गेहूं की फसल कम दिन की है तो बारिश बन सकती है आफत

गेहूं की बुवाई

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 9781.681 हजार हेक्टयेर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है। अलग-अलग हिस्सों में गेहूं क्राउन रूट अवस्था में पहली सिंचाई भी शुरू हो चुकी है। कहीं-कहीं हल्की बारिश से किसानों को सिंचाई से राहत मिली है। लेकिन ऐसे में किसानों को सिंचाई पर विशेष सावधानी बरतनें की सलाह कृषि विभाग की तरफ से दी गई है। क्योंकि रबी सीजन की हल्की बारिश जहां फसलों के लिए लाभकारी है वहीं हल्की लापरवाही से यह आफत भी बन सकती है। साथ ही गेहूं के प्रारंभिक अवस्था में लगने वाली बीमारियों से बचाने का उपाय भी इस समय जरूरी है।

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के कृषि सलाहकार समिति के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह जारी की है। सलाहकार समित के अध्यक्ष डाॅ. आर के शर्मा ने बताया “इस समय सुबह के समय धुंध कम दिखाई दे रही है। दिन का अधिकतम तापमान सामन्य तौर पर जहां 20.3 डिग्री है वहीं न्यूनतत तापमान सामन्यतया 7.7 डिग्री सेल्सियस है। ऐसे में किसान अपनी पहली सिंचाई जरूर कर लें लेकिन ध्यान रहे यह सिंचाई हल्की हो।” उन्होंने बताया “जिन गेहूं की बुवाई काे 40 दिन हो गए हैं उसमें किसान नाइट्रोजन डालना शुरू कर दें। जिन जगहों पर 45 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश हुई हो वहां के किसान अभी सिंचाई न करें।”

गेहूं में बीमारियां भी ला सकता है गिरता तापमान

लखनऊ। जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई 40 दिन पहले की थी उन गेहूं में कल्ले निकलने शुरू हो गए हैं। यह ही वह समय होता है जब गेहूं में बीमारियों का पहला खतरा शुरू होता है। इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक बीएस त्यागी ने बताया “तापमान में गिरावट होने से गेहूं में पत्ती माहूं जिसे चापा भी कहते हैं रोग के आने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए किसानों काे सलाह दी जाती है कि इस समय गेहूं की पौधे की जांच नीचे से ऊपर तक अच्छी तरह से करें। इस बीमारी से गेहूं को बचाने के लिए किसान क्यूनालफोस नामक दवा की 400 मिली लीटर मात्रा को 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।” उन्होंने बताया कि यही वह समय होता है जब गेहूं के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, खरबाथू, जंगली पालक, मैणा, मैथा, हिरनखुरी, कंडाई, कृष्णनील, प्याजी, चटरी और मटरी जैसे खरपतवार पर भी आते हैं। यह गेहूं के पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में गेहूं को इनसे बचाने के लिए किसान कारफेन्ट्राजोन दवा का छिड़काव करें।

गेहूं की फसल

लक्ष्य से अभी कम हुई है गेहूं की बुवाई

उत्तर प्रदेश में फसलोत्पादन की रणनीति के तहत रबी अभियान 2016-17 में 9900 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जबकि 7 जनवरी, 2017 तक जो आंकड़े पूरे प्रदेश से कृषि विभाग को मिले हैं उसके मुताबिक अभी तक 9781.681 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है। पिछले साल मौसम अनुकूल नहीं रहने के कारण 9226.294 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी। इस साल विभाग ने 346.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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