लखनऊ। मौसम ने फिर करवट ली है। देश के कई इलाकों में बारिश हुई है तो यूपी कानपुर और हरियाणा के हिसार में बड़े-बड़े ओले पड़े हैं। दिल्ली-एनसीआर में झमाझम बारिश के बाद पारा लुढ़क गया है। सर्दी के मौसम में हुई बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं।
शुक्रवार की रात यूपी समेत कई राज्यों में बारिश हुई। कानपुर के मैथा ब्लॉक में बड़े-बड़े ओले भी पड़े हैं। गांव कनेक्शन रिपोर्र्टर के मुताबिक यहां 10-12 मिनट तक ओले पड़े। बृहस्तिवार की शाम और रात को हुई बारिश से गेहूं, चना, मटर, अरहर समेत रबी की दूसरी तमाम फसलों को फायदा हो सकता है। हालांकि ये बारिश आलू की फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। बारिस का सिलसिला पंजाब और हरियाणा में भी चलता। हरियाणा में हिसार समेत कई जगहों पर ओले पड़े हैं। केंद्रीय मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले 2-3 दिन ऐसी ही स्थिति रहेगी। शुक्रवार को मौसम साफ रहेगा लेकिन शनिवार को एक और पश्चिमी विक्षोभ आएगा।
गेहूं में इस वक्त कल्ले निकलने का समय है, तो इस बारिश से बहुत फायदा होगा। तामपान कम होने से ज्यादा कल्ले बनेंगे और आगे चलकर दाने ज्यादा और स्वस्थ होंगे। पिछले दिनों तापमान लगातार 24-25 डिग्री पहुंच रहा था जो फसलों केलिए नुकसान दायक था।
डॉ. एसपी सिंह, कृषि उपनिदेशक, बाराबंकी
बारांबंकी के कृषि उपनिदेशक डॉ. एसपी सिंह बताते हैं, गेहूं के लिए वरदान है ये बारिश, “पिछले कई दिनों से दिन का तापमान 24-25 डिग्री तक पहुंच जा रहा था जो नुकसानदायक था, इस वक्त गेहूं में कल्ले फूट रहे हैं, अगर 10 दिन यही हाल रहता तो बालियां बन जातीं, यानी पैदावार कम होती, लेकिन अब तामपान कम होगा गेहूं को अपनी तरह से बढ़ने का मौका मिलेगा।” प्रदेश में 80 फीसदी कृषि जमीन में लभगभ गेहूं है तो किसानों के लिए फायदा ही कहेंगे, हां मसूर और चना जैसी फसलों में नुकसान जरुर हो सकता है।”
सीतापुर में कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दयाशंकर श्रीवास्तव भी इस पानी को गेहूं की फसल के लिए अमृत बताते हैं। गेहूं, गन्ना, समेत तमाम दूसरी फसलों के लिए ऊपर से बरसा पानी काफी लाभदायक है लेकिन अगर चना और मसूर जैसी फसलों में पानी रुक गया तो समस्या हो सकता है, आलू में भी पानी नालियों में जमने न दें, पानी रुका को समस्या हो सकता है।”
ये बारिश किसानों के लिए अच्छी है, गेहूं की फसल को बहुत फायदा होगा। लेकिन दलहनी फसलों और आलू आदि में किसान पानी न रुकने दें, सरसों में माहू लगने का खतरा बढ़ सकता है तो किसान सावधान रहें और खेतों की निगरानी करते रहें।
डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव, फसल सुरक्षा वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सीतापुर
वो आगे बताते हैं, “इस बारिश से सरसों के फूल गिर सकते हैं तो माहू जैसे रोग भी लग सकते हैं, तो किसान खेत की बराबर निगरानी करें और एक भी कीड़ा दिखे तो मौमस साफ होने के बाद कीटनाशी डालें।“
कन्नौज में करीब 11 घंटे रुक-रुक कर हुई बारिश
कन्नौज। कन्नौज में गुरुवार की रात करीब 10 बजे से जिले में रिमझिम बारिश का सिलसिला शुरु हुआ जो सुबह नौ बजे तक चलता रहा। कृषि जानकारों और किसानों के मुताबिक गेहूं में फायदा होगा, लेकिन आलू की नाली में पानी लगा तो नुकसान हो सकता है। हालांकि शहर के लोगों की समस्या बढ़ गई, जगह-जगह पानी भर गया। जिला कृषि अधिकारी नीरज रान का कहना है कि जिन फसलों में फूल आ गया है उनको नुकसान होगा। सरसों में भी नुक्सान होगा अगर उसमे फूल लगा है। बारिश से फूल झड़ जाता है। दोबारा लगता है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगता है। फसल देर से होती है। उन्होंने बताया कि गेहूं के आलावा दलहनी फसलों को फायदा होगा। उद्यान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह का कहना है, “बारिश से आलू में झुलसा रोग लग सकता है। अगर मौसम ऐसे ही 2-3 दिन और रहा तो नुकसान ज्यादा होगा। खुदाई भी प्रभावित होगी।” किसान नर्सरी को पॉलीथिन से ढक लें और पानी निकास की व्यवस्था करें। हालाँकि बड़े पैमाने पर बारिश से बचत कम ही हो सकती है।
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