इंफाल (मणिपुर)। मणिपुर के खुरखुल गाँव के हीखम चनबी एक जैविक किसान हैं। वह भारत के उत्तर पूर्व में उन कई किसानों में से एक हैं जो जैविक मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना का हिस्सा बन रहे हैं।
मणिपुर में, जहां से चनबी आती है, मणिपुर ऑर्गेनिक मिशन एजेंसी (MOMA) राज्य में जैविक खेती और संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग के तहत काम करती है, और 2025 तक ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र को रासायनिक मुक्त जैविक क्षेत्रों में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखती है।
कई राज्य और केंद्रीय स्तर के संगठन राज्य में रासायनिक खेती से दूर जाने के लिए सक्रिय रूप से कृषक समुदायों का समर्थन कर रहे हैं। इन संस्थानों में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और आईसीएआर मणिपुर केंद्र सहित अनुसंधान संस्थानों के अलावा राज्य कृषि विभाग, बागवानी और पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग शामिल हैं।
वर्तमान में मोमा के तहत 37,500 हेक्टेयर खेती योग्य क्षेत्र जैविक खेती के तहत है। और राज्य के कई किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उदाहरण के लिए, 2018 में, चनबी ने इम्फाल पश्चिम जिले के कृषि विज्ञान केंद्र और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मणिपुर केंद्र द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जो उनके खेती के तरीकों और जैविक खेती में उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
मणिपुर में बढ़ रहा जैविक खेती का रकबा
खुरखुल गाँव के चनबी ने कहा, “हमारी जैविक खेती गतिविधियों को लोइजिंग नाम के एक स्वयं सहायता समूह के तहत शुरू किया गया, जो 10 सदस्यों से बना है।” 2018 में, स्वयं सहायता समूह को 50,000 रुपये का ऋण दिया गया था और तब से, किसान सदस्य प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का पालन कर रहे हैं।
“हम कृषि अपशिष्ट को धान के खेतों में जलाते हैं; हम खुरखुल गाँव में लगभग तीन हेक्टेयर में धान की फसल के बाद तेल के लिए सरसों उगाते हैं, ”उन्होंने कहा।
खाद बनाने के लिए 42 वर्षीय चनबी ने अपने घर के पीछे वर्मीकम्पोस्टिंग और बोकाशी इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया। बोकाशी प्रक्रिया में, खाद्य अपशिष्ट और इसी तरह के कार्बनिक पदार्थ मिट्टी के संशोधन में परिवर्तित हो जाते हैं जो पोषक तत्वों को जोड़ता है और मिट्टी की बनावट में सुधार करता है, उन्होंने आगे समझाया।
“हम जो जैविक खाद या खाद बनाते हैं उसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर प्राकृतिक या जैविक खेती में किया जाता था। हम मुश्किल से ही जैविक खाद खरीदते हैं, ”चनबी ने कहा।
“हमारी आय में सुधार हुआ है, हमारे खाने का स्वाद बेहतर है और लंबे समय तक ताजा रहता है और हम सभी अच्छे स्वास्थ्य में हैं, “उन्होंने कहा कि वे केवल एसएचजी सदस्यों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समुदाय के लिए यही चाहते थे।
मणिपुर में जैविक अनानास की खेती
MOMA और अन्य संबंधित विभाग पहाड़ी चुराचंदपुर जिले में अनानास कृषक समुदायों की मदद कर रहे हैं, जो मिजोरम की सीमा से लगे हैं और जहां अनानास की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।
