लखनऊ। देश में पुष्प कृषि तेजी से उभरते हुए एक उद्योग के रूप में अपनी पहचान बना रही है। किसानों की आय में पुष्पोत्पादन की भूमिका बहुत तेजी से बढ़ रही है। जिसको देखते हुए देश में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पुष्पोत्पादन अनुसंधान निदेशालय, पुणे काम कर रहा है। यहां के निदेशक डॉ. रमेश कुमार ने बताया ” चीन के बाद भारत पुष्पोत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में लगभग 165500 हेक्टेयर भूमि पर फूलों की खेती की जाती है, जिसे और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। ”
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार की कृषि और प्रसंस्कृत खाद्दय उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 1685 हजार टन खुले फूल और 472 हजार टन कट फ्लावर का उत्पादन हुआ। जिसमें से विश्वभर में 22518.58 मीट्रिक टन पुष्प कृषि उत्पाद का निर्यात करके 479.42 करोड़ रुपए अर्जित गए।
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भारतीय फूलों की जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात में भारी मांग हैं। ऐसे में भारतीय फूलों की खेती (पुष्पकृषि) के बढ़ने की संभावना तेजी से बढ़ रही है। देश में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल प्रमुख पुष्पकृषि केंद्र के रूप में उभरे हैं। वहां की राज्य सरकारों ने केन्द्र की मदद से अपने राज्य में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं।
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पुष्पकृषि उत्पादों में मुख्य रूप से खुले पुष्प, पॉट प्लांट, कट फ़ोइलेज, सीड्स बल्बस, कंद, रुटेड़ कटिंग्स और सूखे फूल व पत्तियां सम्मिलित हैं। प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पुष्पकृषि में खुले गुलाब के फूलों का व्यापार, लाली, गुलदाउदी, गारगेरा, ग्लेडियोलस, जाइसोफिला, लायस्ट्रिस, नेरिन, आर्किड, अर्किलिया, अन्थुरियम, ट्यूलिप और लिलि हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड भी देश में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। बोर्ड ने गुलदाउदी, ग्लेडियोलस, चमेली, गेंदा और रजनीगंधा की खेती के लिए किसानों को मदद दे रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान फूलों की महत्वपूर्ण फसलों पर अनुसंधान करके फूलों की नई-नई किस्मों को विकसित कर रहा है। संस्थान ने गुलाब की 75 किस्मों को जारी किया है। इकसे अलावा ग्लेडियोलस की 13, एमेरिलिस, कार्नेशन, गेंदा, हॉलीहॉक, कोरीऑप्सिस, बोगेनविलिया की नई किस्मों से किसानों को अवगत कराया है।