लखनऊ। उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वर्ष चीनी के दामों बढ़ोत्तरी की उम्मीद
है। वही इस वर्ष चीनी के दाम काफी कम रहे है।
गन्ने की खेती से ख़ास
मुनाफा नहीं मिलने से किसान गन्ने की फसल से किनारा कर रहे है। चीनी मिलों द्वारा किसानों को बकाए का समय
पर भुगतान नहीं होना व उन्हें अपने फसल की उचित कीमत नहीं मिलने की वजह से किसान
गन्ने की बजाय दूसरी फसलों का रुख कर रहे हैं।
आकड़ों के अनुसार वर्ष
2014-15 में चीनी का उत्पादन दो करोड़ 83 लाख टन था वहीँ चालू चीनी सत्र में दो
करोड़ 70 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद जताई जा
रही है। जोकि पिछले वर्ष के आकड़ों के मुताबिक 10 लाख टन कम हैं।
घरेलू उत्पादन में
कमी के चलते आक्रमक चीनी निर्यात नीति से अगले साल गर्मियों तक चीनी की घरेलू
कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। खराब मानसून के कारण महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में चीनी
उत्पादन काफी तेजी से नीचे गिरा है। हालांकि चालू उद्योग संगठन ने यह साफ कर दिया
है कि अभी चालू सत्र में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।