फलों और सब्जियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखेगा उपकरण, बढ़ेगी किसानों की आमदनी

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह सस्ता उपकरण फसलों के उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान से बचा सकता है। यह उपकरण फलों और सब्जियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है, और बिजली की कटौती से प्रभावित कोल्ड स्टोरेज के विपरीत, यह उपकरण सौर ऊर्जा पर काम करता है।
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भारत में उत्पादित कुल फलों और सब्जियों का लगभग 30 प्रतिशत हर साल बर्बाद हो जाता है, लगभग 40 मिलियन टन फलों और सब्जियों के बर्बाद होने से 965.39 बिलियन रुपये का नुकसान होता है। बागवानी वैज्ञानिकों के स्वतंत्र संगठन इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर हॉर्टिकल्चरल साइंस के अनुसार मुख्य रूप से कृषि उपज को खराब होने से बचाने के लिए उचित भंडारण और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ता है।

इस समस्या का हल निकालने के लिए, भारतीय वैज्ञानिक फलों और सब्जियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिएअपनी तरह का पहला नवाचार लेकर आए हैं। यह कोल्ड स्टोरेज का एक ऊर्जा कुशल और सस्ता विकल्प है, जिसे विशेष रूप से किसानों द्वारा उपयोग के लिए विकसित किया गया है।

‘शेल्फ लाइफ एन्हांसर’ नाम के इस उपकरण की मदद से देश में भंडारण, परिवहन और वितरण सुविधाओं की कमी के बावजूद फसल उत्पादन के बाद से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

डिवाइस कैसे काम करती है के बारे में बताते हुए, नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च के शोधकर्ता, जगदीस गुप्ता कापुगंती, जिन्होंने इसे विकसित किया है, ने कहा, “फलों और सब्जियों का नुकसान उपज के अधिक पकने के कारण होता है, जो एथिलीन के बढ़े हुए स्तर से होता है। एथिलीन, एक गैसीय घटक होता है, जिससे फल और सब्जियां पकते हैं।”

“इस समस्या का समाधान करने के लिए, हमने एक फॉर्मुला विकसित किया है (जिसे डिवाइस के अंदर रखा गया है) जो प्राकृतिक संसाधनों से बहुत कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पन्न कर सकता है। नाइट्रिक ऑक्साइड एथिलीन का अवरोधक है”,कापुगंती ने गांव कनेक्शन को समझाया। वह उस टीम का नेतृत्व करते हैं जो पिछले दो वर्षों से नवाचार पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, “सीधे शब्दों में कहें तो शेल्फ लाइफ बढ़ाने वाले फलों और सब्जियों के पकने में देरी करते हैं जिससे उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।”

जगदीस गुप्ता कापुगंती (बीच में) उस टीम का नेतृत्व करते हैं जो पिछले दो वर्षों से नवाचार पर काम कर रही है।

इस उपकरण के बहुत से फायदें हैं, उदाहरण के लिए, डिवाइस का उपयोग करने से केले और टमाटर की शेल्फ लाइफ एक सप्ताह, चीकू दो सप्ताह और शरीफा दो-तीन दिनों तक बढ़ जाती है। आम तौर पर इन फलों और सब्जियों को केवल दो-तीन दिनों तक ही स्टोर किया जा सकता है।

वैज्ञानिक ने बताया कि फिलहाल टीम डिवाइस को औपचारिक नाम देने के लिए ट्रेडमार्क की तलाश कर रही है। अभी के लिए, शोधकर्ताओं ने डिवाइस को ‘शेल्फ लाइफ एन्हांसर’ नाम दिया है। कापुगंती ने इस तकनीक के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए अप्लाई किए हैं। उन्हें नई दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) -बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट से वित्त पोषण मिला।

भारत में फसल कटाई के बाद का नुकसान

जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस एंड फूड रिसर्च में प्रकाशित 2018 के लेख के अनुसार, भारत जितना फल और सब्जियां खाता है उससे ज्यादा बर्बाद करता है। फसल चक्र, मृदा संरक्षण, कीट नियंत्रण, उर्वरक, सिंचाई जैसी तकनीकों द्वारा उत्पादन के स्तर को बढ़ाने के लिए कटाई से पहले के चरणों पर ध्यान दिया जाता है। लेकिन, कटाई (तुड़ाई) के बाद ध्यान नहीं दिया जाता है।

फसल की कटाई (तुड़ाई) बाद होने वाले इन नुकसानों को अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं, कोल्ड चेन में अंतराल जैसे खराब बुनियादी ढांचे, अपर्याप्त कोल्ड स्टोरेज क्षमता, खेतों के नजदीक कोल्ड स्टोरेज की अनुपलब्धता और खराब परिवहन बुनियादी ढांचे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

फलों और सब्जियों के सीमित शैल्फ जीवन के कारण, बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढांचे और रेफ्रिजेरेटेड वाहनों तक पहुंच की कमी उन्हें कम कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करती है जिसके कारण किसान निराश होते हैं और कभी-कभी किसान आत्महत्या भी कर लेते हैं।

इस प्रकार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा हासिल करने के बावजूद, 200 मिलियन से अधिक भारतीय किसानों और खेतिहर मजदूरों की भलाई, जो भारतीय कृषि की रीढ़ हैं, गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।

इस चैंबर के बाएं दो कक्षों में फल बिना फॉर्मुला के हैं और दाएँ दो चैंबर फॉर्मुला के साथ हैं।

