नई गेहूं की आवक ठप, मिलर्स परेशान, उपभोक्ता परेशान

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर, विनय खंड-4 के एक बड़े किराना स्टोर पर खड़े रामनरेश श्रीवास्तव (36) आज दिन में तीसरी बार स्टोर पर आये, लेकिन उन्हें आटा नहीं मिला।

वे कहते हैं, “एक हफ्ते से घर में चावल ही बन रहा है। परिवार में पांच लोग हैं, उसमें से कई लोगों को चावल कम पसंद है, लेकिन आटा मिल ही नहीं रहा। न पैकेट वाला और न ही खुले में।”

कोरोना वायरस के चलते देश में 25 मार्च से 21 दिनों का लॉकडाउन लगा दिया गया है। इस दौरान वैसे तो जरूरी सामानों की आवाजाही पर रोक नहीं होती लेकिन कई बड़े शहरों में आटे की किल्लत हो रही है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति 250-260 ग्राम आटा की खपत रोजाना है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत में सालान गेहूं के आटा की खपत 63.3 मिलियन मीट्रिक टन (633,000,000 कुंतल) है। 

जिस स्टोर पर रामनरेश आटा खरीदने आये थे, उस किराना स्टोर के मालिक विंध्यवासिनी गुप्ता कहते हैं, “पैकेट वाला ब्रांडेड आटा तो आ ही नहीं पा रहा है। खुला आटा भी चार-पांच दिन से नहीं आ रहा। मैं हरदोई रोड के यश आटा मिल से आटा मंगाता था, लेकिन वे लोग कह रहे हैं कि आटा अगले हफ्ते से भेजूंगा।”

इस बारे में हमने यश आटा मिल के मालिक सजीव अग्रवाल से बात की। वे बताते हैं, “छह दिन से मिल बंद है। स्टॉक में कुछ गेहूं था तो मिल कुछ दिनों तक चला, लेकिन अब बंद है। नया गेहूं आयेगा तभी मिल चालू हो पायेगा। लखनऊ की मंडियों से गेहूं खरीदता था, लेकिन अब तो यहां गेहूं की खरीद 15 अप्रैल से शुरू होगी।”

लॉकडाउन की वजह से पंजाब और हरियाणा से कंबाइन और रेपर मशीनें दूसरे प्रदेशों में नहीं जा पा रही हैं, हालांकि पंजाब सरकार ने इन्हें ले जाने की अनुमति दी है लेकिन उसके पास बनवाना पड़ेगा। मजदूर न मिलने से भी गेहूं कटाई का काम रुका हुआ है।

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देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में वैसे तो गेहूं की सरकारी खरीद हर साल एक अप्रैल से शुरू होती थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस साल गेहूं खरीद की शुरुआत 15 अप्रैल से होगी। उधर मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीदी कब शुरू होगी इस बारे में कोई खबर नहीं है। हरियाणा में भी पहले एक अप्रैल से गेहूं की खरीद होनी थी जो अब 20 से अप्रैल से होगी जबकि पंजाब में 15 अप्रैल में खरीद शुरू होगी। गेहूं की सरकारी खरीद 15 से 20 दिनों पिछे चली गई है।

जिन आटा मिलों के पास गेहूं का पुराना स्टॉक था, वहां काम तो हो रहा है, लेकिन उत्पादन घट गया है।

नये गेहूं की आवक न होने की वजह से शहरों में आटे की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह किल्लत देश के कई हिस्सों में है। जहां आटा मिल भी रहा है तो कीमत बढ़ गई है। लखनऊ में गेहूं का आटा बिना पैकेट वाला 26 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 35-36 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।

बिहार के पटना में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार और लेखक पुष्य मित्र ने इस बारे में 31 मार्च को एक सोशल मीडिया पोस्ट एक पोस्ट भी लिखा था। वे कहते हैं, “प्रशासन के लोग जगह_जगह छोटे दुकानदारों पर आटा 40 रुपए किलो बेचने पर कार्रवाई कर रही है। यह अच्छी बात है, लेकिन बड़ी कंपनियों पर कार्रवाई कौन करेगा। महज एक हफ्ते पहले तक बाजार में ब्रांडेड आटा के सभी पांच किलो के पैकेट अगर वे मल्टीग्रेन न हो तो 160 से 170 रुपए में मिल रहे थे। मगर 26 मार्च को पैक होकर 31 मार्च को मेरे घर पहुंचे आटा पैकेट का एमआरपी 208 रुपए है।”

