धारवाड़, कर्नाटक। मिट्टी का स्वस्थ होना फसल उत्पादकता और देश के आर्थिक, सामाजिक विकास के लिए जरूरी है। हालांकि खेती के बढ़ते दबाव, उर्वरकों और कीटनाशकों के ज्यादा उपयोग के कारण देश के कई क्षेत्रों में मिट्टी का स्वास्थ्य खराब स्थिति में है।
साल 2016 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भूमि क्षरण पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस से पता चलता है कि 120.7 मिलियन हेक्टेयर (mha) या भारत की कुल कृषि योग्य और गैर-कृषि योग्य भूमि का 36.7 प्रतिशत विभिन्न प्रकार के क्षरण से ग्रस्त है। जिसमें पानी के कटाव की भूमिका 83 एमएचए (68.4 प्रतिशत) सबसे ज्यादा है।
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) के अनुसार हमारे देश में वार्षिक मृदा हानि दर लगभग 15.35 टन प्रति हेक्टेयर है। इससे 5.37 से 8.4 मिलियन टन पोषक तत्वों की हानि होती है। मिट्टी के नुकसान का फसल उत्पादकता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, यूरिया और उर्वरक का अंधाधुंध उपयोग देश में मिट्टी की गुणवत्ता को खराब कर रहा है।
भारत सरकार ने टिकाऊ कृषि के लिए वर्ष 2015 में राष्ट्रीय मिशन के तहत 568 करोड़ रुपए के बजट के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य है कि किसानों को कम उर्वरक के उपयोग के लिए जागरूक किया जाए।
2019 के अंत तक भारत सरकार ने 235 मिलियन एसएचसी वितरित किए थे। यह कार्ड किसान को उसकी भूमि के विश्लेषण के बाद जारी किया जाता है जिसमें आवश्यक विभिन्न पोषक तत्वों की खुराक की सिफारिश की जाती है और किसानों को मिट्टी की कमी के अनुसार उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
हालांकि कुछ ऐसी निजी कंपनियां भी हैं जिन्होंने किसानों की मदद के लिए अपनी मृदा परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रणाली भी शुरू की है। ऐसी ही एक फर्म है कृषि तंत्र।
2017 में युवा इंजीनियरों की एक टीम ने कर्नाटक के धारवाड़ जिले में कृषि तंत्र नामक एक स्टार्टअप की स्थापना की। उद्यम को 3.6 करोड़ रुपए की वित्तिय सहायता मिली। NABVENTURES NABARD की एक वैकल्पिक निवेश शाखा है जो कृषि, भोजन, अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रामीण विकास आदि के लिए कंपनियों की मदद करती है।
कृषि तंत्र मिट्टी जांच (Soil Testing) करने वाली मशीनों का निर्माण करती है जो उत्तर कर्नाटक में किसानों की मदद करती है। खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करती है जिससे उपज अच्छी होती है।
कृषि रास्ता (Krishi RASTAA)
कृषि तंत्र की स्वचालित मृदा परीक्षण तकनीक को कृषि रास्ता (रैपिड ऑटोमेटेड सॉइल टेस्टिंग एग्रोनॉमी एडवाइजरी) कहा जाता है। यह नक्शे के आधार पर किसानों के लिए मिट्टी के नमूने का विश्लेषण करता है। स्टार्ट अप किसानों को उच्च उपज देने वाले पौधे/बीजों की रोग प्रतिरोधी किस्मों के अलावा कृषि आधारित गतिविधियों के प्रबंधन और कृषि उत्पादों को बेचने जैसी सुविधाएं भी प्रदान करता है। इसके अलावा सस्ती दरों पर छोटे किसानों को तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।
कृषि रास्ता तकनीक का उपयोग करना आसान है और यह मिट्टी के स्वास्थ्य को निर्धारित करने का एक बेहद सरल और पोर्टेबल तरीका है। यह एक स्वचालित तकनीक है जो इनपुट के रूप में मिट्टी का उपयोग करती है जिसके बाद यह 45 मिनट के भीतर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की रिपोर्ट दे देता है। इस प्रणाली को संचालित करने के लिए किसी विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती। रिपोर्ट तैयार करने के बाद क्लाउड आधारित उसकी व्याख्या करता है।
कर्नाटक में कृषि तंत्र का प्राथमिक काम कलमेश्वर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी (केएफपीसी) देखती है जो धारवाड़ के नवलगुंड जिले में स्थित एक एफपीओ है।
“2021 में कंपनी ने धारवाड़ जिले के 20 गांवों में 120 सॉयल टेस्टिंग किए। इस साल कम से कम 2,000 टेस्ट का लक्ष्य है, ”कलमेश्वर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी (केएफपीसी) के सीईओ मृत्युंजय एस ने कहा।
