बलुआ बजाहुर (मिर्जापुर), उत्तर प्रदेश
मिर्जापुर के राजगढ़ ब्लॉक में, विंध्य की तलहटी में चमकदार लाल मिट्टी पर लगे सीमेंट को खंभों को नजरअंदाज करना मुश्किल है। ये कंक्रीट के खंभे ट्रेलिस हैं जो ड्रैगन फ्रूट की वृद्धि में मदद करते हैं – एक ऐसी फसल जिसने हाल ही में उत्तर प्रदेश में प्रगतिशील किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल की है।
ऐसी ही एक किसान हैं 32 वर्षीय वंदना सिंह हैं जिन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती से न केवल उनकी कमाई बेहतर हुई है, बल्कि क्षेत्र की अन्य महिला किसानों को उनकी आजीविका में सुधार के लिए प्रशिक्षित भी कर रही हैं।
“मैंने ड्रैगन फ्रूट की खेती तब शुरू की जब अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे इसके बारे में बताया और मुझे वियतनाम से पौधे लाने की सलाह दी। मुझे 2018 में पौधे 90 रुपये प्रति पौधे की कीमत पर मिले थे और मुझे अपने गाँव में पौधे लाने में लगभग 180,000 रुपये का खर्च आया था, “वंदना सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।
उन्होंने आगे बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में उद्यान विभाग ने काफी मदद की है।
“ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए हमें उद्यान विभाग से आर्थिक मदद के तौर पर 30 हजार रुपए का प्रोत्साहन राशि मिला है। हमने 2020 में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की और एक एकड़ जमीन से 5 लाख रुपये का मुनाफा कमाया, ”उन्होंने कहा।
मुनाफे ने वंदना सिंह को अपनी जमीन बचाने में मदद की जो गिरवी होने के कगार पर थी। वार्षिक आय में वृद्धि के साथ, वह अब नियमित रूप से कर्ज चुका रही हैं, जिससे उसे घर में अपनी भूमिका के बारे में सशक्त महसूस करने में मदद मिली है।
“इतना ही नहीं, अब मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पा रही हूं। मेरा बड़ा बेटा अब एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ता है जहां हर महीने 4000 रुपए फीस लगती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिना यह सब असंभव होता। गेहूं और धान जैसी मुख्य फसलें मुश्किल से ही हमारी जरूरतें पूरी कर पाती थीं।’
मिर्जापुर के जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम ने गाँव कनेक्शन को बताया कि जिले में कुल 185 किसान 100 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं।
“इन 180 किसानों में से 30 महिलाएं हैं। मिर्जापुर जो समुद्र तल से लगभग 80 मीटर की दूरी पर है, ड्रैगन फ्रूट के फलने-फूलने के लिए अनुकूलतम स्थिति प्रदान करता है। इस क्षेत्र में गर्म हवाओं के बावजूद, जो पहाड़ियों को गर्म करती हैं और गर्मियों में पारा 46 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है, जिससे ड्रैगन फ्रूट का बढ़िया उत्पादन मिलता है, “मेवाराम ने गाँव कनेक्शन को बताया।
किसानों को उपलब्ध कराती हैं ड्रैगन फ्रूट के पौधे
ड्रैगन फ्रूट की खेती में सिंह की सफलता ने उन्हें अपने गाँव और आसपास के किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल करने में मदद की है।
“मैंने एक नर्सरी भी बना रखी है जहां ड्रैगन फ्रूट के पौधों की खेती दूसरे किसानों को बेचने के लिए की जाती है। आज मेरी नर्सरी में 21,700 पौधे हैं और मैं उन्हें 50 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से बेचती हूं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसान पौधे खरीदने के लिए मेरी नर्सरी में आते हैं, “वंदना सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया।
वंदना ने कहा कि महिलाएं अपने खेतों में आसानी से खेती कर सकती हैं क्योंकि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती है जो गेहूं और धान जैसी फसलों के लिए जरूरी है।
“मैं उन्हें मुफ्त में प्रशिक्षण देती हूं। मैं चाहती हूं कि अधिक महिलाएं अपने परिवारों के लिए बेहतर कमाई कर पाएं। इस फसल को सिंचाई, कीट प्रबंधन और उर्वरकों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होता है। मैं मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाली महिला किसानों की मदद के लिए तैयार रहती हूं, “वंदना ने आगे बताया।
मिर्जापुर में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अध्यक्ष मेवा राम ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती जिले की महिलाओं में काफी लोकप्रिय हो रही है।
“इस साल ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन 80 क्विंटल [800 किलोग्राम] हुआ। अगले साल, हम इसके 500 क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं, उन्होंने आगे बताया।