मार्च-अप्रैल के महीने में धूप तेज होने और हवाओं के चलने से गेहूँ की फ़सल को खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है, भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह जारी की है।
पानी बचाने और लागत कम करने के लिए खेतों की समय पर और सही तरीके से सिंचाई करें।
सिंचाई से पहले मौसम पर नजर रखें और बारिश का पूर्वानुमान होने पर सिंचाई से बचें ताकि अधिक पानी की स्थिति से बचा जा सके।
पीला, भूरा या काला रतुआ संक्रमण के लिए फसल की नियमित निगरानी करें और नजदीकी संस्थान, एसएयू या केवीके से परामर्श करें।
संरक्षण कृषि में, सिंचाई से ठीक पहले यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करनी चाहिए।
सिंचाई में रखें इन बातों का ध्यान
गेहूं की फसल में ज़रूरत के हिसाब से तब सिंचाई करें जब हवा की गति कम हो, कोशिश करें की शाम के समय ही सिंचाई करें, ताकि फसल को गिरने से बचाया जा सके।
यदि तापमान में 3 दिनों से अधिक समय तक लगातार और उच्च वृद्धि होती है, तो फूल आने (एन्थेसिस) के बाद 0.2% म्यूरेट ऑफ पोटाश (200 लीटर पानी में 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) या 2% पोटेशियम नाइट्रेट (200 लीटर पानी में 4 किलोग्राम पोटेशियम नाइट्रेट) पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें।

दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान के उत्तरी भागों में, उच्च तापमान वाले दिन दोपहर 2:00 से 2:30 बजे के आसपास एक घंटे के लिए छिड़काव सिंचाई की जा सकती है।
पीले, भूरे और काले रतुआ के लिए सलाह
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ), भूरा या काला रतुआ का कोई भी प्रकोप होने पर नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें। यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में रतुआ का प्रकोप देखते हैं और इसकी पुष्टि करते हैं, तो प्रोपिकोनाजोल 25इसी का एक छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। एक लीटर पानी में एक मिली रसायन मिलाया जाना चाहिए और इस प्रकार 200 मिली फफूंदनाशक को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव किया जाना चाहिए।
किसानों को फसल पर तब छिड़काव करना चाहिए जब मौसम साफ हो, यानी बारिश ओस आदि न हो।
एफिड के लिए सलाह
गेहूँ में लीफ एफिड (चेपा) पर लगातार नजर रखें। अगर लीफ एफिड की संख्या आर्थिक नुकसान के स्तर (ईटीएलः 10-15 एफिड/टिलर) को पार कर जाती है, तो क्विनालफॉस 25% इसी का इस्तेमाल करें। 400 मिली क्विनालफॉस को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें।
कटाई के लिए सलाह
जिन क्षेत्रों में फसल पक चुकी है, खासकर प्रायद्वीपीय क्षेत्र और सीमित सिंचाई की स्थिति में, वहां कंबाइन रीपर का उपयोग करके कटाई की जानी चाहिए। यदि फसल की कटाई हाथ द्वारा की जानी है, तो उसे थ्रेसिंग के लिए इष्टतम नमी तक सुखाया जाना चाहिए।