जीएसटी का गणित अभी भी नहीं समझ पा रहे अनाज व्यापारी

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लखनऊ। थोक राशन बाज़ारों में अभी तक व्यापारी ब्रांडेड दाल, चावल और अन्य अनाजों पर लगे जीएसटी के नई दरों को लेकर व्यापारी भ्रमित हैं। सरकार ने किसी ब्रांड के तहत ट्रेडमार्क लगाकर बिकने वाले अनाज पर पांच फीसदी टैक्स लगाया है। इससे व्यापारियों को पहले से अधिक दामों पर अनाज मिल रहा है। बढ़ती मंहगाई के चलते खेती किसानी से सीधे जुड़े अनाज व्यापारी खास जिंसों का कारोबार कम करने पर मजबूर हैं।

लखनऊ के मडियांव व अलीगंज क्षेत्र में राशन का थोक कारोबार बड़े स्तर पर किया जाता है। मड़ियांव स्थित राशन मंडी में पिछले चार वर्षों से विजय शुक्ला ( 48 वर्ष) अनाजों का व्यापार कर रहे हैं। अगस्त से लगातार महंगे होते जा रहे छोले चने (काबुली चना) के दामों के कारण विजय अब काबुली चना का व्यापार बंद दिए हैं। सीतापुर जिले के रहने वाले विजय बताते हैं,“जुलाई से सभी तरह से अनाजों के रेट बढ़ रहे हैं, जो काबुली चना की 30 किलो की बोरी जुलाई में 3,500 रुपए की थी वो अब 4,300 रुपए में मिल रही है।” दाम बढ़ने के बारे में विजय आगे बताते हैं कि हमें नहीं पता कि दाम क्यों बढ़ रहे हैं, लेकिन डीलर से पूछो तो कहते हैं कि जीएसटी से रेट बढ़ गए हैं।

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फाइल फोटो- गाँव कनेक्शन 

देश की थोक महंगाई दर अगस्त में बढ़कर हुई 3.24 फीसदी

उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के मुताबिक, जुलाई में थोक महंगाई दर 1.88 फीसदी रही थी,जबकि अगस्त 2016 में यह दर 1.09 फीसदी थी। अगस्त 2017 की थोक महंगाई दर 3.24 फीसदी रही है, जबकि जुलाई में यह 1.88 फीसदी थी और अगस्त 2016 में 1.09 फीसदी थी। इस वित्त वर्ष की महंगाई दर 1.41 फीसदी रही है,जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.25 फीसदी थी। टैक्स लगने से अनाजों की ब्लैक मार्केटिंग बंद होने की बात कहते हुए फिक्की के प्रमुख (उत्तर प्रदेश ) अमित गुप्ता बताते हैं,“ट्रेडमार्क लगे हुए अनाजों पर पांच फीसदी टैक्स लगने से कंपनियों को अपना हर उत्पाद, निश्चित टैक्स दर पर व्यापारियों को देना होगा। पहले माल निकालने के लिए कंपनियां अलग-अलग रेट पर अनाज़ बेच लिया करती थीं, लेकिन अब जीएसटी लगने से यह प्रक्रिया पारदर्शी हो गई है और अनाजों की काला बाज़ारी काफी हद तक कम हो गई है।”

अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने खाद्यों पर पांच फीसदी टैक्स लगने से ग्राहकों को नुकसान न होने की बात कही है। परिसंघ ने कहा कि सरकार ने ब्रांडेड दालों और अनाजों पर पांच फीसदी टैक्स दर रखा है। इससे ‘ पैक्ड अनाज ‘ यानी बंद बोरियों में बिकने वाले अनाज महंगे होंगे। अमूमन ग्राहक अनाज कम मात्रा में लेता है, इसलिए उसे फैसले से नुकसान नहीं होगा। जीएसटी से थोक व्यापारियों को नुकसान हो सकता है, जो सामान बड़ी मात्रा में लेते हैं।

जीएसटी से दाल व राइस मिलों को हो रहा नुकसान-

सरकार ने ब्रांडेड आनाज़ों को अब जीएसटी के दायरे में शामिल करते हुए कंपनी के ट्रेडमार्क या ब्रांड का नाम से बिकने वाले राशन पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया है। इससे लोकल स्तर पर राशन बेचने वाले व्यापारी परेशान हैं। सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक परेशानी दाल व चावल मिलों के व्यापारियों को हो रही है।

लखनऊ के शहादतगंज क्षेत्र में जीतेंद्र राइस मिल के मालिक जीतेंद्र कुमार राठोर बताते हैं,” टैक्स लगने से लोकल मिलों में बना हुआ चावल भी मंहगा बिक रहा। पहले हमें लगा था कि इससे हमारा फायदा होगा। लेकिन बाज़ार में दावत, इंडियागेट और कोहिनूर जैसे बड़े ब्रांड वाले चावल भी हमारे रेट से पांच से दस रुपए मंहगे बिक रहे हैं। इससे कस्टमर हमारा चावल न खरीदकर बड़ी कंपनी वाले चावल खरीद रहा है, जिससे हमारी ब्रिक्री घट रही है। ”

किन खाद्यों पर लगा है जीएसटी दर –

सरकार ने एक जुलाई से लागू जीएसटी में ब्रांडेड उत्पादों पर पांच फीसदी टैक्स तय किया है। यानी कि ग्राहकों को किसी भी ब्रांड का आटा, चावल, दाल, चीनी, मसाला जैसे रसोई के सामान पर पांच फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। सरकार की ये जीएसटी दरें ट्रेडमार्क लगे सभी खाद्य उत्पादों पर लागू होगी।

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