अमरकांत,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
बरेली। जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी. दूर नवाबगंज ब्लॉक के अलीनगर, तुलसीपुर, पचदौरा कला, रामपुर, धरथ जैसे लगभग 20 गाँव में किसान खीरा, मिर्च, लौकी, तोरई जैसी सब्जियों की खेती करते हैं। यहां पर ज्यादातर किसान खीरे की ही खेती करते हैं। पिछले वर्ष वर्ष खीरा का मूल्य न मिलने के कारण किसानों नें इस बार इसे कम क्षेत्रफल कियाI लेकिन इस बार झुलसा रोग से किसानों का नुकसान हो रहा है।
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अलीनगर गाँव के किसान इरफान (35 वर्ष) बताते हैं, “इस बार कम खीरा बोया है, लेकिन फसल में झुलसा रोग आ गया है, जिसके चलते किसानों ने उस पर नियंत्रण करने के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया, लेकिन झुलसा रोग नहीं रुक रहा है।”
वो आगे बताते हैं, “एक एकड़ में खीरा लगाया था, फसल अच्छी आई दाम भी मिले लेकिन झुलसा रोग के कारण मेरी पूरी फसल ख़राब हो गयी मैंने उसे खत्म करके अब लौकी लगा दी हैंI”
उसी गाँव के किसान रहमत अली बताते हैं, “हमारे खेत में बढ़िया फसल थी झुलसा के कारण पूरा खेत जल गया अब हम खेत ख़त्म करके दुबारा मचान विधि से खीरा करेंगेI यह फसल जून में मिलेगीI इस बार खीरा में हम किसानों को बहुत ही घाटा हुआ हैI”किसान हेल्प के प्रमुख डॉ. आरके सिंह बताते हैं, “समय से पूर्व की जाने वाली लता वर्गीय फसलों पर उच्च आर्दता के कारण विषाणु का हमला होता है। खीरे पर मोजैक विषाणु का आक्रमण मुख्य रूप से होता है।
रोग के प्रभाव से पत्तियों पर पीले धब्बे पड़ जाते है और पत्तियां सिकुड़ जाती है अंत में पत्तियां पीली होकर सुख जाती है फलों पर हल्की कर्बुरण से लेकर मस्सेदार वृद्धि तक दिखाई पड़ती है फल आकार में छोटे टेढ़े-मेढ़े, सफ़ेद और कम संख्या में बनते है यह रोग मुख्य रूप से एफिड व सफ़ेद मक्खियों द्वारा फैलता है।
कैसे करें रोकथाम
इसके रोकथाम के लिए दो से तीन के बीच में सिंचाई करते रहना चाहिए, फसल के चारों के आरे ट्राईको कार्ड लगाए, प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें। प्रभावित पौधे को उखाड़ कर खेत से दूर मिट्टी में दवा देI 15 दिन के अतंराल में कीटनाशक रोगर या मैटासिस्टाक्स दो मिलीलीटर प्रति ली की दर से छिड़काव करें।
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