गन्ने की खेती से होगी बढ़िया कमाई, बस युवा किसान की इन बातों को मान लीजिए

गन्ने की बुवाई में अगर बढ़िया उत्पादन पाना है तो खेत तैयार करने और सही बीज के इस्तेमाल से लेकर आखिरी सिंचाई तक ध्यान देने की ज़रूरत होती है।
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गन्ने की खेती करने वाले किसानों की ये शिकायत होती है कि बढ़िया खाद-पानी देने के बाद भी ज़्यादा उत्पादन नहीं मिल पाता है। ऐसे किसानों को प्रगतिशील युवा किसान दिजलिंदर सहोता से मिलना चाहिए, जो कुछ बदलाव कर के बंपर उत्पादन ले रहे हैं।

लखीमपुर खीरी ज़िले के मोहपुरवा गाँव के दिलजिंदर प्रति एकड़ 100 क्विंटल तक गन्ना उत्पादन लेते हैं। दिलजिंदर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “आप कभी कुदरत को चैलेंज कर सकते हैं और न ही कभी आगे बढ़ सकते हैं। जो भी क्लाइमेट में बदलाव होंगे, उनका असर आपकी खेती पर भी पड़ेगा। इसलिए जब आप कुदरत के साथ चलेंगे तो कुदरत भी आपकी खेती में मदद करेगी।”

बढ़िया उत्पादन के लिए शुरू से ही किसानों को कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। दिलजिंदर किसानों को बढ़िया उत्पादन पाने के लिए ज़रूरी सलाह दे रहे हैं

मिट्टी की सेहत का रखें ध्यान

जो मिट्टी है वो भी जीवित है, इसलिए जो फसल अवशेष होते हैं उन्हें खेत में जलाना नहीं चाहिए, क्योंकि किसानों को लगता है इसे खेत में जलाने से जमीन उपजाऊ हो जाएगी।

असल में वो हमारे मिट्टी की फसल की खुराक है, तो हमको शुरुआत यहाँ से करनी चाहिए, हमारी ज़मीन या जो हमारी मिट्टी है, उसका सुधार करें। जो फसल अवशेष है उसे वापस मिट्टी में मिलाएँ, क्योंकि मिट्टी में जो सूक्ष्म तत्व होते हैं वही मिट्टी को जीवित रखते हैं और फसल अवशेष उनकी खुराक है। जितना आप मिट्टी का ध्यान रखेंगे उतना ही बढ़िया उत्पादन मिलेगा।

तैयार करें खुद की नर्सरी

अगर आप लंबे समय से गन्ने की खेती कर रहे हैं तो एक नर्सरी ज़रूर तैयार कर लें, जिसमें सही तरीके से बीज को तैयार कर सकते हैं। जब भी किसी शोध संस्थान से आपको नई किस्म का बीज मिलता है, तो उसको शोधित करके सही तरीके से बोइए, ताकि उसमें कोई कीट या रोग न लगे। इससे एक बार जब बीज तैयार हो जाएगा तो उसे और बढ़ाकर उसकी खेती कर सकते हैं। इससे आने वाले साल में आपको शुद्ध और स्वस्थ बीज मिल जाएगा, जिसमें कोई बीमारी नहीं लगेगी। इससे आपका खर्च कम होगा और उत्पादन भी बढ़िया मिलेगा।

जब लम्बे समय के लिए खेती कर रहे है तो एक नसर्री प्लाट तैयार कर लेनी चाहिए, जिसमें सही तरीके से गन्ने की खेती करें ताकि थोड़ा बीज हो। किसी भी शोध संस्थान से जब आपको नई वैराइटी मिलती है उसको शोधित करे और सही टेक्निक से बोइए कोई रोग न हो कीट न लगे, और फिर जब प्लाट तैयार हो जाये तो फिर बीज़ को बढ़ा कर खेतों में बोइए, इससे आने वाले सालों में साफ और शुद्ध स्वस्थ बीज मिल जायेगा जिससे आपका खर्चा बचेगा और फसल बढ़िया होगी।

