गेहूं की बुवाई (Wheat sowing) जल्द शुरू होने वाली है। जो किसान बेहतर पैदावार देने वाले उन्नत बीज की तलाश कर रहे हैं वो भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान से संपर्क कर सकते हैं। कोविड को देखते हुए संस्थान में गेहूं के बीज की ऑनलाइन बुकिंग हो रही है। बुकिंग का पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरा चरण 14 सितंबर से शुरु हो गई है।
हरियाणा के करनाल में स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) में हर साल किसान मेले का आयोजन कर किसानों को बीज दिया जाता था। लेकिन पिछले साल से संस्थान ने ऑनलाइन बुकिंग शुरु की थी। इस बार 10 सितंबर से गेहूं की तीन उन्नत किस्मों और जौ की एक किस्म के लिए बुकिंग शुरू हुई थी। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने 11 सितंबर की शाम को सोशल मीडिया के जरिए किसानों को बताया कि, “बीज पोर्टल पर किसानों का जबरदस्त रिस्पांस मिला है। लगभग 10,000 किसानों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। पंजीकरण को व्यवस्थित करने के लिए पोर्टल को अस्थाई रूप से बंद कर दिया है। इसे अगले हफ्ते फिर शुरू किया जाएगा।”
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) डॉ. अनुज कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया कि दो दिन में ही किसानों को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। हमने इस बार गेहूं की तीन किस्मों (DBW 303- करण वैष्णवी, DBW 222 करण नरेंद्र और DBW 187 करण वंदना) को बिक्री के रखा गया था, जिसमें से करण वैष्णवी सबसे उन्नत किस्म थी जिसकी बुकिंग पूरी हो चुकी है। पोर्टल मंगलवार (14 सितंबर) से खुल गया है, और किसान बाकी दो किस्मों की बुकिंग कर सकते हैं।”
गेहूं की तीन नई किस्मों के साथ जौ की उन्नत किस्म DWRB-137 किस्म को भी किसानों के लिए रखा गया है। एक किसान को फिलहाल रजिस्ट्रेशन के बाद अक्टूबर के पहले से दूसरे हफ्ते में 10-10 किलो बीज मिलेगा।
डॉ अनुज बताते हैं, “हमारी तीनों किस्में बेहतर हैं और तीनों की पैदावार 80 कुंटल प्रति हेक्टेयर (2.5 एकड़) के आसपास है। ये किस्में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त हैं। करण वैष्णवी अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के पहले हफ्ते तक बुवाई करेंगे तो 145 दिन में तैयार होंगी और बेहतर उत्पादन देंगी।”
डॉ. अनुज के मुताबिक संस्थान हमेशा से 15 अक्टूबर के आसपास किसान मेला करता था, पश्चिमी यूपी, पंजाब और हरियाणा के बहुत सारे किसान आते थे लेकिन दूरदराज के किसान नहीं आ पाते थे। फिर कोविड भी आ गया। ऐसे में संस्थान ने कोशिश सीड पोर्टल की शुरुआत की। ताकि देश के बाकी राज्यों के किसानों को भी उन्नत बीज मिल सके।
सीड पोर्टल में आधार नंबर, मोबाइल नंबर, गांव, जिला और प्रदेश का नंबर दर्ज कराना होता है। बुकिंग होने के बाद अक्टूबर के पहले और दूसरे हफ्ते में किसानों को बुलाया जाएगा या फिर पोस्ट आदि के जरिए भेजा जाएगा। डॉ. अनुज कुमार ने बताया कि संस्थान कोशिश कर रहा है कि डिलीवरी कंपनियों के द्वारा गेहूं किसान तक भिजवाया जाए।
करण वैष्णवी- (DBW 303) गेहूं की विशेषताएं:
करण वैष्णवी- (DBW 303) विशेषताएं: संस्थान की अब की सबसे उन्नत किस्म है। गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू 303 को 2021 मे अधिसूचित किया गया है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक इसका उत्पादन 81.2 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि अनुवांशिक उत्पादन क्षमता 93 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बुवाई के लिए उपयुक्त इस किस्म के दानों में जिंक, विटामिन की मात्रा बेहतर है। जो अच्छा उत्पादन के साथ ही कुपोषण की समस्या को भी दूर करेगी।
अगेती बुआई का समय- 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक
औसत उपज 81.1 कुंटल प्रति हेक्टेयर है
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करण वंदना (DBW 187) गेहूं की विशेषताएं
करन वंदना की पिछले वर्ष भी कई इलाकों में बुवाई हुई थी। इस किस्म का विमोचन एवं अधिसूचना वर्ष 2019 में हुई थी। करण वंदना (DBW 187) पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली नवीनतम गेहूं की किस्म है। यह पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करती है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद फसल तैयार होती है। इसका उत्पादन करीब 75 कुंटल प्रति हेक्टेयर है और औसत उत्पादन 63.1 कुंटल के आसपास है। सामान्यता गेहूं में प्रोटीन कंटेंट 10 से 12 प्रतिशत और आयरन कंटेंट 30 से 40 प्रतिशत होता है, लेकिन इस किस्म में 12 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन 42 प्रतिशत से ज्यादा आयरन कंटेंट पाया गया है।
सामान्य तौर पर धान में ‘ब्लास्ट’ नामक एक बीमारी देखी जाती थी, कुछ वर्ष पहले बांग्लादेश में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था और तभी से इस चुनौती के मद्देनजर विशेषकर उत्तर पूर्वी भारत की स्थितियों के अनुरूप गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप ‘करन वन्दना’ अस्तित्व में आई। ये ज्यादातर बोई जा रही मौजूदा किस्मों HD-2967, K-0307, HD-2733, K-1006 और DBW-39 की तुलना में ज्यादा पैदावार देती है।
बुआई का समय: अगेती बुवाई- 25 अक्टूबर से 5 नवंबर
समय पर बुवाई- 5 नवंबर से 25 नवंबर
औसत उपज- 61.3क्विंटल प्रति हेक्टेय़र है
करण नरेंद्र (DBW 222) गेहूं की विशेषताएं
गेहूं कि इस उन्नत किस्म का विवोचन और अधिसूचना साल 2020 में हुई। पीला रतुआ, भूरा रतुआ के लिए प्रतिरोधी किस्म है। गेहूं की इस किस्म को 5-6 सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई 20-25 दिन उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती है। इसकी उत्पादन क्षमता 32.8 कुंटल प्रति एकड़ यानि करीब 82 कुंटल प्रति हेक्टेयर है और औसत उपज 61.3 कुंटल प्रति हेक्टेयर है। उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा-उदयपुर मंडलों को छोड़कर), पश्चिम यूपी (झांसी मंडल को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म की एक खासियत ये है कि ये देरी से बुवाई करने पर भी बेहतर उत्पादन देती है।
बुवाई का समय- 5 नवंबर से 25 नवंबर, औसत उपज-
औसत उपज- 61.3क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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