अगर आप उत्तर प्रदेश से हैं और गिर, साहीवाल, थारपरकर या गंगातीरी जैसी गायों की गोशाला चलाते हैं; तो आपके काम की ख़बर है। देसी गायों के प्रोत्साहन के लिए यूपी सरकार एक नई योजना लेकर आयी है।
पशुपालन विभाग लखनऊ मंडल के अपर निदेशक डॉ वीके सिंह गाँव कनेक्शन से इस योजना के बारे में बताते हैं, “वर्तमान में सरकार द्वारा पशुपालकों को बढ़ावा देने के लिए और स्वदेशी पशुओं को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री स्वदेशी पशु प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है। यह योजना प्रदेश के 75 जनपदों में लागू है।”
वो कहते हैं, “इस योजना का मुख्य रूप से उन पशुपालकों को लाभ मिलेगा, जिनके पास स्वदेसी नस्ल की गाय हों। जैसे कि हमारे देश की 50 देसी नस्लें हैं। उत्तर प्रदेश के लिए दुधारू किस्म की गिर, साहीवाल, थारपरकर और रेड सिंधी के साथ ही पूर्वांचल की गंगातीरी नस्ल की गाय का पालन करने वाले किसानों को इसका लाभ मिलेगा।”
कैसे करें इस योजना के लिए आवेदन
डॉ वीके सिंह आगे बताते हैं, “इन देसी नस्लों में पहली या दूसरी ब्यात के समय और ब्यात के 45 दिन अंदर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।”
इसके लिए पशुपालक को मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी या डेयरी विभाग विकास अधिकारी के यहाँ फॉर्म लेकर भर दें। इसको भरने के बाद फिर से सत्यापन कराया जाएगा। और गाय को देखा जाता है कि क्या वो आठ से बारह लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।
इसके बाद दस हज़ार रुपए नगद और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। यही नहीं अगर 12 लीटर से अधिक दूध देने वाली गाय है तो 15 हज़ार रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
देसी गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को चलाया जा रहा है, जिससे पशुपालकों का उत्साहवर्धन हो। ऐसे में पशुपालक कम दूध देने वाली गायों के बजाए अधिक दूध देने वाली गाय का पालन करेंगे।
इस योजना के तहत सुबह, शाम और अगली सुबह यानी तीन समय का दूध निकालकर उसका सत्यापन किया जाएगा; कि वो गाय सही में इतना दूध दे रही है या नहीं। ऐसे पशुपालक इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
पशुपालक एक बार ही उठा सकेंगे योजना का लाभ
मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना स्वदेशी नस्ल की गायों के पहले, दूसरे और तीसरे ब्यात पर लागू होगी। इस योजना का लाभ प्रदेश के पशुपालक अधिकतम 2 गायों पर उठा सकते हैं।
पशुपालक एक गाय की उच्च उत्पादकता के लिए उसके जीवनकाल में केवल एक बार ही योजना का लाभ उठा सकेंगे। योजना का उद्देश्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि करके प्रदेश के पशुपालकों की आय बढ़ाना है। साथ ही प्रदेश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़ाकर राष्ट्रीय स्तर पर लाना है।
योजना का लाभ फर्म, समूह और संगठन नहीं उठा सकेंगे। यह योजना केवल व्यक्तिगत लाभार्थी के लिए ही है।