इसी आटे की कीमत के बारे में पुष्य मित्र बता रहे हैं।

“मेरे घर के आसपास 50 से अधिक किराना दुकान अभी खुले हैं। इनमें से सिर्फ दो में ब्रांडेड आटा मिल रहा है। वह भी ऊंची कीमत में। 7-8 दुकानों में खुला आटा मिल रहा है। उसकी कीमत भी 35 के पार है। इस संकट का अंदाजा बिहार सरकार को भी चल गया है। इसलिए अखबार में सरकार द्वारा गेंहू का स्टॉक रिलीज करने की घोषणा हुई है। मगर इस कदम से भी बहुत राहत मिल जाएगी ऐसा नहीं है। इसके लिए सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी पड़ेगी कि गेहूं की कटनी ठीक से हो सके।” वे आगे कहते हैं।

बाजार में आटे की कमी क्यों हो रही है इस बात को आप तेलंगाना हैदराबाद की अस्ती राजकुमार आटा कपंनी के मालिक राजकुमार अस्ती से भी समझ सकते हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “मेरे यहां पहले प्रतिदिन पांच गाड़ी गेहूं (एक गाड़ी में 30 टन गेहूं) आता था। इस तरह लगभग 150 टन (1,500 कुंतल) गेहूं का आटा रोज निकलता था, लेकिन पिछले 10 दिनों से मुश्किल से दो या तीन टन आटा ही निकल रहा है। वह भी इसलिए हो पा रहा क्योंकि मेरे पास स्टॉक था। अभी लोग बोल रहे हैं कि नया गेहूं आने वाला है। गेहूं आयेगा तभी मिल पूरी तरह से चलेगा और सप्लाई बढ़ेगी।”

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हैदराबाद के अंबिका फूड कंपनी के मालिक जीतेश अग्रवाल भी यही कहते हैं। वे बताते हैं, “मेरे यहां राजस्थान और उत्तर प्रदेश से गेहूं आता था, लेकिन सप्लाई पूरी तरह से बंद है। महाराष्ट्र से जो माल आ भी रहा है उसकी कीमत बढ़ा दी गई है। प्रति एक कुंतल गेहूं पर तीन से चार रुपए का ट्रांसपोर्ट चार्ज बढ़ गया है। इसी कारण आटे की कीमत में तेजी है। लॉकडाउन की वजह से कुछ कंपनियों में काम भी बंद पड़ा हुआ है जिसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है। मेरी दो कंपनियां हैं, जिस कंपनी में मजदूरों के रहने-खाने की व्यवस्था है काम उसी में चल रहा है।”

गुजरात का दहोड जिला राजस्थान के बॉर्डर पर है। यहां के आटा मिलों में गेहूं राजस्थान और उत्तर प्रदेश से पहुंचता है। दहोड के अनाज कारोबारी राजू भाई पटेल बताते हैं, “बॉर्डर पर होने के नाते हमारे यहां गेहूं राजस्थान और उत्तर प्रदेश से आता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से गाड़ियां नहीं आ पा रही हैं और वहां की कटाई भी रुकी हुई है। मैं आसपास के कम से कम 10 जिलों में गेहूं सप्लाई करता था, अभी सब बंद है। आटा मिल भी बंद पड़े हैं।”

मध्य प्रदेश इंदौर के कारोबारी अनाज कारोबारी अरुण इंगले कहते हैं कि अनाज मंडी होने से किसान न तो गेहूं बेच पा रहे हैं और न ही आटा मिलों तक गेहूं पहुंच पा रहा है।

आटा मिलों के सबसे बड़े संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा इन सबके लिए सरकार को जिम्मेदार बताती हैं। वे कहती हैं, “सरकार के पास अनाज की कमी नहीं है। भारतीय खाद्य निगम ने टेंडर जारी किया है, अब गेहूं कब मिलेगा पता नहीं। सरकार गेहूं बांट रही है, अब गेहूं तो कोई खायेगा नहीं। हमने सरकार से मांग की है कि हमें गेहूं दिया जाये, मिलर्स भी लोगों तक आटा पहुंचा सकते हैं। सरकार ने कहा भी है कि डीएम के माध्यम से मिलर्स को गेहूं दिये जाएंगे, लेकिन इसमें समय लग रहा है।”

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