बदलते जलवायु परिवर्तन के साथ ही दीमक का खतरा और तेजी से बढ़ रहा है।
जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है और बारिश कम हो रही है आक्रामक विनाशकारी कीट दीमक का प्रकोप बढ़ रहा है। सूखा की स्थिति दीमक के प्रसार में काफी मददगार साबित हो रही है। हर साल देश में करोड़ों रुपए का नुकसान दीमक से हो रहा है। एक तरफ जहाँ फसलें दीमक के प्रकोप से चौपट हो रही हैं; वहीं घर-दफ्तरों में लकड़ी के फर्नीचर भी दीमक चट कर रहे हैं।
दीमक से बढ़ता नुकसान का आकड़ा
आंकड़ों पर गौर करें तो दीमकों की वजह से दुनिया को हर साल 3,33,715 करोड़ रुपए लगभग 4000 करोड़ डॉलर से ज़्यादा का नुकसान हो रहा है। अकेले भारत में खेती और फसलों मैं दीमक से होने वाला नुकसान कई करोड़ में है। पिछले दशकों की तुलना में आज फसलों और खेतों में दीमक का प्रकोप तेजी से बढ़ा है।
किसान इससे निदान के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं; लेकिन यह भी समस्या को पूरी तरह से हल करने में सफल नहीं है।
दीमकों द्वारा लड़कियों को ही निशाना बनाने की मुख्य वजह सेल्यूलोज है जो उनका मुख्य आहार है। सेल्यूलोज पेड़ पौधों लकड़ी घास में पाया जाता है। दीमकों के मुँह की बनावट ऐसी होती है कि उनके लिए लकड़ी और इस तरह की चीजों को खाना आसान होता है।
क्यों बढ़ रहे हैं दीमक
जनरल नियोबायोटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर जिस तरह जलवायु में बदलाव आ रहे हैं और दुनिया गर्म हो रही है उसके कारण यह उन शहरों में भी फैल रहे हैं जहाँ पहले इनका नामोनिशान नहीं था। इन शहरों में साओ पाउलो, लागोस, मियामी, जकार्ता और डार्विन जैसे गर्म स्थानों के साथ-साथ लंदन, पेरिस, ब्रुसेल्स, न्यूयॉर्क और टोक्यो क्यों जैसे ठंडे समशीतोष्ण शहर भी शामिल हैं।
आमतौर पर उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपने वाले या दीमक अपने प्राकृतिक घर से दूर शहरों में बढ़ती कनेक्टिविटी और जलवायु में आ रहे बदलावों के कारण आसानी से पहुँच रहे हैं। बढ़ता शहरीकरण भविष्य में आक्रामक दीमकों के व्यापक प्रसार में और मददगार होगा।
किसान के लिए तो दीमक आफत है। घर हो या दफ्तर या फिर किसानों की फसल, सूखी लकड़ी, दीवार हो या गिली लकड़ी, पौधे हो या फूलदार शाक हर जगह सफेद और पीले रंग का यह कीट अपनी पहुँच बनाकर धीरे-धीरे उन्हें तबाह कर देता है। हर साल लाखों रुपये का नुकसान अकेला दीमक कीट कर रहा है।
दीमक की प्रजातियाँ
दीमक (Termites) एक सामाजिक कीट है। इसकी कई जातियाँ हैं जो इसोप्टेरा (Isoptera) नामक जीव उपगण की सदस्य हैं। पहले यह समझा जाता था कि दीमक तिलचट्टों (कॉकरोच) से बिलकुल अलग हैं लेकिन वर्गानुवंशिक अध्ययन से पता चला है कि दीमक का क्रमविकास तिलचट्टों से ही हुआ है।
आदिम तिलचट्टों से संबंध के सबूतों से पता चलता है कि दीमक लेट पर्मियन (लगभग 251,000,000 साल पहले) में विकसित हुए थे, हालाँकि इसके ज्ञात जीवाश्म केवल अर्ली क्रेटेशियस (लगभग 130,000,000 साल पहले) के हैं। एक मादा दीमक एक दिन में लगभग 30,000 अंडे दे सकती है। दीमक के अंडे छोटे और सफेद रंग के होते हैं और इन्हें नंगी आँखों से देखा जा सकता है। बाद में, इन अंडों को लार्वा बनने से पहले कई हफ्तों तक सेते हैं। ये लार्वा हल्के, सफेद और छोटे बाह्य कंकाल वाले दिखाई देते हैं।
