औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहतरीन मौका था, जब एक ही जगह पर उन्हें खेती की उन्नत जानकारी के साथ ही उन्हें फसलों के बीज भी मिल रहे थे।
सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में आयोजित दो दिन के किसान मेला में देश भर के 4000 से ज़्यादा किसान शामिल हुए।
31 जनवरी को मेले के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो अन्नदाता किसान आज परंपरागत खेती के अलावा अन्य खेती भी कर रहे हैं, उन्हें दोगुने से अधिक फायदा हो रहा है। जिन किसानों ने सहफसली के साथ औषधीय एवं सगंध औषधीय खेती और बागवानी को बढ़ावा दिया या हर्बल प्रोडक्ट्स को प्रमोट किया है, वह लागत से कई गुना अधिक दाम पा रहे हैं। इस मौके पर सीएम ने अरोमा मिशन मोबाइल ऐप लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झारखंड की महिला किसान को लेमन ग्रास की पौध, थारू महिला को मेंथा की जड़ और बस्ती के किसान को खस की नई किस्म की पौध दी।
श्रावस्ती जिले से मेले में शामिल हुए किसान राम मनोहर वर्मा गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “पिछले साल भी इसी मेले में आये थे। मेरा खेती किसानी का काम है और मैं मेंथा की खेती करता हूँ; इसकी जड़ मैं यहाँ से लेकर के जाता हूँ, मैं 2010 से मेंथा की खेती कर रहा हूँ, लेकिन 2023 से पहले मुझे सीमैप की जानकारी नहीं थी तो मैं लोकल मार्किट से ही जो जड़ें मिलती थी उसे लगाते थे।”
वो आगे कहते हैं, “फिर पिछले साल मोबाइल पर सर्च करने के बाद पता चला लखनऊ में किसान मेला लगता है और यहाँ अच्छी और नयी वैरायटी यहाँ मिलती हैं और यहीं से वितरित होती हैं; तो पिछले साल हम यहाँ से जड़ लेकर गए थे जिससे हमारी खेती पर बहुत असर पड़ा है जो हम लोकल मार्किट से जड़े लेकर लगाया करते थे और जो किस्में हम यहाँ से लेकर लगाए हैं उसमे करीब 25 प्रतिशत का फर्क है।”
“मतलब जहाँ 10 लीटर तेल निकलता था वहाँ अब 15 लीटर तक तेल निकल आता है; तो लोकल मार्किट से जो किस्म हम लेते थे उसमें और जो किस्म हमे यहाँ से मिलती हैं उसमे ज़मीन आसमान का फरक है। ” राम मनोहर ने आगे कहा।
वहीं, कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, सीएसआईआर सीमैप के महानिदेशक डॉ. एन कलाइसेल्वी भी मौजूद रहे। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सीमैप ने यूपी में औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती के संबंध में अच्छा काम किया है। किसानों से अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत किस्मों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है।”
दो दिन के मेले में 500 महिला उद्यमी, सगंध कंपनियों के प्रतिनिधि और 15 अन्य शोध संस्थान, सरकारी और गैर सरकारी समितियों के सदस्य भी शामिल हुए।
पंजाब के रूपनगर से आए किसान महिंदर राणा ने गाँव कनेक्शन से बताया, “मैं वैसे तो सरकारी कर्मचारी हूँ, लेकिन साथ ही एक किसान भी हूँ; पिछले तीन साल से पंजाब से लखनऊ इस मेले में भाग लेने आता हूँ, वैसे तो इंस्टीट्यूट बहुत सारे हैं, लेकिन लखनऊ के सीमैप की बात कुछ अलग है, क्योंकि हर बार जब भी यहाँ आता हूँ तो मुझे कुछ नया सीखने को मिलता है।”
लखनऊ में CSIR-CIMAP द्वारा आयोजित ‘किसान मेला-2024’ में… https://t.co/MjM4n4ThA7
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 31, 2024
“मैं मेडिसिनल प्लांट्स में सफ़ेद मूसली की खेती करता हूँ उसी की ज़्यादा जानकारी के लिए इस मेले में आया हूँ; मेरे ख्याल में जितना शोध और किताबें लखनऊ के इंस्टीट्यूट में हैं उतना और कही पर भी नहीं हैं , कल्टीवेशन से लेकर प्रोसेसिंग तक पूरी जानकारी हमें मिलती हैं। ” महिंदर ने आगे कहा।
मेले में विभिन्न तरह के स्टॉल भी लगाए गए थे, जहाँ पर किसानों ने जानकारी हासिल की।
यूपी में देश की 80 फीसदी मेंथा की खेती
मेले में सबसे ज़्यादा किसान मेंथा की जड़ें खरीदने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिसकी वो नर्सरी तैयार करके खेती करते हैं।
देश की 80 फीसदी मेंथा उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी, चंदौली, सीतापुर, बनारस, मुरादाबाद, बदायूं, रामपुर, चंदौली, लखीमपुर, बरेली, शाहजहांपुर, बहराइच, अंबेडकर नगर, पीलीभीत, रायबरेली में इसकी खेती होती है। बाराबंकी को मेंथा का गढ़ कहा जाता है। बाराबंकी अकेले प्रदेश में कुल तेल उत्पादन में 25 से 33 फीसदी तक योगदान करता है।