कई राज्यों में बारिश व ओला वृष्टि से गेहूं के साथ ही दूसरी कई फसलों की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, ऐसे में किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर अभी भी नुकसान से बच सकते हैं।
किसानों के ऐसे ही कई सवालों के जवाब इस हफ्ते के पूसा समाचार में दिए गए हैं। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते किसानों के लिए पूसा समाचार जारी करता है। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ राजवीर यादव किसानों को फसल बचाने की सलाह दे रहे हैं।
देश के विभिन्न हिस्सों मे पिछले कुछ हफ्तों मे बारिश से गेहूं के गिरने की और ओले गिरने के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। अगर फसल पकने के नजदीक हो तो नमी को सूखने के बाद ही कटाई करें। जब गेहूं की कटाई करें तो उनमें आर्द्रता 9 से 10 होनी चाहिए जितनी आर्द्रता ज्यादा होगी तो उसमें स्टोरेज करने की क्षमता ज्यादा होगी अगर स्टोर घर पर करना हैं तो उसे कम से कम आर्द्रता के सूखाने और थ्रेसिंग के बाद उसे स्टोर करें।
एक दूसरी चिंता की बात है कि जहां पर फसल हरी है और वो भरपुर ढंग से पके नहीं होते है वहां पर चिंता का विषय ये है कि गेहूं की बाली मे बारिश के बाद नमी के साथ करनाल ब्लंट रोग होने का खतरा होता हैं और गेहूं की क्वालिटी का नुकसान होता है और उसका कम पैसा होता मिलता है। उसका बचाव करने के लिए करनाल ब्लंट आयी है य़ा नहीं आयी है स्प्रे करना चाहिए। लेकिन आप कोशिश कर सकते हैं अगर आप के वहां नमी बढिया हैं तो प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) का स्प्रे कर लें 100 150 एमएल प्रति 125 लीटर पानी प्रति एकड़, अगर हफ्ता 10 दिन है अभी गेहूं बढ़ने में है स्प्रे कर लेना चाहिए।
और दूसरा जहां पछेती फसल है, और फसल गिर गई है तो वो वापस 5-6 दिन मे खड़ी हो जायेगी उसमें इतनी चिंता नहीं होती है। हां ये जरुरी होता है ये क्या परेशानी है जो बार बार हाई रेन और लॉजिंग है इसके लिए किसान क्या उपाय करें जिससे कम कम नुकसान हो। मैं पिछले 12 सालों से एक ही बात बोले जा रहा हूं कि जीरो मे बिना जुताई के बुवाई करें, मैं ये नहीं कहता कि जीरो उसे गिरने नहीं देगा, लेकिन जीरो से गिरने की संम्भावना कम होगी और जो उसमे पानी भरने कि समस्या है वो भी कम जायेगी तो अगर आप धान के बाद गेहूं की बोवाई की करते है तो जीरो ही करें जिससे की पानी सीधे जड़ मे उतर जाये और तेज हवा मे कम झुके या कम गिरे।
अगर मिट्टी मे बाइंडिंग कैपेसिटी कमजोर है तो उसमे ध्यान रखें कि आप उसमें ज्यादा नाइट्रोजन ना डाले पौधौ की संख्या जरा कम रखें जो आगे के लिए बचा कर रखें।
दूसरी फसलों के किसान करें ये जरूरी उपाय
पूसा संस्थान के वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार किसानों को गेहूं के साथ ही दूसरों फसलों को बचाने की सलाह दे रहे हैं। इस मौसम की वजह से फसलों को काफी नुकसान होता है फसलें गिर सकती हैं सरसों के दाने झीटक सकते हैं।
लेकिन फसलों को नुकसान तो है लेकिन कभी कभी फायदा भी है जैसे दुग्ध अवस्था में गेहूं की फसल में पानी नहीं लगाना पड़ता। अगर बरसात अच्छी हो गयी लेकिन वहीं ज्यादा पानी भर गया सरसों का हो या सब्जी का हो किसी प्रकार की फसल हो जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए।
अगर फसल को सिंचाई की जरुरत है तो फिर उसे टाल दें मौसम की जानकारी लेने के बाद ही आगे की क्रिया कलाप आगे बढ़ाएं। ऐसे ही कुछ कीट व बीमारी के लिए आ जाते हैं। इसलिए किसी प्रकार का छिड़काव करना होता है इसे हमेशा साफ मौसम मे करना होता हैं जब बारिश आने का अन्देशा हो तब छिड़काव को टाल देना चाहिए।
साथ ही साथ अन्य फसल हैं जैसे कि चना, मसूर, मटर इनकी कटाई की व्यवस्था जल्द से जल्द कर लें। कटाई के समय भी आपको मौसम का ध्यान देना पड़ता है। अगर कटाई के समय बारिश का अनुमान है तो कटाई को टाल देना चाहिए और सही मौसम मे कटाई कर लें सुखाकर और उसे खलियान में भी रख सकते हैं। उसे ढक कर दें जिससे बारिश का कुप्रभाव ना पड़े।
दूसरी तरफ इस बरसात का हम फायदा ले सकते हैं, खासकर हमारी उर्द, मूंग और सब्जियों की बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।