दीमक एक फौज के रूप में चलते हैं। दीमक जिस जगह पहुँच जाए; वहाँ केवल मिट्टी ही मिट्टी दिखाई पड़ती है। दीमक जिस भी वस्तु को खाते हैं बस मिट्टी बनाकर दम लेते हैं। दीमक अक्सर नमी वाले क्षेत्रों से दूर भागते हैं और नर्म स्थान और सूखे क्षेत्रों में बेहद परेशान करते हैं। यही कारण है कि जहाँ अधिक बारिश होती है या फिर नहरों का पानी उपलब्ध है वहाँ दीमक नजदीक भी नहीं आते। दीमक किसान की रबी और खरीफ की फसल को काफी नुकसान पहुँचाते हैं। जड़ों को काट कर ज़मीन में छुप जाते हैं।
दीमक को मारना आसान नहीं है। इसकी सूंघने की क्षमता अत्यधिक होने के कारण दवा को दूर से सूंघ कर छुप जाते हैं। जब दवा का असर कम होता है तो बाहर आ जाते हैं।
दीमक सेल्युलोज खाने वाले कीड़े हैं जो इन्फ्रा ऑर्डर आइसोप्टर के तहत आते हैं; चींटियों और मधुमक्खियों के समान एक जबरदस्त सामाजिक व्यवस्था का प्रदर्शन करते हैं। दीमक रानी अंतराल के आधार पर अंडे देती है। वे एक मिनट में 25 अंडे, एक दिन में 30,000 अंडे और एक साल में 11 मिलियन से अधिक अंडे दे सकती है।
श्रमिक और सैनिक दीमक आम तौर पर परिपक्वता तक पहुँचने के बाद केवल 1 या 2 साल ही जीवित रहते हैं। रानी दीमक आम तौर पर एक दशक से अधिक समय तक जीवित रहती हैं, अगर परिस्थितियाँ अनुकूल हों तो कुछ प्रजातियाँ 20-25 साल तक जीवित रहती हैं। दीमक रानी एक पंखों वाली मादा दीमक होती है। वह कॉलोनी के अन्य सदस्यों की तुलना में बहुत बड़ी होती और उसका पेट अंडों से भरा होता है। उसके अंदर अंडों की संख्या के कारण उसकी त्वचा लंबी और पारभासी हो जाती है, जिसका आकार मानव तर्जनी के बराबर हो सकता है।
दीमक की कालोनियाँ ज़मीन के 10 से 20 मीटर अंदर तक पाई जाती हैं; जहाँ तक किसी दवा का असर पहुँचना नामुमकिन है।
किसान, वैज्ञानिक सरकार सभी दीमक की समस्या से जूझ रही हैं। रासायनिक कीटनाशकों के अलावा कई परंपरागत तकनीक से भी दीमक का समाधान तो नहीं लेकिन बचाव जरूर किया जा सकता है।
दीमक की रानी
दीमकों की बस्तियों में एक रानी और एक राजा होता है । जब कॉलोनी को अच्छी तरह से आबाद रखने की बात आती है तो रानी के बाद, राजा कॉलोनी का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य होता है। ये कीट ज़मीन के नीचे संरक्षित जीवन जीते हैं, रानी के साथ संभोग करते हैं और रसायन छोड़ते हैं जो कॉलोनी के कई अलग-अलग पहलुओं को नियंत्रित करते हैं।
दीमक अंधे और बहरे
दीमक श्रमिक अंधे और बहरे होते हैं। दीमकों को अपने आस-पास की दुनिया में घूमने के लिए कार्यशील आँखों की जरूरत नहीं होती है – इसके बजाय, वे फेरोमोन नामक रासायनिक सिग्नलिंग यौगिकों का उपयोग करते हैं। फेरोमोन दीमकों के शरीर पर मौजूद ग्रंथियों से स्रावित होते हैं।
बच्चे दीमक
दीमक के बच्चे घोंसले के अंदर सुरक्षित सफेद/पीले/स्पष्ट अंडों के रूप में शुरू होते हैं। वहाँ से , अंडा एक छोटे दीमक जैसा दिखता है । इन “शिशु” दीमकों को निम्फ के रूप में जाना जाता है। दीमक के निम्फ आमतौर पर हल्के सफेद रंग के होते हैं और, अगर आप बारीकी से देखें, तो आप उनके एंटीना को देख सकते हैं जो सीधे बाहर की ओर इशारा करते हैं।
दीमक का मुख्य भोजन
दीमकों का भोजन मुख्य रूप से सेल्यूलोज होता है, जो लकड़ी, घास, पत्तियां, ह्यूमस , शाकाहारी जानवरों की खाद और वनस्पति मूल की सामग्री ( जैसे, कागज, कार्डबोर्ड, कपास) से प्राप्त होता है। अधिकांश निचले दीमक और कई उच्चतर दीमक ऐसी लकड़ी को खाते हैं जो या तो ठोस होती है या आंशिक रूप से सड़ी हुई होती है।
