ख़राब मौसम से फ़सल बर्बाद होना या मंडी में अनाज, सब्ज़ी का सही दाम नहीं मिलना किसानों की आम समस्या है। सबसे ज़्यादा नुकसान उन किसानों को होता है जो कर्ज़ लेकर ख़ेती करते हैं लेकिन मुनाफा लागत से भी कम होता है। ऐसे में किसान भाई अगर कुछ नए कदम उठायें तो न सिर्फ प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं बल्कि मुनाफा भी होगा।
पहला कदम – टिकाऊ कृषि पद्धतियों को हमेशा लागू करें। यानी उत्पादन बढ़ाने के लिए जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल करें, कीटनाशकों का उपयोग जितना कम हो उतना बेहतर है। आप सोच रहे होंगे इससे क्या होगा? इससे पर्यावरण को लाभ तो होगा ही बाज़ार में आपको दूसरों से कही अधिक पैसा आपकी फ़सल को मिलेगा। अब ख़रीददार छोटे शहरों में भी ऐसे उत्पादों के लिए ज़्यादा कीमत देते हैं जिनमें कीटनाशकों का इस्तेमाल कम हुआ है और जैविक या ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किया गया है। कई ब्रांड सिर्फ इसलिए बाज़ार में जगह बना लिए हैं क्योकि वे अपने अनाज या सब्ज़ी को ऑर्गेनिक तरीके से तैयार करने का दावा करते हैं। भारत के अलावा अफ्रीका और यूरोप में तक इसकी मांग बढ़ी है।
दूसरा कदम – सिर्फ अनाज बोने से अब बात नहीं बनेगी, आपको समय के साथ चलना चाहिए। केवल कच्चे कृषि सामान को बेचने के बजाय प्रसंस्करण (उत्पाद को नए रूप में) और पैकेजिंग के जरिये कीमत बढ़ा सकते हैं। इसमें कच्चे उत्पाद को जैम, अचार, सॉस या दूसरे उत्पादों में बदलना या पैकेजिंग और ब्रांडिंग करना शामिल हो सकता है जो आपको दूसरों से अलग करेगा। इससे मौसम या बाज़ार में उतार-चढ़ाव जैसी वजहों से पैसे का नुकसान कम होता है।
तीसरा कदम – अब बड़े ब्रांड किसानों को उनकी फ़सल का अच्छा दाम देते हैं। बजाय इसके कि किसान पहले की तरह थोक विक्रेताओं या बिचौलियों को अपना उत्पाद दें सीधे उपभोक्ताओं को दे सकते हैं। बिचौलियों से अक्सर किसानों को आधा दाम मिलता है। अधिक मुनाफा के लिए आपको किसान बाज़ार, समुदाय-समर्थित कृषि (सीएसए) कार्यक्रमों के जरिये या स्थानीय रेस्तरां या खुदरा विक्रेताओं को सीधे बेचना चाहिए।
चौथा कदम – किसान अपने फार्म पर कृषि पर्यटन के मौके दे करके भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं, जैसे कि फार्म स्टे (खेत में रुकने की सुविधा ), खेत की सैर (ट्रेक्टर या बैल गाड़ी से खेत यात्रा) या शैक्षिक पर्यटन। इससे किसानों को कभी कभी फ़सल की लागत से कई गुना ज़्यादा पैसा मिल जाता है। यही नहीं, अक्सर खेत घूमने आने वाले न सिर्फ घूमने फिरने की कीमत देते हैं सब्ज़ी और पौधे भी खरीद लेते हैं। भारत में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में अब ये कई किसानों के लिए मोटी आमदनी का ज़रिया है। मॉरीशस और अफ्रीका के कई दूसरे देशों में गन्ना, अन्नानास या ड्रेगन फ्रूट का खेत देखने काफी टूरिस्ट आते हैं।
पाँचवा कदम – ऐसे कई तरीके हैं जिनसे किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जीपीएस और रिमोट सेंसिंग जैसी सटीक कृषि प्रौद्योगिकियां, किसानों को अपनी फसलों का अधिक कुशलता से प्रबंधन करने और लागत कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, सीधी खेती और हाइड्रोपोनिक्स (बिना मिट्टी के) जैसी नई तकनीक किसानों को शहरी या अन्य गैर-पारंपरिक वातावरण में फसलें उगाने में सक्षम बना सकती हैं, जिससे संभावित रूप से उनकी बाज़ार पहुँच बढ़ सकती है।
छठा कदम – अक्सर किसान अपनी आगामी फ़सल या योजना को साझा नहीं करते हैं। लेकिन अगर दूसरे किसान भाइयों से बात करें और उनसे भी बीच बीच में सुझाव लें तो कई नई जानकरी मिल जाती है। सम्भव नहीं है हर किसान विशेषज्ञ या शहर से लगातार जुड़ा हो, लेकिन उसके आसपास का दूसरा किसान या मित्र मुमकिन है कोई नई जानकारी रखता हो। सहकारी व्यवस्था या साझेदारी के माध्यम से दूसरे किसानों के साथ सहयोग करने से किसानों को संसाधनों को जुटाने, जानकारी साझा करने और अपने फ़सल का सही दाम जानने में मदद मिल सकती है। इससे किसानों को लागत कम करके अपने उत्पाद बेचने की क्षमता में सुधार करके आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
सातवाँ कदम – सिर्फ ख़ेती करने पर निर्भर न रहे। कृषि उत्पाद बेचने के अलावा गैर-कृषि उत्पाद या सेवाएँ बेचकर भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसमें हस्तनिर्मित शिल्प या कारीगर उत्पाद बेचना, खानपान या कार्यक्रम कराना,खेती कृषि से संबंधित परामर्श या सलाहकार सेवाएं देना शामिल हो सकता है।
आठवाँ कदम – नवीकरणीय ऊर्जा (सौर ऊर्जा) में निवेश करने से किसान न सिर्फ अपनी जमीन पर बिजली का सुख लेते हैं दूसरों को ये सुविधा दे कर भी पैसा कमा लेते हैं। उन गाँवों में जहाँ बिजली की किलल्त के कारण सिंचाई बड़ी समस्या है वहाँ सौर ऊर्जा वरदान हैं। बुंदेलखंड में जहाँ कभी पानी बिजली सपने जैसा था वहाँ सौर ऊर्जा ने किसानों को नयी ज़िंदगी दी है। कई किसान तो सिर्फ इससे ही अच्छी आमदनी कर रहे हैं। सौर पैनलों या पवन टरबाइन जैसी तकनीक ने क्रांति ला दी है। अब तो ग्रिड को अलग से बिजली की बिक्री करके भी पैसा कमा सकते हैं।