कैसे काम करता है शेल्फ लाइफ एन्हांसर

भंडारण, परिवहन और वितरण के दौरान फलों और सब्जियों की कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए डिवाइस नाइट्रिक ऑक्साइड के पोस्ट हार्वेस्ट एप्लिकेशन का उपयोग करता है।

“हमारे पास दो चैंबर हैं, एक छोटा है और दूसरा एक बड़ा चैंबर है। छोटे चैंबर में, हम फॉर्मुला रखते हैं, जहां से नाइट्रिक ऑक्साइड धीरे-धीरे बड़े चैंबर में छोड़ा जाता है। फलों और सब्जियों को बड़े चैंबर में रखा जाता है, “कापुगंती ने बताया।

“यह फॉर्मुला बहुत कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड छोड़ता है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला इनोवेशन है।” उन्होंने आगे कहा।

नाइट्रिक ऑक्साइड विभिन्न पौधों की शारीरिक प्रक्रियाओं जैसे फलों के पकने और फलों और सब्जियों के खराब होने में एक बहुक्रियाशील सिग्नलिंग अणु के रूप में कार्य करता है। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस एंड फूड रिसर्च के अनुसार, नाइट्रिक ऑक्साइड के प्रयोग से एथिलीन के उत्पादन को कम करने और पकने दर को कम करने के लिए फायदेमंद दिखाया गया है।

कापुगंती ने बताया कि शरीफा, केला, चीकू, आम, नाशपाती, बेर, पपीता और टमाटर और ब्रोकोली जैसी सब्जियों के लिए नाइट्रिक ऑक्साइड के सफल प्रयोग का परीक्षण किया गया है। यह एथिलीन की क्रिया को बाधित करके किया जाता है जिससे फलों और सब्जियों को लंबे समय तक खराब होने से बचाया जा सकता है।

अनानस एक उपकरण में बिना फॉर्मुला (बाएं) और फॉर्मुला (दाएं) के साथ रखा जाता है।

बिना बिजली के सौर ऊर्जा से चलेगी डिवाइस

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च के वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक उत्पाद को स्टोर करने के लिए उपकरण बनाने के लिए लकड़ी, पॉलीएक्रिलिक सामग्री का उपयोग किया है।

कोल्ड स्टोरेज के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह बिजली आपूर्ति पर निर्भर है। भारतीय कोल्ड स्टोरेज ज्यादातर ग्रिड बिजली पर चलते हैं। नतीजतन, ग्रामीण भारत में अनियमित बिजली आपूर्ति, बिजली की बढ़ती लागत और पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कोल्ड स्टोरेज उद्योग के संचालन, विस्तार और विकेंद्रीकरण को सीमित करती है।

इन समस्याओं के हल के लिए, शोधकर्ताओं ने थर्मोइलेक्ट्रिक कूलर के साथ-साथ सौर पैनलों का उपयोग करके डिवाइस को डिजाइन किया है।

“डिवाइस का उपयोग करके, फलों को कई दिनों तक खेतों में भी रखा जा सकता है, क्योंकि सौर पैनल 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान बनाए रखना सुनिश्चित करते हैं। यह सामान्य तापमान है, खेतों में ग्रीष्मकाल में गर्मी की तरह बहुत अधिक नहीं है, “कापुगंती ने बताया। “हमारे पास उपकरणों में थर्मल इलेक्ट्रिक कूलर भी हैं ताकि बिजली की विफलता न हो और उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित किया जा सके जब तक कि इसे बाहर न ले जाया जाए,” उन्होंने कहा।

और भी हैं फायदें

“शेल्फ जीवन को बढ़ाने के अलावा, हमने पाया कि उपचारित फलों में उच्च स्तर के पोषक तत्व और खनिज होते हैं। यह मशरूम जैसे फलों और सब्जियों को खराब होने से भी बचाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, “वैज्ञानिक ने दावा किया।

इसलिए, डिवाइस यह सुनिश्चित करता है कि ताजगी बनी रहे, लंबे समय के लिए भंडारण, पोषक तत्वों को बढ़ाता है और सूक्ष्मजीवों द्वारा फलों के खराब होने को कम करता है।

कोल्ड स्टोरेज का सस्ता विकल्प

डिवाइस को विशेष रूप से किसानों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के उपयोग के लिए विकसित किया गया है। “हमारा डिवाइस बेहद सस्ता है। हम दो तरह के उपकरण बना रहे हैं, एक थर्मल इलेक्ट्रिक कूलर के साथ और दूसरा सोलर पैनल के साथ। हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री के आधार पर दाम होता है। यह 1,500 रुपये से 5,000 रुपये तक होता है, “कापुगंती ने कहा।

यह उपकरण को एक बार खरीदने पर जल्दी नहीं खरीदना पड़ता है, क्योंकि यह लंबे समय तक चलता है। इस्तेमाल किए जाने वाले फार्मूले पर किसानों को एक रुपये प्रति किलो की लागत आने का अनुमान है। पर्यावरण के लिए खतरे को कम करने के लिए शोधकर्ता नए प्लास्टिक के बजाय रिसाइकिल प्लास्टिक का भी उपयोग कर रहे हैं।

कापुगंती ने बताया कि टीम नवोन्मेष प्रौद्योगिकी को बढ़ाने के चरण में है ताकि वे इसे कृषि स्तर तक ले जा सकें।

“हम बड़े पैमाने पर परीक्षणों के लिए फंड जुटाना चाहते हैं। अभी हम प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संपर्क करने की प्रक्रिया में हैं। हम डिवाइस निर्माताओं को नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस देंगे और फिर डिवाइस बाजार में आ सकती है।”

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