बंग्लोन गाँव के अनानास किसान एलेक्स सोइखोलुन गंगटे के लिए मोमा के कार्यक्रमों के जरिए अपनी सहयोगी निजी एजेंसियों के माध्यम से उन्हें जरूरी कृषि सामग्री और मार्केट की सुविधा उपलब्ध करा रहा हैं।
44 वर्षीय सोइखोलुन के अनुसार, MOMA के सहयोग के बाद पिछले कुछ वर्षों में बंग्लोन गाँव में जैविक अनानास के उत्पादन में सुधार हुआ है।
“गाँव में लगभग 60 परिवारों के लिए अनानास आय का प्रमुख जरिया है और हम हमेशा पैदावार में सुधार के तरीकों की तलाश में रहते हैं, “उन्होंने कहा। अनानास किसान ने कहा, “मैंने अपनी खेती के क्षेत्र को एक हेक्टेयर से थोड़ा अधिक बढ़ाया है और 500 और नए पौधे लगाए हैं।”
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उन्होंने कहा, “पिछले साल खौसाबुंग और बंग्लोन क्षेत्रों से उत्पादित 10 मीट्रिक टन जैविक अनानास मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन इनिशिएटिव्स के तहत बेचे गए थे।”
जैविक काले चावल को मिला है जीआई-टैग
इस बीच, MOMA ने एक किसान उत्पादक कंपनी (FPO), Chak-Hao Poireiton ऑर्गेनिक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना की है और अब तक, लगभग 500 किसान हैं जो इसका हिस्सा हैं।
इंफाल पश्चिम के कांगमोंग गाँव के एक किसान अरंबम लुखोई ने चार साल पहले जैविक खेती की ओर रुख किया। “हमारे गाँव में हम लगभग 20 मीट्रिक टन काले चावल का उत्पादन करते हैं, जिसे स्थानीय रूप से ‘चक-हाओ’ प्रति संगम (एक हेक्टेयर का एक चौथाई) के रूप में जाना जाता है, “उन्होंने कहा।
लुखोई के अनुसार, धान की सामान्य उच्च उपज वाली किस्म की तुलना में चक-हाओ की कटाई में कम मानव शक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन, उन्होंने कहा कि काले चावल की खेती का मुनाफा दूसरे चावल के मुकाबले दोगुना हो गया है।
कांगमोंग में छह किसान जैविक काले चावल की खेती कर रहे हैं। इसके बाद वो बिना किसी रसायन के सरसों की खेती करते हैं।
58 वर्षीय लुखोई ने कहा, “मौजूदा समय में मजदूरों की कमी के चलते किसान जैविक खेती में बदलने के लिए अनिच्छुक हैं।” उनके शंका है कि अगर प्राकृतिक और जैविक खेती के बारे में अधिक जागरूकता अभियान चलाए गए तो कई और किसान जैविक खेती करेंगे।
लुखोई ने कहा, “मेरे लिए, जैविक खेती के फायदे अच्छे स्वास्थ्य, बेहतर स्वाद और जीआई टैग वाली चक-हाओ प्रजातियों के संरक्षण के महत्व हैं।”
ग्रीन बायोटेक इकोसोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ खास बातचीत
मणिपुर में जैविक खेती के क्षेत्र में कई निजी संगठन भी शामिल हैं। Green Biotech EcoSolutions Pvt Ltd, एक ऐसा निजी अनुसंधान-आधारित कृषि-इनपुट और बायोटेक निर्माण और विपणन उद्यम है जो फसलों, मिट्टी, पशुपालन, जलीय कृषि और पर्यावरण प्रबंधन के लिए जैव समाधान प्रदान करता है।
कोविड महामारी के दौरान, ग्रीन बायोटेक ने बायोडिग्रेडेबल रसोई के कचरे को गुणवत्तापूर्ण खाद में बदलने और लोगों को अपनी सब्जियां उगाने में मदद करने के लिए एक पहल शुरू की।
मणिपुर सरकार के राज्य स्वास्थ्य मिशन में पूर्व चिकित्सा अधिकारी गीताशोरी युमनाम और असम सुंदरी देवी, ग्रीन बायोटेक इकोसोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक सदस्य हैं। वे अपनी कंपनी की कहानी साझा करते हैं, जिसे 2014 में स्थापित किया गया था। उन्हें विश्वास है कि टिकाऊ और जैविक खेती का ही भविष्य है।
सवाल: ग्रीन बायोटेक इकोसोल्यूशंस की स्थापना के लिए आप कैसे प्रेरित हुई?
