आम की बाग में इन फसलों की बुवाई कर दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं किसान

आम उत्पादन के लिए देश-विदेश तक मशहूर मलिहाबाद के किसान आम के साथ ही बाग में ही फर्न और ग्लेडियोलस की खेती से भी उन्हें दोहरा मुनाफा मिल रहा है।
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लखनऊ। आम की खेती करने वाले किसानों को कुछ महीने ही आम की बाग में उत्पादन मिलता है, बाकी समय बाग किसी काम की नहीं रहती है, ऐसे में किसान आम के बाग में दूसरी फसलों की बुवाई कर दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एसके शुक्ला बताते हैं, “आम की बाग से कुछ महीनों में किसानों को आम से मुनाफा मिलता है, बाकी के महीनों में बाग खाली ही रहती है इसलिए किसान इस समय बाग में फर्न और ग्लेडियोलस जैसी फसलों की खेती कर सकते हैं।


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आम उत्पादन के लिए देश-विदेश तक मशहूर मलिहाबाद के किसान आम के साथ ही बाग में ही फर्न भी उगा रहे हैं, जिससे आम की फसल के साथ ही फर्न और ग्लेडियोलस की खेती से भी उन्हें दोहरा मुनाफा मिल रहा है।

ग्लेडियोलस की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मृदा जिसका पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच हो। साथ ही भूमि के जल निकास का उचित प्रबंध हो, सर्वोत्तम मानी जाती है। ग्लेडियोलस की बुवाई ऐसे बाग में करनी चाहिए, जहां पर धूप अच्छी तरह से आती हो।

डॉ. एसके शुक्ला आगे बताते हैं, “आज कल शादी से लेकर दूसरे कार्यक्रमों में फूलों के साथ ही फर्न सजावट में काम आता है, कलकत्ता जैसे कई दूसरे शहरों से फर्न मंगाया जाता है, जो बहुत महंगा होता है, ऐसे में किसान फर्न की खेती बाग में ही कर सकते हैं।”

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आम की बाग में लगे फर्न वो आगे बताते हैं, “फर्न की खेती की सबसे अच्छी बात होती है, ये छाया में भी अच्छी तरह होते हैं। ऐसे में आम के बागों इनके हिसाब से सही होते हैं, किसानों को इसके पौधे देने के साथ ही उन्हें इसकी खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।”


जिस खेत में ग्लेडियोलस की खेती करनी हो उसकी दो-तीन बार अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके लिए खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में अधिक गहराई तक नहीं जाती है। ग्लेडियोलस की खेती बल्बों द्वारा की जाती है। बुवाई करने का सही समय मध्य अक्टूबर से लेकर नवंबर तक रहता है। किस्मों को उनके फूल खिलने के समयानुसार अगेती, मध्य और पछेती के हिसाब से अलग-अलग क्यारियों में लगाना चाहिए।

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केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के कृषि वैज्ञानिक मलिहाबाद और उसके आस-पास के गाँवों के किसानों को फर्न की खेती करना सिखा रहे हैं। बुके से लेकर समारोहों में मंच बनाने तक फर्न की इन हरी पत्तियों की काफी मांग होती है। आम के बाग में ही बची हुई जगह में इसे उगाया जा सकता है।

फर्न की खेती कर किसान जितनी कमाई साल भर में आम से करते हैं, उतनी ही आमदनी फर्न की खेती से की जा सकती है। प्रदेश में फूलों के बढ़ते कारोबार और खेती के साथ ही फर्न की मांग भी बढ़ रही है। आमतौर पर फर्न की 100 पत्तियों का एक बंडल 25-30 रुपये में बिकता है, लेकिन सहालग में शादियों के समय में इसकी कीमत और बढ़ जाती है।

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प्रदेश में ज्यादातर पश्चिम बंगाल से फर्न मंगाई जाती है। प्रदेश के कुछ हिस्सों में ही किसान इसकी खेती करते हैं। ये अधिकतर छाया के पौधे होते हैं, इन पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए। इसे हर तरह की मिट्टी में उगा सकते हैं। लेकिन इन्हें गोबर या पत्तियों की खाद की अन्य पौधों की तुलना में अधिक मात्रा में जरूरत होती है। आम के बाग में लगाने पर आम की पत्तियां सड़कर इसके लिए बढ़िया खाद का काम करती हैं।

डॉ. शुक्ला आगे बताते हैं, “किसानों में जागरूकता आ रही है। वे पौधों के मांग कर रहे हैं। खासतौर से लखनऊ के आसपास तो आम की खेती खूब होती है। एक हेक्टेयर में आम की फसल सही होने पर किसान सामान्य तौर पर तीन लाख रुपए का मुनाफा ले पाता है। इतना ही अतिरिक्त मुनाफा फर्न की खेती करके कमा सकता है। आम की फसल कई बार अचानक पूरी तरह खराब हो जाती है, ऐसे में किसान फर्न की खेती भी करता है तो वह उस घाटे को पूरा कर देगी।” 

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