युवा किसान ने शुरू किया नर्सरी का ऑनलाइन कारोबार

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नंदिनी त्रिपाठी, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

महराजगंज(उत्तर प्रदेश)। गाँव में कोई व्यवसाय शुरू करने के बाद सबसे बड़ी परेशानी बाजार की आती है, इस किसान ने नर्सरी की शुरूआत की और आज ऑनलाइन बाजार में अपने पौधे बेच रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के निचलौल तहसील के बैदौली गाँव में रहने वाले बृद्धिचन्द ने कुछ साल पहले फलदार पौधों की नर्सरी शुरू की। थोड़ी जमीन और थोड़ी सी पूंजी के सहारे शुरू उसका यह उद्यम देखते ही देखते देश के तमाम हिस्सों सहित नेपाल तक में फैल गया। क्षेत्र-जवार से देश भर में इस कारोबार के फैल सकने को मुमकिन बनाया है ऑनलाइन बाजार ने। इससे सिर्फ उसकी खुद की आर्थिक स्थिति में ही सुधार नहीं है बल्कि रोजगार के मौके भी निकले।

वो बताते हैं, “कुछ साल पहले उन्होंने 18 डिसमिल जमीन पर फलदार पौधों की नर्सरी शुरू की। वहां तैयार पौधों को वह पड़ोसी गाँवों में फेरी कर बेचता था। इससे काम भर की ही कमाई हो पाती थी। वह भी मौसमी। फिर फूलों की भी नर्सरी शुरू की। फिर भी काम मजेदार नहीं बन पाया। तब मेरे दोस्त अरुनव मणि त्रिपाठी ने एक आइडिया दिया और ग्रीन इंडिया हाईटेक नर्सरी के नाम से ऑनलाइन विज्ञापन शुरू कर दिया।”

ऑनलाइन बाजार के नतीजे भी अच्छे आने लगे। मांग इस कदर बढ़ने लगी कि 17 डिसमिल एक दूसरी जमीन पर पॉली हाउस बनाकर खेती शुरू करनी पड़ी। अब आलम यह है कि गेंदा, गजनी, बिगोनिया, डाल फ्लावर, फास्टर बर्निया, डहेलिया, चमेली, रातरानी, चमेली, मोगरा और कैक्टस के फूल और पौधों सहित बोतल पॉम, सन ऑफ इंडिया, मिनी चांदनी, लूटा बास, पीला साइकस, मोरपंख, सदाबहार आम, लीची, चीकू, जामुनी अमरूद, केजी अमरूद, संतरा, रूद्राक्ष, कपूर, कल्पवृक्ष, लौंग और इलायची के पौधे हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल सहित नेपाल तक में अपनी मांग बढ़ाते जा रहे हैं।

विदेश होने की वजह से नेपाल के निवासी बैदौली गांव आकर फल, फूल, और अपनी पसंद के पौधे ले जाते हैं। इससे वृद्धिचंद अब खासा उत्साहित हैं। वो बताते हैं, “पहले सिर्फ मेरी पत्नी मदद करती थीं। अब कुछ और लोगों को भी काम पर लगाना पड़ा है। इसी की कमाई से पक्का घर बनाया और दूसरे जरूरी साधन किया। मैंने बागवानी नाम से एक यूट्यूब चैनल भी बनाया है।

बृद्धिचन्द की पौधशाला से गुजरात के ग्राहकों ने रुद्राक्ष के पौधे की अधिक मांग की है। यहां के ग्राहक सदाबहार आम के पौधों (हर मौसम में फलने वाला) की भी मांग करने लगे हैं। हरियाणा व दिल्ली में आम की इस प्रजाति के साथ केजी बेर और गरम मसाला के पौधों की मांग है। राजस्थान के ग्राहक कल्पवृक्ष व गरम मसाला के पौधों की मांग करते हैं।

बृद्धिचन्द बताते हैं कि ग्रीन हाउस से गर्मी में पौधों पर सीधी धूप नहीं लगती है। तापमान मेंटेन रहने से पौधे सूखते नहीं हैं। हर मौसम में पौधों की देखरेख होती रहती है। 

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