लखनऊ। देश में चने का स्टॉक लगभग ख़त्म होने की कगार है। आवक घटने की वजह से पहले ही चने की कीमतों में आग लगी हुई है। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के सेक्रेटरी एस पी गोयनका कहते हैं, ”कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह फसलों का खराब होना है। भारत में चने की सालाना खपत करीब 95 लाख टन है। पैदावार सिर्फ 50 लाख टन है। हर महीने की खपत करीब साढ़े आठ लाख टन है यानि हमारे यहां सिर्फ छह महीने का ही कोटा पैदा हुआ था जो अब लगभग खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में बाक़ी के छह महीने कैसे काम चलेगा। जब चना हमारे पास है ही नहीं तो कीमतें तो बढ़ेंगी ही।”
वो आगे बताते हैं, ”सरकारी आंकड़े कहते हैं कि देश में 80-90 लाख टन चना पैदा हुआ है जबकि असल आंकड़ा 50 लाख टन का है। माल की बहुत शॉर्टेज है भारतीय बाज़ारों में।”
घरेलू हाज़िर बाजार में फिलहाल चना 8300-8400 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर कारोबार कर रहा है। इसकी वजह मंडियों में चने की आवक थमना बताई जा रही है, जिससे चने की कीमतों में आगे और तेजी देखने को मिल सकती है। हाजिर बाजार में चना 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंचने की भी आशंका है।
मध्य प्रदेश से चने की सप्लाई रुकी
दिल्ली के चना कारोबारी बालकृष्ण (40 साल) बताते हैं, ”बीते दो साल से चने की पैदावार कुछ ज्यादा नहीं हुई है। राजस्थान का माल तो बाज़ार में आ रहा है लेकिन मध्य प्रदेश का चना फिलहाल कुछ समय से बाज़ार में नहीं आ रहा है। अभी मध्य प्रदेश का चना 78 रुपये प्रति किलो और राजस्थान का चना 83 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। यही हाल रहा तो कीमतें 90 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच सकती हैं। दो महीने के बाद इंपोर्ट का माल जब बाज़ार में आएगा तो मुमकिन है कि कीमत पर थोड़ा लगाम लगे। राजस्थान सरकार के पास काफ़ी माल है, लेकिन बाज़ार में माल की कमी है।”
मोजांबिक से दाल आयात का समझौता
सरकार ने मोजांबिक से 1 लाख टन दाल आयात करने के लिए करार किया है। इसके अलावा सरकार ने इस लक्ष्य को 2020 तक 2 लाख टन करने का निर्णय भी लिया है। ये आयात या तो मान्यता प्राप्त प्राइवेट चैनल से होगा या फिर सरकार से सरकार के बीच किया जा सकेगा। इसके अलावा सरकार म्यांमार से भी दाल इंपोर्ट के विकल्प तलाश रही है। सरकार ने इसके लिए एक टीम म्यांमार भेजी है।
राजस्थान में 7,800 रु/क्विंटल भाव
राजस्थान में चना 7800 रुपए प्रति क्विटंल पर बिक कर रहा है। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान चने का दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इस साल राजस्थान में भी चने का रकबा घटा है।