स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। बासमती धान का बीज उगाने को लेकर राज्यों के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा अब खत्म हो जाएगी। भारत सरकार द्वारा 18 सितंबर को जारी अधिसूचना में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को ही बासमती धान के बीज को उगाने की अनुमति दी गई है।
केन्द्र सरकार ने इन राज्यों को भौगोलिक उपदर्शन यानि जीआई क्षेत्र में शामिल किया है, उनमें पश्मिच के भी 30 जिले शामिल हैं। सरकार के इस फैसले को किसानो के लिए अहम मानते हुए डाॅ.रितेश शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी बासमती निर्यात प्रतिष्ठान (बीईडीएफ) बताते हैं,”जीआई होने से अब सात राज्य ही बासमती धान की खेती बड़े स्तर पर कर सकेंगे। अन्य राज्य, जो बासमती धान का बीज उगा रहे थें, वो अब ऐसा नहीं कर सकेंगे। भारत सरकार ने इसके लिए कड़ा कानून बनाया है, वेस्ट यूपी में बढ़ रही बासमती की खेती से किसानो को इसका लाभ मिलेगा।”
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मेरठ के मोदीपुरम स्थित बासमती निर्यात प्रतिष्ठान से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले तीन-चार वर्षों से आंध्र प्रदेश सहित दूसरे राज्यों से बासमती बीज का उत्पादन करके यूपी, पंजाब, हरियाणा में कंपनियों को दिया जा रहा था। इस बीज की गुणवत्ता बहुत खराब थी,जिस कारण यहां के किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा था। इन्ही सब बातों को लेकर सरकार भी इस पर गंभीर हुई और अधिसूचना में केवल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश राज्यों को शामिल किया गया है।
” इस फैसले से इन सातों राज्यों के अलावा किसी भी अन्य प्रदेश में बासमती धान का बीज नहीं उगाया जा सकेगा। इस फैसले से स्थानीय किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज मिलेगा, जिससे उन्हें दाम सही मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।” डाॅ.रितेश शर्मा आगे बताते हैं।
खेती के साथ बढ़ेगा निर्यात
भारतीय बासमती की विदेशों में काफी मांग है, करीब 150 देशों में भारतीय बासमती निर्यात होता है। वहीं गन्ना और आलू के बाद बासमती की खेती वेस्ट यूपी में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। आलू के दामों में आ रही गिरावट को देखते हुए किसान गन्ने के साथ बासमती की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इस फैसले से जहां किसान बासमती की खेती में पहले से अधिक इजाफा करेंगे, वहीं निर्यात भी बढ़ेगा।
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लंबे समय से चल रही थी मांग
इन सातों राज्यों के किसान इस मांग को पिछले कई वर्षों से कर रहे थे। बासमती को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों ने भी अपने-अपने प्रदेशों को जीआई क्षेत्र में शामिल करने की मांग कर रखी थी, लेकिन इन दोनों प्रदेशों को कामयाबी नहीं मिली।
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