ओडिशा: कोरापुट में जैविक अदरक की घटी कीमतों के कारण लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान

ओडिशा में कोरापुट अदरक की उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, यहां पर करीब 2,599 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि में जैविक रूप अदरक की खेती होती है। लेकिन किसानों के लिए खुश होने की कोई बात नहीं है, क्योंकि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से गैर-जैविक अदरक के बाजार में बाढ़ आने के कारण अदरक की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
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कोरापुट (उड़ीसा)। अदरक की बंपर फसल ने ओडिशा में किसानों को खुशी के बजाय निराशा में डूबा दिया है। इसका कारण मांग में गिरावट और कीमतों में गिरावट है। इससे जैविक अदरक उगाने वाले कोरापुट जिले के किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं।

ओडिशा रूरल डेवलपमेंट एंड मार्केटिंग सोसाइटी (ORMAS) के अनुसार, कोरापुट में लगभग 30,000 किसान (उनके परिवार के सदस्यों सहित), जिनमें से अधिकांश आदिवासी समुदायों से हैं, 2,599 हेक्टेयर से अधिक भूमि में जैविक अदरक की खेती करते हैं।

कोरापुट जिले के लक्ष्मीपुर गाँव के एक किसान रंजन प्रधान ने कहा, “हम एक हेक्टेयर जमीन से लगभग बीस क्विंटल अदरक का उत्पादन लेते है। पिछले साल अदरक अस्सी रुपये प्रति किलोग्राम तक बिका। इस साल कीमत गिरकर बीस रुपये किलो हो गई है।”

कोरापुट के बागवानी उप निदेशक सरबेश्वर बगुदई के अनुसार, अदरक जिले के पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है जहां उष्णकटिबंधीय मौसम इस फसल के अनुकूल होता है। कोरापुट जैविक रूप से उगाए गए अदरक की उच्चतम गुणवत्ता का उत्पादन करता है जिसकी अन्य देशों से भी मांग है।

उन्होंने गांव कनेक्शन को समझाया, “इस फसल कटाई के मौसम में करीब 30,000 किसानों ने लगभग 50,000 क्विंटल अदरक का उत्पादन किया है। अदरक की कीमत आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से सस्ते अदरक की उपलब्धता के कारण गिर गई।”

ऑल ओडिशा कृषक सभा के उपाध्यक्ष उमेश चंद्र सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, “हम अदरक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार अदरक के किसानों की दलीलों पर ध्यान नहीं दे रही है।” उन्होंने कहा कि उचित प्रसंस्करण और विपणन सुविधाओं की कमी के कारण बिक्री में भी कमी आई है।

उनके अनुसार, यूरोपीय संघ के देशों को भेजने के लिए इन किसानों से भारी मात्रा में जैविक अदरक खरीदने वाली निर्यात कंपनियों ने इस साल ऐसा नहीं किया और यह एक अतिरिक्त झटका है। उमेश चंद्र सिंह ने कहा, “वे भी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से नियमित अदरक खरीदने के लिए स्थानांतरित हो गए हैं।”

लक्ष्मीपुर के एक और अदरक किसान भास्कर गोमांग की आवाज में मायूसी है। उन्होंने कहा, “अदरक की कीमतों में गिरावट ने हमारी रीढ़ तोड़ दी है और हम गहरे संकट में हैं।”

गोमांग के अनुसार, समस्या इस तथ्य में निहित है कि कुछ उपभोक्ताओं को जैविक रूप से उगाए गए अदरक के मूल्य के बारे में पता था।

उन्होंने कहा, “हम जैविक अदरक उगाने के लिए केवल गोबर खाद और जैव उर्वरक का उपयोग करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। लेकिन स्थानीय बाजारों में अदरक की भरमार है जो कि जैविक नहीं है, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों से है और हमारी अदरक से सस्ते भी हैं।”

गोमांग इस बात से चिंतित थे कि जैसे-जैसे चीजें अब खड़ी हैं, वह या अन्य जैविक अदरक किसान अपनी उपज उगाने की लागत भी नहीं निकाल पाएंगे, भले ही वे अपने द्वारा उगाए अदरक बेचने में कामयाब रहे।

अदरक का पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा में विभिन्न रूपों में उपयोग का एक बहुत लंबा इतिहास है। इसका उपयोग पाचन में सहायता, मतली को कम करने और फ्लू और सामान्य सर्दी से लड़ने में मदद करने के लिए किया जाता है। अदरक की अनूठी सुगंध और स्वाद इसके प्राकृतिक तेलों से आता है।

कई अदरक किसानों को लगता है कि जब तक राज्य सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया, तब तक उनकी परेशानी जारी रहेगी। “अदरक की कीमत पिछले एक दशक में कभी इतनी कम नहीं हुई थी। और, जब तक कि राज्य सरकार ओडिशा राज्य कृषि विपणन बोर्ड और ओडिशा ग्रामीण विकास और विपणन सोसायटी को अच्छी कीमत के लिए हमसे अदरक खरीदने के लिए आगे नहीं आती, तब तक हम कोरापुट के पतंगी के एक किसान प्रमोद पडल ने गांव कनेक्शन को बताया, “नुकसान झेलना जारी रहेगा।”

पडल ने कहा कि जिले में कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और अदरक प्रसंस्करण संयंत्रों की अनुपलब्धता ने समस्या को बढ़ा दिया है।

पतंगी के टूना डाकुआ ने गांव कनेक्शन को निराशा में कहा, “इस साल मुझे लगभग चालीस हजार रुपये का नुकसान हुआ है और पचास हजार रुपये का बैंक ऋण चुकाना है। अदरक की कीमत में गिरावट ने मुझे कंगाल कर दिया है।” डाकुआ ने इस साल दो एकड़ से अधिक भूमि में जैविक अदरक की खेती की थी।

हालांकि, ओआरएमएएस के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोशन कुमार कार्तिक को कुछ उम्मीद है। उन्होंने कहा कि राज्य में अदरक के किसानों की मदद के लिए जल्द ही अदरक धोने और सुखाने की मशीनें खरीदी जाएंगी ताकि वे विशाखापत्तनम, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली के बड़े बाजारों में अच्छा कारोबार कर सकें। कार्तिक ने गांव कनेक्शन को बताया, “इससे अदरक की संकटपूर्ण बिक्री पर रोक लगेगी।”

इस बीच, बागवानी के उप निदेशक सरबेश्वर बगुदई ने कहा, “हम किसानों को सब्सिडी प्रदान करते हैं यदि वे एक हेक्टेयर से अधिक भूमि में अदरक उगाते हैं।”

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