हाईटेक कृषि मशीनों का खेती में दायरा बढ़ा , कंपनियों के लिए मौका भुनाने का सही समय

कृषि यंत्र

खेती में प्रति हेक्टेयर फसल की ज़्यादा पैदावार लेने के लिए किसान तरह तरह के आधुनिक कृषि यंत्रों को प्रयोग कर रहे हैं। कृषि में बढ़ रही मशीनरी से न केवल किसानों का काम आसान हुआ है, बल्कि इससे जुड़ी निजी कंपनियों के लिए भी तरक्की से रास्ते खुल रहे हैं। आइये जानते हैं कि देश में निजी कंपनियां कैसे किसानों की मदद कर रही हैं।

महाराष्ट्र के कई गाँवों में बागवानी फसलों की खेती कर रहे किसानों के साथ काम कर रही ग्रीव्स कॉटन कंपनी किसानों को उनकी फसल के अनुसार उनके खेतों में आधुनिक कृषि यंत्रों को चलाने की ट्रेनिंग देती है। इसके बाद उन्हें सस्ते दर पर कृषि यंत्र खरीदने में मदद भी करती है। इस कंपनी के देशभर में 3,000 से अधिक आउटलेट स्टोर हैं , जहां किसान किफायती कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। यह कंपनी कंपनी खेती में प्रयोग होने वाले किफायती पोरटेबल इंजन सेट, पॉवर टिलर, रीपर, स्प्रेयर, ट्रांस प्लांटर, वीडर और ब्रश कटर जैसे यंत्र बना रही है।

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इस कंपनी के महाप्रबंधक शिवा साहू बताते हैं,” तकनीक से अछूते रह जाने के कारण अधिकतर छोटे किसान खेती में काफी समय लगा देते हैं और उन्हें मनमुताबिक लाभ भी नहीं मिल पाता है। अभी किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के बारे बहुत कुछ बताना बाकी है, किसान इन यंत्रों के बारे में सीखेंगे, तो उन्हें नए कृषि यंत्र खरीदने की आदत भी बढ़ेगी।”

खेती व पशुपालन क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ रही मशीनों की मांग। 

सरकार की तरफ से जारी की गई कृषि मशीनीकरण रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, तिलहन, दलहन और मक्के के लिए तकनीकी अभियान, बागवानी के लिए प्रौद्योगिकी अभियान, कपास प्रौद्योगिकी अभियान और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान की मदद से किसानों को कृषि के उपकरण और मशीनों को खरीदने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में मिट्टी के काम और बीज की तैयारी करने के काम में 40 प्रतिशत , बुवाई और रोपण के काम में 29 प्रतिशत , पौध संरक्षण कार्यों में 34 फीसदी और सिंचाई के काम में 37 प्रतिशत हिस्सा मशीनीकृत किया गया है ।

” हमारी कंपनी लगातार महिंद्रा व कृषि यंत्र बनाने वाली बड़ी कंपनियों के साथ काम कर रही है। इन कंपनियों की मदद से हम छोटे कृषि यंत्र बना रहे हैं, जिससे इनका लाभ सीमांत किसानों को मिल सके। हमने बागवानी किसानों के लिए 14 एचपी तक की रेंज का पावर टिलर और पांच से आठ एचपी क्षमता की वीडर मशीन बनाई है , जो किसानों के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। ” शिवा साहू आगे बताते हैं।

डेयरी क्षेत्र से जुड़े पशुपालक इस समय मिल्किंग मशीन, तेज़ी से हरा चारा तैयार करने वाली मशीन और वेस्ट डिस्पोज़ल मशीन का प्रयोग कर रहे हैं। कृषि के साथ साथ पशुपालकों का काम आसान करने के लिए इन मशीनों के निर्माण में वेनसन टेक्नोलॅाजी प्राईवेट लिमिटेड , गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड, आयुर्वेट और होंडा पावर जैसी कंपनियां आगे आई हैं।

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डेयरी क्षेत्र के लिए आधुनिक मशीनों की निर्माण कर रही कंपनी वेनसन टेक्नोलॅाजी प्राईवेट लिमिटेड कंपनी के सेल्स मैनेजर मनोज वर्मा ने बताया, “ डेयरी में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे मिल्किंग मशीन, गाय कब हीट में है, यह पता लगाने की मशीन, मिल्किंग पार्लर, मिल्क मीटर जैसी कई प्रकार की मशीने हमसे कई राज्यों के पशुपालक खरीद रहे हैं। इन मशीनों के ज़रिए पशुपालक पहले से बेहतर ढंग से पशुओं का ध्यान रख पा रहे हैं।”

केंद्र सरकार ने देश में पशुपालन क्षेत्र में आधुनिक मशीनों का प्रयोग बढ़ाकर पशुपालकों की आय दोगुनी करने के लिए वर्ष 2016 -17 में नेश्नल प्रोग्राम फॉर डेयरी डेवलपमेंट के तहत कई पशुपालन आधारित कृषि कंपनियों के साथ समझौता किया है और इस प्रोग्राम में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए अलग से 110 करोड़ रुपए का बजट भी निर्धारित किया है।

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