खरगोश से फसल बचाने का मुफ्त का तरीका, खेत के पास भी नहीं आएंगे खरगोश

अगर आप भी खरगोश के झुंड से परेशान हैं और फसल बचाना चाहते हैं, तो ये उपाय आपके लिए भी कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि इसके लिए किसान को कुछ खर्च भी नहीं करना होता है।
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सीतापुर(उत्तर प्रदेश)। जंगली सुअर, नीलगाय और छुट्टा जानवरों की तरह ही खरगोश भी किसानों के लिए मुसीबत बन रहे हैं, एक ही रात में खरगोश पूरी फसल बर्बाद कर जाते, लेकिन बिना किसी खर्च के किसान अपनी फसल खरगोश से बचा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में नौनेर गाँव के किसान सुमित सिंह भी खरगोश के आतंक से परेशान थे, केले की नई पौध को खरगोश काट देते थे। सुमित बताते हैं, “हमारे खेत में खरगोश की बहुत समस्या थी, जिसकी वजह से हम बहुत परेशान थे। हमारे क्षेत्र में खरगोशों का आतंक बहुत है जिससे कि किसान भाई बहुत परेशान हैं मैंने एक एकड़ केले की पौध की रोपाई जुलाई माह में की थी लेकिन खरगोशों के झुंड ने मानो मेरे खेतों पर धावा बोल दिया हो।

वो आगे कहते हैं, “खरगोश खेतों में लगे नाजुक केले के पौधों को कुतरकर पूरी तरीके से बर्बाद कर रहे थे। हमने कई तरह रसायनों का भी छिड़काव किया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला, परेशान होकर उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव से मिलकर उनसे पूरी परेशानी बतायी।”

“डॉ श्रीवास्तव ने उन्हें खेतों में गोबर के उपले/कंडे 25 से 30 प्रति एकड़ कुछ दूरी पर खड़ा करने की सलाह दी। जैसे ही उन्होंने यह तकनीक अपनाई उनके खेतों से खरगोश आना बंद हो गए।, “सुमित सिंह ने आगे बताया।

कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव बताते हैं, “वनों के कटान, बाढ़, से जंगली जानवरों का आतंक किसानों के खेतों पर मंडराने लगा है। बाढ़ और जंगलों के कटान ने जंगली जानवरों के घरों को तबाह करने के साथ-साथ उनके भोजन का संकट पैदा कर दिया है, जिससे उनका रुख खेतों पर दिखाई देने लगा है, अभी तक किसानों को नीलगाय, छुट्टा जानवर, जंगली सुअर ने परेशान कर रखा था, लेकिन इन दिनों जनपद के किसानों के खेतों में खरगोशों का आतंक दिखाई देने लगा है।”

खरगोश से फसल बचाने की तकनीक के बारे में डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं, “हर जानवर दूसरे जानवर से डरता है, ऐसे में यदि किसान गोबर के उपले को खेतों में कई जगहों पर खड़ा कर दें तो खरगोशों को यह लगता है कि कोई खतरनाक जानवर पहले से ही खेतों में मौजूद है, जिससे वह डर कर खरगोश का झुंड खेतों के आसपास नजर नहीं आते।”

“जंगली जानवरों के प्रकोप से अगर बचना है तो उनके स्वभाव के अनुरूप तकनीक अपनानी होगी। उन्हें मारने के बारे में हमें नहीं सोचना चाहिए यह प्रकृति और नियम के विरुद्ध है, “डॉ डीएस श्रीवास्तव ने आगे कहा।

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