लखनऊ। भारत दुनिया में फल और सब्जियों के उत्पादन में विश्व का सबसे बड़ा देश बन सके और बागवानी कर रहे किसानों को लाभ मिल सके इसके लिए कृषि विभाग भारत सरकार की तरफ से चमन परियोजना चलाई जा रही है। रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बागवानी को बढ़ाने वाली इस परियोजना को रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट- कोआर्डिनेटेड हॉर्टिकल्चर एसेसमेंट एंड मैनेजमेंट यानि चमन नाम दिया गया है।
चमन एक अग्रणी परियोजना है जो तीन साल पहले केन्द्र सरकार की तरफ से शुरू की गई है। इस बारे में जानकारी देते हुए महालनोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर, (एमएनसीएफसी) नई दिल्ली के निदेशक डॉ. शिबेंदु शेखर रॉय ने बताया ” यह परियोजना महालनोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटरके जरिए रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कार्यान्वित की जा रही है और मार्च 2018 में पूरी होने की संभावना है।”
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चमन एक ऐसी परियोजना है जिसमें किसान की आय बढ़ाने के लिए और बागवानी क्षेत्र के सामरिक विकास के लिए सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों पर रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जो के विश्वसनीय अनुमान तैयार करने की एक वैज्ञानिक पद्धति है।
रिमोट सेंसिंग तकनीक किसानों को बागवानी फसलों के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान चिन्हित करके सही फसल पैदा करने में मदद करती है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो। इस परियोजना के पूरा होने पर देश के सभी राज्यों में सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के लिए विकसित की जाने वाली पद्धति को कार्यान्वित किया जाएगा। देश में सभी प्रमुख बागवानी उत्पादक राज्यों में भू-स्थानिक अध्ययन किए जाएंगे और रिमोट सेंसिंग तकनीकि के जरिए भविष्य में अन्य बागवानी फसलों का भी आकलन किया जाएगा।
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भारत की विविध जलवायु ताजा फल और सब्जियों के सभी किस्मों की खेती लिए उपयुक्त है। भारत दुनिया में चीन के बाद फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह विश्व में केला, आम, नींबू, पपीता और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्ष 2015-16 के दौरान, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के डेटाबेस के अनुसार भारत में फलों का उत्पादन 86.602 मिलियन टन और सब्जियों का उत्पादन 169.478 मिलियन टन हुआ था।
देश में फलों की खेती 6.110 मिलियन हेक्टयर में की गई जबकि सब्जियों की खेती 9.542 मिलियन हेक्टयर क्षेत्र में की गई थी लेकिन इसके बाद भी फल और सब्जियों के विश्व बाजार में भारत का योगदान लगभग एक प्रतिशत ही है। ऐसे में चमन परियोजना के जरिए देश के बागवानी को बढ़ावा मिलने के साथ ही फल और सब्जियों के उत्पादन और विपणन में भारत विश्व का सिरमौर बन सकता है।