बासमती की कीमत पिछले एक सप्ताह में लगभग चार प्रतिशत बढ़ी है। सकारात्मक खबर के कारण इसकी कीमतों में लगातार तेजी आ रही है। जो कीमत सप्ताहभर पहले 7500 (प्रति कुंटल) रुपए के आसपास थी, वो अब 7850 तक पहुंच गयी है। बासमती को लेकर सकारात्मक खबर ये है कि ईरान इसके निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे व्यापारियाें आैर कुछ हद तक किसानों को भी लाभ मिलेगा।
भारतीय बासमती चावल के सबसे बड़े खरीददार ईरान ने इस पर लगाया बैन हटा लिया है। पिछले लगभग पांच माह से ईरान ने भारत से बासमती चावल खरीदने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। प्रतिबंध हटने से भारतीय घरेलू बाजार में बासमती चावल के दाम में बढोतरी होने की संभावना है।
भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक
दुनिया के 70 प्रतिशत बासमती चावल की उपज भारत में ही होती है। भारत के बाद पाकिस्तान का नंबर आता है। भारत ही यूरोपीय संघ और शेष विश्व में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। 2015-16 में भारत ने 22,727 करोड़ रुपए मूल्य के बराबर 40,05,000 टन बासमती चावल का निर्यात किया जिसमें से 1,930 करोड़ रुपए (तीन अरब डॉलर) मूल्य के बराबर 3,80,000 टन यूरोपीय संघ के देशों में गया।
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वहीं वर्ष 2016-2017 के दौरान विश्व को 21,604.58 करोड़ रुपए (यानि 3,230.24 अमेरिकी मिलियन डॉलर) मूल्य का 40,00,471.56 मीट्रिक टन बासमती चावल निर्यात किया था जिसमें प्रमुख रूप से सउदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और कुवैत में बड़ी मात्रा में बासमती चावल गया था। ऐसे में इस सला बासमती धान की खेती और पैदावार घटने से चावल के निर्यात पर असर पड़ेगा।
ईरान ने बासमती से प्रतिबंध हटाने की सैद्धांतिक सहमति आठ जनवरी को ही कर दी थी। अभी तक इस बारे में नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। एक्सपोर्टर्स और कंपनियों के पास ईरान से पूछताछ आने लगी हैं। कुछे ने तो कॉन्ट्रैक्ट साइन करना भी शुरू कर दिया है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स के प्रेसिडेंट मोहिंदर पाल जिंदल ने कहा “ईरान से भारत के किसानों के लिए अच्छी खबर आयी है। हालांकि अभी ईरान की तरफ से इंडियन चावल के इंपोर्ट की इजाजत देने वाला नोटिफिकेशन नहीं आया है, लेकिन ये आने वाला है। क्योंकि हमारे पास आॅर्डर आ रहे हैं। ये कारोबारियों और एक्सपोर्टर्स के लिए अच्छी खबर है। मार्केट में बासमती चावल की मांग अब बढ़ेगी।”
ईरान में हर साल तीन मिलियन टन चावल की खपत है, जबकि उसका घरेलू उत्पादन 2.2 मिलियन टन है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक ईरान हर साल 10 लाख टन बासमती चावल का आयात (इंपोर्ट) करता है। इसमें से करीब 7 लाख टन बासमती चावल का आयात भारत से होता है। ऑयल इंडिया चावल एसोसिएशन के अध्यक्ष एमपी जिंदल बताते हैं “यह प्रतिबंध अस्थायी होता है। प्रतिबंध लगने सेचावल की कीमतों पर दबाव जरूर बढ़ता है।
हर साल जब फसल बाजार में आने वाली होती है तो ईरान अपने किसानों के फायदे के लिए इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा देता है और आयात पर बैन लगा देता है। ईरान हर वर्ष इंपोर्ट डयूटी 40-50 फीसदी कर देता है। पिछले साल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब प्रतिबंध हटने से किसानों को फायदा होगा और बासमती की कीमतों में तेजी आयेगी।