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अपने शौक को करियर बनाकर आप भी बन सकते हैं इनकी तरह बड़ी नर्सरी के मालिक

ज़्यादातर लोग अपने शौक को अपना करियर नहीं बना पाते हैं, ऐसे में लोगों को ललित देवड़ा से मिलना चाहिए जो आज राजस्थान की सबसे बड़ी नर्सरी चलाते हैं।
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जोधपुर (राजस्थान)। रेगिस्तान की तपती धरती पर सुंदर फूलों के पौधे तैयार होते देख शायद आप भी अचरज में पढ़ जाएँ, क्योंकि अभी तक यहाँ भी पुणे, कोलकाता जैसे शहरों की नर्सरियों से पौधे आते थे। लेकिन जोधपुर की स्वास्तिक नर्सरी में आपको हर तरह के पौधे मिल जाएँ। इसे चलाते हैं ललित देवड़ा।

लेकिन ऐसा नहीं है कि ललित शुरुआत से नर्सरी के बिजनेस में आना चाहते थे, एमबीए करने के बाद वो भी किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करना चाहते थे, लेकिन आज जोधपुर की हाईटेक नर्सरी चला रहे हैं।

जोधपुर से करीब 12 किलोमीटर दूर सुरपुरा बांध के पास रहने वाले ललित देवड़ा के इस सफर की शुरुआत हुई। महाराष्ट्र के पुणे से एमबीए पूरा करने के बाद जब वो इंटर्नशिप कर रहे थे, तब उन्हें इसका आईडिया आया। ललित गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “मेरा इंटर्नशिप अमूल में हुआ करता था तो रास्ते में बहुत पॉली हाउस और ग्रीन हाउस बने हुए देखता, जो मेरे लिए बिल्कुल नए थे। बस वहीं सोचा कि क्यों न राजस्थान में ऐसा कुछ शुरू किया जाए।”

ललित ने सब्जियों से इसकी शुरुआत की, ललित आगे कहते हैं, “जब सब्जियां उगाना शुरू की तो राजस्थान के बागवानी विभाग से संपर्क किया। उनकी मदद से खेती करने लगा तो मार्केट में भी लोगों को पता चलने लगा कि कोई नया आया है, उसी के यहाँ के टमाटर, खीरा और कैप्सिकम है। फिर क्या अब तो लोग भी जानने लगे थे।”

खेती शुरू करने के साथ-साथ ललित हर दिन कुछ नया सीखते भी रहे। जयपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र में उद्यान विभाग के अधिकारियों से करीब एक माह तक कृषि और उद्यानिकी की बारीकियाँ भी सीखी।

वो बताते हैं, “छह महीने में रिजल्ट आ गया, तब मुझे पता चला कि कहाँ गलतियाँ कर रहा हूँ। एक एकड़ एरिया में छह महीने की फसल में 58 टन खीरा मिला, लेकिन इसके लिए मेहनत भी की, सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक वहीं रहा करता था।”

सब्जियों के बाद भी ललित ने बागवानी पर ध्यान देना शुरू किया। फॉर्म हाउस पर स्वास्तिक नाम से नर्सरी की शुरुआत की है। फिलहाल विभिन्न प्रजातियों के 500 पौधे यहाँ उपलब्ध है। पश्चिमी राजस्थान में अत्याधुनिक नर्सरियों में इसका नाम है। इंडोर के साथ ही आउटडोर पौधे भी यहाँ हैं।

ललित कहते हैं, “मैं बड़ा जिद्दी टाइप हूँ, मुझे जो अच्छा लगता है वही करता हूँ, नर्सरी में जो भी कर रहा है, सब कुछ इंटरनेट से ही सीखा है, जैसे कि मिट्टी कैसी होनी चाहिए, कितने तापमान में कौन सा पौधा उगेगा सब कुछ। मैं अपनी गलतियों से ही सीखता रहा हूँ, तभी धीरे-धीरे यहाँ तक पहुँच गया हूँ।”

शुरुआत में ललित बाहर से पौधे लेकर आते थे, अब उन्हीं पौधों से ही नए पौधे तैयार करते हैं। पूरे राजस्थान में अब उनके यहाँ से ही पौधे सप्लाई होते हैं।

अब तो ललित को दूसरे काम भी मिलने लगे हैं, साल 2019 में उन्हें आईआईटी जोधपुर के लैंड स्केपिंग का काम किया। ललित बताते हैं, “आईआईटी कैंपस का लैंडस्केप डिजाइनिंग के बाद अब दूसरे काम भी मिलने लगे हैं। राजस्थान के सबसे बड़े सफारी का भी काम मिल गया।”

काम बढ़ा तो टीम भी बढ़ा ली है, ललित की टीम में 50 से ज़्यादा लोग अलग-अलग लोग काम करते हैं। लेकिन इन सब के बीच अगर ललित आगे बढ़ पाए हैं तो इसमें उनके परिवार का भी पूरा साथ मिला है।

ललित की पत्नी खुशबू देवड़ा सीए हैं और उनके यहाँ का सारा काम वही देखती हैं, वो कहती हैं, “कहते हैं न कोई चीज असंभव नहीं होती है, तभी तो हम इतने आगे बढ़ पाए हैं।” फॉर्म हाउस और नर्सरी से लेकर अन्य खाते खुशबू के जिम्मे हैं तो रिटेल का काम भी वही देखती है जबकि ललित बाहर के लोगों से सम्पर्क और अन्य कार्य करते हैं। फॉर्म पर नर्सरी का सेटअप भी खुशबू देखती हैं।

ललित की माँ शोभा देवड़ा को अपने बेटे पर गर्व है, वो कहती हैं, “जो बचपन में इसने फूल भी खूब तोड़े और माला भी खूब बनाई है। पहले हमारे यहाँ माला बनाने का भी काम था और फूलों की दुकान थी और आज उसने खुद उगा दिए हैं।”

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