गुजरात में गिर गाय की हाईटेक गोशाला: अगर इनकी बात मान ली तो आप की भी बढ़ सकती है आमदनी

पशुपालन और खेती से भी अच्छी कमाई की जा सकती है, ये कर दिखाया है गुजरात की इस गोशाला ने; तभी तो यहाँ पूरा परिवार सिर्फ गोशाला का काम देखता है और बहुत सारे लोगों को रोज़गार भी दिया है।
gir cow

गोशाला का नाम सुनते ही अगर आप के भी दिमाग में किसी गोबर से से पटी जगह का खयाल आता है तो आपको गिर गाय की इस हाई टेक गोशाला को ज़रूर देखना चाहिए।

गुजरात के सूरत जिला मुख्यालय से लगभग 31 किमी दूर कामरेज ग्राम पँचायत के नवी पारडी गाँव में है गिर गाय की हाईटेक गोशाला गिर ऑर्गेनिक। इसकी शुरुआत की है मगन भाई अहिर और उनके भाईयों ने। जहाँ पर दूध निकालने से लेकर हर काम आधुनिक तकनीक की मदद से होता है।

गिर गाय के संरक्षण के लिए मगनभाई अहीर के बेटे नीलेश मगनभाई अहिर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

नीलेश मगनभाई अहीर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

नीलेश मगनभाई अहीर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

कृषि में ग्रेजुएशन के बाद नीलेश खेती और पशुपालन से जुड़ गए। नीलेश मगनभाई गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “ऐसा नहीं हैं कि हमने पहली बार पशुपालन की शुरुआत की, हम अहीर हैं तो हमारे यहाँ पशुपालन पुरखों के समय से होता आ रहा है।”

वो आगे कहते हैं, “लेकिन हमने इसे समय के साथ हाई टेक और प्रोफेशनली बढ़ाया है, आज हमारे पास 400 से अधिक गिर गाय और 100 से ज़्यादा जाफराबादी भैंसे हैं।”

400 एकड़ फार्म में फैले गिर ऑर्गेनिक फार्म में गाय और भैंसों के लिए खुली जगह है, जहाँ पर ये टहलती हैं। 400 एकड़ में ज़्वार, बाजरा, मूँगफली की जैविक खेती होती है।

करीब 18 साल पहले इनके यहाँ 10-12 गाय और चार-पाँच भैंस थीं। नीलेश बताते हैं, “हमारा सँयुक्त परिवार था तो जितना दूध होता वो घर भर के लिए हो जाता था; हमें शुरू से ही पशुपालन में आगे बढ़ना था, इसी को हमें अपना मेन बिजनेस करना था। हम ने सोचा कि सूरत ही नहीं पूरे देश में लोगों को शुद्ध दूध और घी मिले, इसलिए हम इसे आगे बढ़ाते गए; अभी हम इसके आगे और भी ज़्यादा बढ़ाएँगे। ” नीलेश ने आगे कहा।

मगन भाई के पाँच भाई और सभी के दो-दो बच्चे हैं, सभी डेयरी और खेती का काम देखते हैं। नीलेश कहते हैं, “मेरे कजिन नीतिन ने डेयरी साइंस की पढ़ाई की है वो मैनेजमेंट देखता है, एक भाई मार्केटिंग देखता है और मैं और मेरे पापा पशुपालन और खेती देखते हैं।”

नीलेश के अनुसार पहले कहा जाता रहा है कि उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और कनिष्ठ नौकरी थी, लेकिन आज अगर हम खेती और पशुपालन में अच्छा काम करें तो हम व्यापार भी कर सकते हैं और सबको नौकरी पर भी रख सकते हैं।

आज गिर ऑर्गेनिक में हर दिन 900 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है, दूध के साथ घी भी बनाकर बेचते हैं। “पशुपालन में 10-15 प्रतिशत का फायदा हो जाता है, दूसरा पशुपालन में जो पशु बढ़ते हैं वही हमारा सबसे बड़ा प्रॉफिट है, हर साल 20 प्रतिशत बढ़ जाते हैं, “नीलेश आगे बताते हैं।

पशुपालन से कमाई के बारे में नीलेश कहते हैं, “अगर आप पशुपालन कर रहे हैं और आपको बाहर से पैसे नहीं लगाने पड़ रहे हैं तो इससे बड़ा आपका प्रॉफिट है ही नहीं; अगर आपके पास खेती की ज़मीन नहीं है तो आप पशुपालन नहीं कर सकते हैं।”

गिर ऑर्गेनिक में 80-90 लोगों को रोज़गार दिया है, साथ ही गाँव के लोगों गोमूत्र और गोबर भी उपलब्ध कराते हैं, जिससे वो भी जैविक खेती कर सकें।

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