कृषि तंत्र के भारत भर के लगभग 22 राज्यों में लगभग 408 भागीदार केंद्र हैं जो किसान समुदाय को मिट्टी परीक्षण की सुविधा प्रदान करते हैं। ऐसा करने के लिए कृषि तंत्र से जुड़े 321 एफपीओ हैं। इन भागीदारों के माध्यम से कृषि तंत्र ने अब तक 39,283 से अधिक मिट्टी परीक्षण किए हैं।
कृषि तंत्र के अधिकारियों के अनुसार मिट्टी के स्वास्थ्य पर ध्यान देने और उर्वरकों के उपयोग की सिफारिशों से फसल की उपज में 8.3 प्रतिशत और लाभ में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उनका यह भी दावा है कि यूरिया की खपत में 33 फीसदी की कमी आई है।
45 मिनट में मिट्टी की जांच
KFPC की चार मृदा परीक्षण इकाइयां हैं जिनके माध्यम से यह किसानों को मिट्टी परीक्षण की सुविधा प्रदान करती है। जबकि सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत किसानों को उनकी भूमि से मिट्टी का परीक्षण करने के बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करती रही है। यह एक कठिन प्रक्रिया रही है।
कृषि तंत्र के स्थिरता और प्रभाव प्रमुख मल्लिकार्जुन जी ने कहा, “मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि विभाग की प्रयोगशालाओं में मिट्टी के नमूने लाने पड़ते हैं और पूरी प्रक्रिया में लगभग 10-20 दिन लगते हैं।” उन्होंने कहा कि कृषि तंत्र की मिट्टी परीक्षण इकाई के साथ, प्रक्रिया को शुरू से अंत तक केवल 45 मिनट लगते हैं।
यह इकाई मिट्टी की पीएच सामग्री, ऑर्गेनिक कार्बन, कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, सूक्ष्म पोषक तत्वों और विद्युत कनेक्टिविटी के लिए परीक्षण करती है। मल्लिकार्जुन ने समझाया, “इससे किसानों को विभिन्न फसलों के लिए आवश्यक खाद और उर्वरक की मात्रा तय करने में मदद मिलेगी।”
2.50 लाख रुपए के लागत वाली यूनिट में इंटरफेस का उपयोग करके मोबाइल के साथ रासायनिक समाधान, पाउडर, परीक्षण उपकरण शामिल हैं। प्रत्येक इकाई एक दिन में नौ से दस नमूनों का परीक्षण कर सकती है। अभी तक केएफपीसी अपने सदस्यों से एक मिट्टी के नमूने का परीक्षण करने के लिए 150 रुपए और अन्य किसानों के लिए 250 रुपए शुल्क ले रहा है।
धारवाड़ जिले के बल्लारवाड़ गाँव के एक किसान प्रवीन शेरेवाड़ ने कहा, “इससे पहले कि मैं अपनी जमीन पर मिट्टी का परीक्षण शुरू करता मैंने उर्वरकों पर भारी मात्रा में पैसा बर्बाद किया।” उन्होंने पिछले साल अपनी जमीन की मिट्टी का परीक्षण किया और कहा कि इससे उन्हें अपना खर्च कम करने में मदद मिली। शेरेवाड़ के पास छह एकड़ जमीन है और उन्होंने कहा कि वह खुश हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी जमीन को उर्वरकों के रूप में क्या और कितनी मदद की जरूरत है।
कृषि तंत्र की मिट्टी परीक्षण सुविधा कई किसानों के लिए एक वरदान रही है जो पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए इधर-उधर भागते-भागते रहते थे।
बल्लारवाड़ गांव के ही किसान प्रकाश शानवाद ने कहा, “हमें पहले मिट्टी की जांच के लिए इंतजार करना पड़ता था। रिपोर्ट आने में 20 से 30 दिन लग जाते थे।” उन्होंने केएफपीसी के लिए सभी की प्रशंसा की क्योंकि उन्हें एक घंटे के भीतर मिट्टी की रिपोर्ट मिल गई। शनवाद ने कहा, “इससे न केवल हमारा समय बचता है बल्कि हमें यह भी पता चलता है कि हमारी मिट्टी को वास्तव में क्या चाहिए।”
अब तक 39,283 किसानों ने कृषि तंत्र भागीदार केंद्रों के माध्यम से मिट्टी परीक्षण सुविधा का उपयोग किया है। इसमें से 9,703 कर्नाटक से, 5,379 बिहार से और 5,288 तेलंगाना से हैं।
अपने दीर्घकालिक लक्ष्य के एक भाग के रूप में कृषि तंत्र देश के सभी राज्यों, मंडलों के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया देशों का एक मृदा स्वास्थ्य मानचित्र भी विकसित करना चाहता है जो साल दर साल अपडेट होंगे। यह विशेष क्षेत्र के फसल पैटर्न को तय करने के लिए उपयोगी होगा।
नोट: यह खबर नाबार्ड के सहयोग से की गई है।