दीमक को खत्म करने का इलाज
जहाँ पर दीमक लगी हो वहाँ कॉटन की सहायता से नीम का तेल लगाएं। कुछ दिन में आप देखेंगे कि दीमक खत्म हो जायेंगे। आप चाहे तो नीम के तेल की जगह नीम की पत्तियों का रस इस्तेमाल कर सकते हैं। दीमक को खत्म करने के लिए नींबू का सिरका भी असरदार है।
खेत में दीमक लग जाए तो ये करें
दीमक को नष्ट करने के लिए क्लोरोफाईरीफोस नामक दवा चार लीटर प्रति हेक्टेयर मात्रा में पौधों की जड़ों में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें। दवा का छिड़काव पौधों के ऊपर नहीं ,बल्कि जड़ों की तरफ करना चाहिए। ऊपर से सिंचाई करने पर पानी के साथ यह दवा जमीन में गहराई तक पहुंचकर दीमक को मार देगी।
फसल को दीमक से कैसे बचाएं
फसलों में दीमक की रोकथाम हेतु 2.5 से 5 किलो मेटाराइजियम 100 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट या केंचुआ खाद में मिलाकर 72 घंटे संवर्धन करें जिससे माईसीलियम वृद्धि कर सके। इसे बुवाई से पूर्व या प्रथम निराई-गुड़ाई के बाद या खड़ी फसल में एक हैक्टेयर में बुरकाव कर सिंचाई करें।
दीमक की सबसे अच्छी दवा
बोरेक्स पाउडर- सोडियम बोरेट को आमतौर पर बोरेक्स पाउडर के रूप में भी बेचा जाता है। ये कपड़े साफ करने के अलावा दीमक को मारने में भी बहुत कारगर है।
इमिडाक्लोप्रिड की 30.5 प्रतिशत एस.सी रसायन के 10.5 मिलीलीटर में 5 लीटर पानी में मिलाया जाता है और इस घोल की सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक एंटी-रिपेलेंट है, जो दीमक द्वारा पता नहीं लगाया जा सकता है।
दीमक को हमेशा के लिए कैसे खत्म करें
दरअसल नीम का तेल कीट, पतंग, दीमक और खटमल के शरीर पर विष की तरह काम करता है। अगर आपके घर के खिड़की, दरवाजों या फर्नीचर में दीमक लग गई है तो उसे दूर करने के लिए नमक का इस्तेमाल करना एक बहुत ही आसान तरीका है। जिस जगह पर दीमक लगी होती है; वहाँ आपको नमक का छिड़काव करना होगा।
पौधे में दीमक लगने पर क्या करें
पेड़-पौधों को दीमक से बचाए रखने के लिए आप खट्टे दही का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप पुराना दही लें, जो अधिक खट्टा हो, उसका घोल तैयार करें और स्प्रे बॉटल में भरकर रख लें। पेड़-पौधों पर इस खट्टे दही का स्प्रे करने से दीमक से छुटकारा पाया जा सकता है।
गेहूँ की फसल में दीमक लगने पर क्या करें?
क्लोरपायरीफास 20 ईसी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर शाम के समय खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें। गेहूँ की फसल जो 40 से 45 दिनों की हो गई हो तो उसमें दूसरी सिंचाई कर 30 किलोग्राम नत्रजन का प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें।
दीमक के सबसे बड़े दुश्मन
सभी शिकारियों में चींटियाँ दीमकों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं।
विश्व का सबसे बड़ा दीमक
मैक्रोटर्मेस बेलिकोसस दीमक सबसे बड़ा होता है, रानियों की लंबाई लगभग 4.2 इंच (110 मिमी) होती है, श्रमिकों की लंबाई लगभग 1.4 इंच (36 मिमी) होती है, और सैनिक थोड़े बड़े होते हैं। लैटिन में बेलिकोसस का अर्थ है “जुझारू”।
(डॉ सत्येंद्र पाल सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, लहार (भिंड) मध्य प्रदेश में प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख हैं।)