22.29 करोड़ रुपए चीनी मिलों पर बकाया है।
चालू पेराई सीजन में यूपी में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जबकि पिछले साल इस समय 117 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी। इस पेराई सीजन में प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 54.85 लाख टन हो चुका है जो कि पिछले साल इस समय 53.36 लाख टन था। इस सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी 10.89 फीसदी आ रही है जबकि पेराई सीजन 2018-19 में औसतन रिकवरी 11.07 फीसदी थी।
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चीनी उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है। प्रदेश में 35 लाख से अधिक किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2019-20 में 26.79 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती हो रही है और प्रदेश में वर्तमान पेराई सत्र में 117 चीनी मिल संचालित हैं। प्रदेश में चीनी उद्योग करीब 40 हजार करोड़ रुपयों का है। वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश का चीनी उत्पादन करीब 1.18 करोड़ टन रहा जो 2017-18 के 1.2 करोड़ टन से कुछ अधिक है। 2019-20 में भारत का चीनी उत्पादन करीब 14 फीसदी तक गिरकर लगभग 2.8 करोड़ रहने का अनुमान है, जबकि मौजूदा चीनी सीजन 2018-19 में यह 3.3 करोड़ टन है।
महाराष्ट्र में बकाया 415 करोड़ रुपए
महाराष्ट्र में बकाया 415 करोड़ रुपए के पार उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में भी किसानों का पैसा चीनी मिलों में फंसा हुआ है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्तालय की रिपोर्ट के अनुसार चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर 2019 तक मिलों ने 534.80 करोड़ रुपए का गन्ना किसानों से खरीदा है जिसमें से भुगतान 111.55 करोड़ रुपए ही हुआ है। इस तरह चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 415.24 करोड़ रुपए पहुंच गया है।