‘पिछली बार सूखे से नुकसान हुआ, इस बार बारिश ने सब बर्बाद कर दिया’ – महाराष्ट्र के प्याज किसान

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के कई जिलों में हुई भारी बारिश से किसानों की प्याज की फसल बर्बाद हो गई, जबकि पिछले साल इन किसानों को सूखे के कारण नुकसान उठाना पड़ा था।
maharashtra heavy rain damage onion farmers nashik pune

पिछले पाँच दिनों से जयदीप भदाणे इस उम्मीद से अपने प्याज के खेत में जाते हैं कि शायद कुछ ही फसल बच जाए, लेकिन 19 अक्टूबर को हुई तेज बारिश में उनकी प्याज की पूरी फसल बर्बाद हो गई।

40 साल के जयदीप भदाणे महाराष्ट्र के नाशिक जिले के देवला तहसील के कापशी गाँव के रहने वाले हैं, इस बार पाँच एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी। लेकिन बारिश में एक झटके से सब बर्बाद हो गया। जयदीप भदाणे गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “कुछ ही दिनों में फसल तैयार हो जाती, पिछले साल फसल लगाई और सूखा पड़ गया और इस बार जब शुरु में अच्छी बारिश हुई तो प्याज लगा दी, लेकिन बारिश ने सब बर्बाद कर दिया।”

जयदीप ने इस बार पाँच एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी, जिसमें लगभग दो लाख रुपए की लागत लगी थी।

नाशिक जिले के कुछ हिस्सों में 19 अक्टूबर से 20 अक्टूबर सुबह तक बादल फटने जैसी बारिश हुई, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। नाशिक जिले के कृषि विभाग के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, केवल 13 घंटों में लगभग 38,554.6 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है।

इस भारी बारिश से 806 गाँवों को प्रभावित किया है, जिसमें 76,558 किसान गंभीर नुकसान का सामना कर रहे हैं। जिन क्षेत्रों में 40 मिमी से अधिक बारिश हुई है, वहाँ सबसे अधिक नुकसान हुआ है।

नाशिक जिले के देवला तहसील के मकरंदवाडी गाँव के किसान भगवान जाधव का भी यही हाल है, उन्होंने 3.5 एकड़ में प्याज की फसल लगाई है, जिसमें करीब 1.5 लाख रुपए की लागत आयी थी, लेकिन अब फसल का बुरा हाल है।

महाराष्ट्र में प्याज की खेती साल में चार बार की जाती है: अगेती खरीफ, खरीफ, पछेती खरीफ और रबी। अगेती खरीफ प्याज के लिए बीज फरवरी-मार्च में बोए जाते हैं, अप्रैल-मई में रोपाई की जाती है, और अगस्त-सितंबर में फसल तैयार होती है। खरीफ प्याज की बुवाई मई-जून में होती है, जुलाई-अगस्त में रोपाई होती है और अक्टूबर-दिसंबर में फसल तैयार होती है। पछेती खरीफ प्याज की बुवाई अगस्त-सितंबर में, रोपाई अक्टूबर-नवंबर में और जनवरी-मार्च फसल तैयार होती है। रबी सीजन में प्याज की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में, रोपाई दिसंबर-जनवरी में और अप्रैल-मई फसल तैयार होती है।

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “बारिश की वजह से 25% तक नुकसान हो सकता है। बारिश से तो किसानों को नुकसान हुआ ही सरकार द्वारा प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण थोक प्याज के दामों में गिरावट से भी नुकसान झेलना पड़ा।”

खरीफ फसल तैयार हो रही है, जबकि रबी फसल की बुवाई के लिए किसानों ने नर्सरी तैयार की थी, लेकिन बारिश से नर्सरी भी बर्बाद हो गई।

नाशिक के कापशी गाँव से लगभग 195 किमी दूर पुणे जिले के जुन्नर तहसील के ओतूर गाँव में वही हाल है, यहाँ प्रमोद पानसरे अभी रबी प्याज की बुवाई के लिए नर्सरी तैयार कर रहे थे। प्रमोद पानसरे गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “हम किसानों के साथ हर बार कुछ न कुछ लगा रहता है, नर्सरी तैयार हो गई थी, दिवाली के बाद हम इसकी बुवाई करते, लेकिन अब फिर से नर्सरी तैयार करनी होगी।”

“लेकिन जो बीज पहले दो हज़ार रुपए किलो बिक रहा था, अब वही चार हजार में बिक रहा है, कुछ भी हो नुकसान हम किसानों का ही हो रहा है, “प्रमोद पानसरे ने आगे कहा।

पुणे, महाराष्ट्र में स्थित प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (ICAR-DOGR) के अनुसार, महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक प्याज उत्पादन करने वाला राज्य है, जहाँ नासिक, अहमदनगर, पुणे, धुले और शोलापुर जिलों में प्याज की खेती होती है। इसके बाद कर्नाटक, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश का स्थान आता है।

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 507.96 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जाती है, जिससे 8,854.09 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है।

Recent Posts



More Posts

popular Posts