किसी बड़े कॉलेज में पढ़ाई, उसके बाद किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी; आजकल हर एक युवा का यही सपना होता है, लेकिन अनुष्का उन सबसे अलग हैं, क्योंकि दिल्ली जैसे बड़े शहर को छोड़ किसान बन गईं हैं, जबकि उनका कभी किसी से गाँव या खेती से कोई नाता नहीं था।
23 साल की उम्र में जब युवा पढ़ाई और नौकरी के ऊहापोह में उलझे रहते हैं, उसी उम्र में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रहने वाली अनुष्का ने अपने घर से 40 किमी दूर मोहनलालगंज में सब्जियों की खेती शुरू कर दी थी। आज 27 साल की अनुष्का लाल-पीली शिमला मिर्च, ज़ुकिनी, लेट्यूस, ब्रॉकली, रेड कैबेज जैसी विदेशी सब्जियों की खेती करती हैं। उनकी सब्जियाँ लखनऊ के बड़े-बड़े होटल, मॉल और रेस्टोरेंट में जाती हैं। यही नहीं अब तो ऑनलाइन भी बेचना शुरू कर दिया है।
अनुष्का गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “जब मैंने 2021 में खेती शुरू की तो पहले मैंने ट्रेनिंग ली, मेरे लिए चुनौतियाँ ज्यादा थी, क्योंकि खेती का कोई बैकग्राउंड नहीं था, न ही खेती की कोई जानकारी थी। शुरुआत में तो घर वालों को भी यही लगता था कि मैं इसे कर पाऊँगी या नहीं। मुश्किलें तो बहुत आयीं, लेकिन धीरे-धीरे में सब आसान हो गया।”
अनुष्का के परिवार में उनके पिता व्यवसायी हैं, भाई हेलीकॉप्टर पायलट, भाभी साफ्टवेयर इंजीनियर और बड़ी बहन एडवोकेट है। अनुष्का के घर वाले चाहते थे वो कॉरपोरेट जॉब करें।
एक एकड़ से खेती की शुरुआत की, आज 3 पॉलीहाउस समेत 6 एकड़ का फार्म हैं। वो ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग और लो-टनल के साथ खेती करती हैं।
अनुष्का आगे कहती हैं, “मैंने खुद से ही एक छोटी टीम बनाई, जो आज 20-25 लोगों की हो चुकी है। मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज था एक नए क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना। मैं रोज़ाना 12 घंटे मेहनत करती थी, जिससे मेरे स्किल्स में सुधार हुआ और धीरे-धीरे सफलता मिलने लगी।”
अनुष्का ने सबसे पहले पॉलीहाउस में काम करना शुरू किया, जहाँ उन्हें समझ आया कि आधुनिक खेती और उससे जुड़े इनोवेटिव तरीकों का क्या महत्व है। एक महत्वपूर्ण सीख यह रही कि किसी भी खेती के प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले पूरी जानकारी जुटानी चाहिए।
पॉलीहाउस सेटअप की लागत लगभग 45 लाख रुपये तक होती है, जिसमें विभिन्न सब्सिडी और फाइनेंशियल सपोर्ट शामिल होते हैं। सरकारें भी 50% तक की सब्सिडी देती हैं, जो राज्य के अनुसार बदलती रहती है।
फसलों के चुनाव पर अनुष्का कहती हैं, “जहाँ तक फसल चयन का सवाल है, तो मैंने टमाटर और खीरा जैसी फसलों से शुरुआत की। ये फसलें कम समय में अच्छा रिटर्न देती हैं। हाइड्रोपोनिक खेती भी एक अच्छा विकल्प है, जिसमें पानी की बचत होती है और उत्पादकता बढ़ती है।”
अपने सफलता के मंत्र पर अनुष्का कहती हैं, “मेरे लिए सफलता का मंत्र यही रहा है कि मार्केट के उतार-चढ़ाव के बावजूद हमेशा क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए। मैंने अपनी खेती के उत्पाद सीधे मंडी और रिटेल चैनलों के माध्यम से बेचे, जिससे बेहतर प्रॉफिट मार्जिन मिला। तीन साल के भीतर मैंने अपनी पूरी लागत वसूल कर ली और अब मैं सालाना 10-12 लाख रुपये का प्रॉफिट कमा रही हूँ।
“यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर आप मेहनत और लगन से काम करें तो खेती भी एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है, “अनुष्का ने आगे कहा।
अगर आप भी गाँव में रह खेती या कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो देखते और पढ़ते रहिए ‘मत छोड़िए गाँव’