जवाब: हम अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे जो टिकाऊ हो और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाले। इसलिए, हमने जैविक खेती पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और इस पर काफी शोध किया। 2016 में हमने जैव उर्वरक और जैव कीटनाशकों का निर्माण शुरू किया। इंफाल में यह अपनी तरह की पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है।
सवाल: आप लोग कैसे प्रेरित हुए?
जवाब: हम अपने राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते थे। हम नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाले भी बनना चाहते थे। हमारा प्राथमिक उद्देश्य खाद्य फसलों में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों से उत्पन्न होने वाले मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों को कम करना था। हम आखिर में मणिपुर को पूरी तरह जैविक राज्य बनते देखना चाहते हैं।
सवाल: ग्रीन बायोटेक के उत्पाद कौन से हैं?
जवाब: हम जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, पशुधन के लिए प्रोबायोटिक्स, प्रकृति नामक समृद्ध खाद, आदि का निर्माण करते हैं।
सवाल. ग्रीनबायोटेक में कितने उत्पाद हैं?
जवाब: हमने केवल समृद्ध कम्पोस्ट प्रकृति से शुरुआत की थी, और अब हमारे पास 35 उत्पाद हैं।
सवाल: आपके लोकप्रिय उत्पाद कौन से हैं और क्यों?
जवाब: ग्रीन एक्यू एक ऐसा उत्पाद है जो मछली के विकास को बढ़ाता है, इसकी इम्यूनो-बूस्टर गुणों के कारण लोकप्रिय है जो पानी की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है। इसके लिए डिमांड ज्यादा है।
सवाल: आप नए उत्पादों को बाजार में कैसे पेश करते हैं? ऐसा करने के लिए आपकी रणनीतियां क्या हैं?
जवाब: उत्पाद की गुणवत्ता हमारी एकमात्र रणनीति है। इसलिए, बाजार में उत्पाद लॉन्च करने से पहले हम आईसीएआर, कृषि विभाग, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, मत्स्य विभाग जैसे संस्थानों में इसका परीक्षण करते हैं। योग्य वैज्ञानिक और कर्मचारी हमारे लिए उत्पादों का परीक्षण करते हैं और परीक्षण सफल होने के बाद हम इसे बाजार में लॉन्च करते हैं।
सवाल: प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
जवाब: मार्केट लिंकेज, परिवहन, पैकेजिंग सामग्री और एक्सपोजर कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं जिनका हम सामना करते हैं। साथ ही, कुछ लोगों में एक गहरी मानसिकता होती है जो सोचते हैं कि कहीं और के उत्पाद हमेशा बेहतर होते हैं।
सवाल: परियोजना से किसान और गाँव को कैसे फायदा हो रहा है?
जवाब: हम ग्राहक को जो परामर्श सेवा प्रदान कर रहे हैं वह तत्काल लाभ है। हम सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। हम आमतौर पर फोन पर समस्याओं का समाधान करते हैं या यदि आवश्यक हो तो हम साइट पर जाते हैं।
सवाल: क्या जैविक खेती करने से किसानों की आजीविका में वृद्धि हुई है? यदि हां, तो क्या कोई विशिष्ट गाँव/ब्लॉक/जिला है?
जवाब: हाँ। कुम्बी, वबागई, वांगोई और राज्य के अधिकांश पहाड़ी जिले लाभान्वित हुए हैं। जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने का हमारा प्रयास जारी है। यह तब तक जारी रहेगा जब तक हमारे किसानों की अर्थव्यवस्था उनके जैविक उत्पादों से नहीं सुधरती।
सवाल: क्या ग्रीन बायोटेक की कोई विशलिस्ट है?
जवाब: हाँ। देश की सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण कंपनियों में से एक बनना और कृषि से संबंधित सरकारी प्रायोजित योजनाओं में भाग लेना।
सवाल: क्या किसानों की आय में कोई ठोस बदलाव आया है क्योंकि वे जैविक हो गए हैं?
जवाब: जैसा कि सभी जानते हैं, जैविक खेती में समय लगता है लेकिन यह अधिकतम लाभ देती है, और किसानों को प्रीमियम आय अर्जित कर सकती है।
यह स्टोरी नाबार्ड के सहयोग से की गई है।