सूखे खेत की करें हमेशा जुताई

जब हम खेत की तैयार करते हैं, तो बहुत गहरी जुताई की ज़रूरत नहीं होती। क्योंकि इसमें कम गहरी नालियाँ बनाई जाती हैं। इसके लिए आपको भारी उपकरणों की जरूरत नहीं होगी, आप साधारण ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। और कोशिश करिए कि हमेशा सूखे खेत की जुताई हो और उसी सूखे खेत में बेड बनाने हैं।

गन्ने की बुवाई के लिए वर्टिकल विधि

जब आपकी नालिया बन जाएँगी तब आपको उन नालियों में पानी दौड़ाना है, जिसे बेड भींग जाएगा, नालियाँ गीली हो जाएँगी। वहाँ तक गीली होंगी जहाँ तक वर्टिकल बड लगानी है। वर्टिकल बड मैथड की बात करते हैं या फिर इसे पंजाब में फगवाड़ा मेथड भी कहते हैं। जब हम इसकी बात करते हैं तो इस मैथड में गन्ने की एक आँख की पूरी काटते हैं और एक आँख की पूरी को हम वर्टिकल तरीके से खड़ा गाड़ते हैं।

गन्ने को खड़ा गाड़ने के लिए जमीन में नाली होनी चाहिए, लेकिन नाली में न गाड़ते हुए उसका एक बेड बनाया जाता है। जो नाली के किनारे की ऊंची मिट्टी होती है। उसे बेड बोलते हैं, नाली के साथ इन्हीं बेड पर गन्ने को गाड़ देते हैं।

उचित दूरी पर करें गन्ने की बुवाई

गन्ने की फसल में विशेष तौर पर उचित दूरी की ज़रूरत है, जो आम ट्रेडिशनल तरीका है, उसमें बीज बहुत ज्यादा लगता है। अगर आपको भी यही लगता है कि जितना बीज डालेंगे उतना उत्पादन होगा, तो आप गलत हैं। इसलिए एक उचित दूरी पर बीज लगाएँ, जिससे पौधे को बढ़ने की सही जगह मिल जाएगी।

सही खाद का करें इस्तेमाल

बेड लगाने के बाद ज़रूरत के अनुसार आपको खाद देनी है, आपने खेत की तैयारी करते समय अवशेष को रहने दिया तब भी आपको गोबर की खाद डालनी चाहिए। अगर नहीं कर पाए हैं तो आखिरी जुताई से एनपीके का मिश्रण डालना चाहिए।

इन तरीकों से होगी पानी की बचत

सबसे महत्वपूर्ण है जिसका आपको ध्यान देना है वो है पानी, तो जब गन्ने की बुवाई की इस विधि का इस्तेमाल करते हैं तो समझिए 70 से 75 प्रतिशत पानी की बचत हो जाती है। गन्ने की फसल में जब आम तौर पर आम किसान पानी लगाते हैं तो उसको एक एकड़ में चार से पाँच घंटे लगते हैं।

जबकि इस विधि से बुवाई करने पर एक घंटे से डेढ़ घंटे में एक एकड़ की सिंचाई हो जाती है। इससे पानी की बचत तो होती ही है, अगर आप इसे करके देखेंगे पता चलेगा कि कम पानी लगाने से गन्ने की फसल में रोग भी कम लगते हैं।

गन्ने की फसल स्वस्थ रहती है तो आपके बाकी के खर्चे बचते हैं। अगर आप प्रॉपर मैनेजमेन्ट करते रहेंगे तो आपकी ये सब चीज़े बचत की सीढियाँ हैं, जिसे आप चढ़ते जाएँगे तो लागत कम रहेगी और उत्पादन अच्छा होगा। आपका मुनाफा अपने आप बढ़ जायेगा।

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