राजधानी दिल्ली की आजाद मंडी समेत देश के सभी प्रमुख सब्जी मंडियों में भले ही टमाटर 14 रुपए किलो बिक रहा है लेकिन देश में टमाटर के सबसे बड़े उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश में किसान मंडियों में 50 पैसे प्रति किलो की रेट से टमाटर बेचने पर मजबूर हैं। स्थित यह है कि खेत में टमाटर की तुड़ाई से लेकर मंडी में ले जाने के लिए जो परिवहन खर्च होता है वह भी किसान नहीं वहन कर पा रहे हैं।
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इस जिले के असपारी गाँव के किसान जी. वीरन्ना ने बताया, ” मेंने 4 एकड़ में टमाटर की खेती में मैंने डेढ़ लाख रूपए लगाया था लेकिन मंडी में टमाटर का दाम इतना गिर गया है कि टमाटर तुड़ाई और मंडी ले जाने का भी पैसा नहीं है।”
यहां के टमाटर किसानों आरोप है कि बिचोलिए टमाटर के दाम पर गिराकर किसानों से औनेपोन दामों पर खरीद रहे हैं। यहां किसान राघवन रेड्डी ने कहा कि सरकार को इसमें दखल देकर टमाटर के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 5 से लेकर 9 रुपए प्रति किलो घोषित करना चाहिए। अगर ऐसेा नहीं होता है तो यहां के किसान दोबारा टमाटर की खेती करने लायक नहीं रहेंगे।
करनूल जिले के किसान और खेतिहर मजूदर संगठन के जिलाध्यक्ष के. जगन्नाथम ने बताया ” ऐसा पहली बार नहीं है जब यहां के टमाटर उत्पादक किसानों को टमाटर के दाम गिरने से मुनाफा तो छोड़िए लागत भी नहीं निकल रही बल्कि हर साल यहां पर ऐसा ही होता होता है। ”
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उन्हेांने बताया कि हर साल यहां के टमाटर उत्पादक किसान घाटे में जाकर कर्ज में डूब रहे हैं। किसानों के इस मुद्दे केा लेकर कई बार धरना-पद्रर्शन के जरिए सरकार तक आवाज पहुंचाने की कोशिश हुई है लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया।
आंध्रप्रदेश के करनूल जिले के पटीकोंडा और अलूर जिलों में हर साल हजारों एकड़ में टमाटर की खेती होती है। इस साल यहां पर 18 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती की गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों में यहां से टमाटर की आपूर्ति भी की जाती है, लेकिन यहां पर बिचौलियों का बहुत ही बड़ा नेटवर्क है जो किसानों को बर्बाद करने पर लगा है।
भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष श्रीराम गाडवे ने पुणे से फोन पर गांव कनेक्शन को बताया, ” एक किलो टमाटर पैदा करने में किसान को 5 से लेकर 8 रुपए की लागत आती है लेकिन जब किसान के बेचने की बारी आती है तो टमाटर का दाम घटा दिया जाता है। आढ़ती टमाटर की जमोखरी करके वही टमाटर कुछ दिनों में ज्यादा दाम पर बेचते हैं। ऐसे किसानों को सिर्फ नुकसान होता है। ”
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट के प्रोफेसर और क्वार्डिनेटर डॉ. राकेश सिंह के नेतृत्व में ” टमाटर मार्केट इंटेलीजेंस परियोजना ” के तहत पिछले 14 सालों में देशभर में टमाटर की पैदावार, मंडियों में टमाटर की आवक और मूल्यों का अध्ययन किया गया। जिसमें पता चला कि पिछले 14 सालों में देश में टमाटर की पैदावार तो बढ़ती रही लेकिन इसका लाभ न तो टमाटर उगाने वाले किसानों को हुआ और न ही आम उपभोक्ताओं को।”
उन्होंने बताया कि टमाटर की जमाखोरी करके व्यापारी और बिचौलियों ने टमाटर के नाम पर खूब पैसा बनाया। सरकार से लेकर विपक्ष तक ने टमाटर के नाम पर सिर्फ राजनीति की लेकिन टमाटर के नाम पर देश में क्या हो रहा है, इसकी सच्चाई कभी सामने लाने की कोशिश नहीं की।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डा. चंद्रसेन बताया ” भारत में विश्व का कुल 4.46 प्रतिशत टमाटर होता का उत्पादन होता है। देश में आलू और प्याज के बाद सबसे ज्यादा उपयोग टमाटर का ही होता है। देश में 767 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है, जिससे हर साल 16385 मीट्रिक टन टमाटर पैदा होता है लेकिन इसमें से आधा टमाटर भी देश में स्टोर करने की सुविधा नहीं है। ”
आंध्रप्रदेश में टमाटर के इस गिरे दामों को फायदा आम उपभोक्ताओं और दूसरी मंडियों केा नहीं हो रहा है। लखनऊ के दुबग्बा स्थित नवीन सब्जी मंडी के थोक सब्जी व्यवसायी शहनवाज अख्तर ने गांव कनेक्शन को बताया ” यहां की मंडी में टमाटर प्रति कैरेट 300 से लेकर 350 रुपए किलो बिक रहा है। एक कैरेट में 25 किलो टमाटर आता है। ऐसे में प्रति किलो 14 रुपए से लेकर 15 रुपए किलो टमाटर बिक रहा है।”