इस समय आम के फल में वृद्धि हर रोज के हिसाब से हो रही है, इस साल अभी तक का वातावरण आम के लिए बहुत उपयुक्त नहीं है। कहीं-कहीं पर आँधी की वजह से तो कहीं अत्यधिक तापमान और चल रही तेज़ लू की वजह से फलों का बहुत झड़ना देखा जा रहा है।
यहाँ बता देना ज़रूरी है कि शुरुआत में जितने फल लगते हैं; उसका मात्र 5-7 प्रतिशत फल ही आखिर पेड़ पर लगा रहता है। मई माह से लेकर फल की तुड़ाई तक किए जाने वाले प्रमुख कृषि काम इस तरह के हैं।
आम पर दाग है तो छिड़काव करें
अगर आम के फलों पर कत्थई रंग के धँसे हुए धब्बे दिखाई दें तो हेक्साकोनाजोल 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। तब इस रोग की उग्रता में भारी कमी आती है। पेड़ पर दिखाई दे रहे गुम्मा व्याधि से ग्रस्त बौर को काट कर हटा देना चाहिए।
आम के फलों की अच्छी बढ़वार के लिए ज़रूरी है कि बाग की मिट्टी हमेशा नम बनी रहे, इसके लिए ज़रूरी है कि हल्की हल्की सिंचाई करते रहे अन्यथा फल के झड़ने की संभावना बनी रहती है।
जहाँ पर फल मक्खी की समस्या गंभीर हो; वहाँ इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनाल फेरोमन ट्रैप 15 से 20 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। आम के बाग के आस-पास यदि ईंट के गड्ढे/बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है।
इसके नियंत्रण के लिए ज़रूरी है कि घुलनशील बोरेक्स 4 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव अप्रैल माह के आखिर में या मई महीने के प्रथम सप्ताह में करना चाहिए।
तना छेदक कीट से बचाव का तरीका
बाग में अगर तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले धुन की समस्या हो तो क्विनालफॉस 25 ईसी. 2 मीली दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए। फलों की तुड़ाई से तीन सप्ताह पहले थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू0 पी0 एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल की तुड़ाई के बाद होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। आम की तुड़ाई हमेशा सुबह या शाम 8-10 सेमी लम्बे डंठल सहित तुड़ाई करना चाहिए।
अगर सम्भव हो तो तुड़ाई सिकेटियर की सहायता से करें। तुड़ाई किये फलों को सीधे मिट्टी के सम्पर्क में नहीं आने देना चाहिए। फलों की तुड़ाई के बाद उसमें से रस का श्राव होता है। स्राव से फल खराब हो सकते है, इसलिए फलों को उल्टा रख कर स्राव से फलों को बचाना चाहिए। भण्डारण से पहले फलों को धो लेना चाहिए। धोने के बाद फलों को एक समान पकाने के लिए ज़रूरी है कि इसे इथरेल नामक दवा 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर 5-7 मिनट डुबोकर भण्डारण करना चाहिए।
यदि इसी घोल में थायोफेनेट मिथाइल नामक फफूंद नाशक 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी की दर से मिला देने से इसे अधिक समय पर भंडारित किया जा सकता है।
आम को कभी भी कार्बाइड से नहीं पकाना चाहिए; क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है। सही परिपक्वता पर तोड़े गए फल खुद भी पक जाते है। फलों को खाने से पहले खूब अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
इन सभी उपायों को अमल में लाकर आम में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और गुणवत्ता युक्त फल प्राप्त किया जा सकता है।