किसानों के लिए अच्छी ख़बर : मसूर और चने पर अब 30% आयात शुल्क

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नई दिल्ली। दलहन उगाने वाले किसानों के लिए अच्छी ख़बर है। केंद्र सरकार ने चने और मसूर तुरंत प्रभाव से 30 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया है। यानि अब विदेश से सस्ती दालें नहीं आ पाएंगे, जिससे देश के किसानों को फायदा होगा।

गुरूवार के अपने फैसले में वित्त मंत्रालय ने कहा, आने वाले रबी सीजन में चना और मसूर की दाल का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में अगर दाल का सस्ता आयात किया गया तो किसानों के हित प्रभावित होंगे। इन सभी कारकों को नजर में रखते हुए और किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

वर्तमान में तुअर दाल पर 10 पर्सेंट इंपोर्ट ड्यूटी है। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में पीली मटर पर 50 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है। हालांकि, अभी दूसरी दालों पर ना के बराबर आयात शुल्क हैं। इस साल दाल का रिकॉर्ड उत्पादन होने से घरेलू मार्केट में दाल की पर्याप्त उपलब्धता है। इसके बाद भी दाल आयात करने के फैसले पर सरकार का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाल की काफी कम कीमत चल रही है। इसके साथ ही सरकार गेहूं पर आयात शुल्क 20 से बढ़ाकर 30 कर सकती है।

जानकार इसे सरकार का सियासी फैसला भी मान रहे हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा चना और मसूर मध्यप्रदेश, राजस्थान, यूपी और बिहार में पैदा होता है। मध्य प्रदेश को चने का गढ़ कहा जाता है। ज्यादा रकबा और अच्छे मौसम के चलते इस सीजन में बंपर उत्पादन होने की उम्मीद है ऐसे में विदेश से अगर दालें आईं तो देश के किसानों को नुकसान होगा। दाल किसान पहले से कम रेट के चलते परेशान हैं। बिहार में मसूर दाल का लाखों टन का भंडार अच्छे रेट के इंतजार में हैं। मध्य प्रदेश में भी किसान कीमतों को लेकर परेशान हैं ऐसे में सरकार को चुनावी साल में नुकसान हो सकता था।

दिल्ली में रहने वाले एक वरिष्ठ कृषि पत्रकार ने गांव कनेक्शन को बताया, “देश में चने का रकबा तेजी से बढ़ा है, अकेले मध्य प्रदेश में ही 7 लाख हेक्टेयर करीब नए चना किसान हैं। जो गेहूं की खेती छोड़कर चना उगा रहे हैं क्योंकि चने की कीमत पिछले कुछ वर्षों में अच्छी रही है, हालांकि इस बार हालत बेहतर नहीं है। ऐसे में सरकार को ये फैसला लेना मजबूरी थी।” वो आगे बताते हैं, “फैसले से फिलहाल तो राहत मिलेगी, लेकिन कितनी ये कह नहीं सकते, क्योंकि तब तक तुअर दाल पर नियंत्रण नहीं होगा, दूरगामी परिणाम नहीं मिलेंगे।’

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चना और मसूर की दाल पर पिछले कई वर्षों से शुल्क शून्य था, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा था। दिल्ली में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ रमनदीप सिंह मान कहते हैं, “फिलहाल तो सरकार के इस फैसले से किसानों को राहत मिलेगी, क्योंकि विदेश से सस्ती चीजें नहीं आ पाएंगी। लेकिन सरकार को इस समस्या का स्थाई समाधान खोजना होगा। साथ ही सरकार को दालों की खरीद भी शुरू करनी होगी तभी यह फैसला धरातल पर दिखाई देगा।” वो आगे कहते हैं, किसान गुस्से में है इसका अंदाजा सरकार को गुजरात में जरुर हुआ होगा।

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