गुजरात में फसल बर्बाद कर रहा कातरा कीट, समय रहते करें नियंत्रण

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लखनऊ। “दो दिन पहले फसल देखी थी तो एक-दो कीट दिखे थे, लेकिन दो दिन में कातरा कीट ने लौकी की पूरी फसल बर्बाद कर दी, पूरे गाँव में पचास बीघा से अधिक फसल कीट से प्रभावित है, “गुजरात के पंचमहाल जिले के कंडाच गाँव के किसान विनोद पटेल बताते हैं।

विनोद पटेल ने ढाई बीघा में लौकी की फसल लगाई थी, लेकिन कातरा कीट देखते ही देखते पूरी फसल चट कर गए। बारिश के बाद कातरा कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। ये कीट मूंग, बाजरा, ग्वार, लौकी जैसी कई फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। साल 2016 में भी कातरा ने गुजरात के कई जिलों में फसल को नुकसान पहुंचाया था।

चेतन पटेल फोन पर बताते हैं, “कीटों ने लौकी की फसल को नुकसान पहुंचाया है, फसल के बर्बाद होने से फसल लेट हो जाएगी, जिससे दीवाली के समय बोने जाने वाली मक्का की फसल बुवाई में देरी हो जाएगी।”

ऐसे करें कातरा की पहचान

कातरा (रेड हेयरी कैटर पिलर) का प्रकोप सबसे ज्यादा दलहनी फसलों में होता है, बारिश के बाद ही ये तेजी से बढ़ते हैं। इसके हल्के भूरे लार्वा कलियों, पत्तियों और टहनियों को खा जाते हैं। नम वातावरण और सामान्य ताममान में ये तेजी से बढ़ते हैं। परिपक्व लार्वा लाल रंग के बालों के साथ लाल-भूरे रंग के होते है, इस अवस्था में ये तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं।


कातरा से बचाएं फसल

गुजरात के पंचमहाल स्थित केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह सुझाव देते हैं, “इसको मारने के लिए खेत में रात के समय रोशनी करें, उसके नीचे किसी पात्र में पानी भरकर मिट्टी का तेल डाल दें, वयस्क पतंगे उसमें गिरकर मर जाएंगे। क्योंकि ये रात में ही ज्यादा सक्रिय होते हैं।”

वो आगे कहते हैं, “खेत के चारों ओर खाई खोदकर उसमें दो प्रतिशत मिथाइन पेराथियान चूर्ण का बुरकाव करें। कातरा होने पर क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत या मिथाइन पेराथिऑन दो प्रतिशत चूर्ण छह किलो प्रति बीघा भी बुरकाव कर सकते हैं। पानी की सुविधा हो तो डाइक्लोरोभ्स 50 ईसी 75 एमएल या मिथाइन पेराथिऑन 50 ईसी 300 एमएल या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 300 एमएल प्रति बीघा की दर से छिड़काव कर कातरे पर नियंत्रण किया जा सकता है।”

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