लखनऊ। बागवानी क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आम, अमरूद और केले की खेती का क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़ाने के लिए काम करने जा रही है।
प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से प्राप्त होने वाले सकल घरेलू उत्पादन को को 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।’ उन्होंने बताया कि बागवानी फसलों से किसान अधिक लाभ कमा सकें इसके लिए निजी संस्थाओं को निवेश के लिए प्रदेश में बुलाया जाएगा। बागवानी फसलों में निजी क्षेत्र सहभागिता बढ़ाई जाएगी। उत्तर प्रदेश में मौजूदा खरीफ सीजन में 1048 हेक्टेयर में टिश्यूकल्चर केला और 37500 हेक्टेयर में आम और अमरूद के नए बागों में पौधा कराने की तैयारी की जा रही है।
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उत्तर प्रदेश में बागवानी क्षेत्र से प्राप्त होने वाले सकल घरेलू उत्पादन को को 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
राजीव कुमार, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश
किसान परंपरागत फसलों की जगह बागवानी करके आम, अमरूद और केले की खेती कर सकें इसके लिए किसानों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में अभी 263275 हेक्टेयर में आम, 486978 हेक्टेयर में अमरूद और 55342 हेक्टेयर में केले की खेती होती है लेकिन अब इस क्षेत्रफल को बढ़ाया जाएगा। प्रदेश में अभी सालाना 4512705 मीट्रिक टन आम और 914360 मीट्रिक टन अमरूद का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में अभी सालाना 914360 मीट्रिक टन केले का उत्पादन होता है। यह उत्पादन दोगुना हो इसके लिए बागवानी विभाग की तरफ से 23 जिलों के 1500 हेक्टेयर में टिश्यू कल्चर विधि से केला उत्पादन की योजना बनाई भी चलाई जा हरी है, जिसमें किसानों को उनकी कुल लागत पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है।
प्रदेश के बावानी को बढ़ाने के लिए बागवानी क्षेत्र के विशेषज्ञों की प्रदेश के प्रगतिशील किसानों के साथ बैठकें भी आयोजित कराई जाएंगी। किसानों को पोस्ट हार्वेस्ट प्रबन्धन के बारे में भी विभाग की तरफ से जानकारी दी जाएगी।
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उत्तर प्रदेश के किसानरों को इन्टरक्रॉपिंग और मिश्रित खेती को अपनाने के लिए एग्रो क्लाइमेटिक जोन के अनुसारफसल-चक्र के माडल की जानकारी दी जाएगी।
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उत्तर प्रदेश के बागवानी किसान अपनी ऊपज का लाभ अधिक काम सकें इसके लिए राजकीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान को नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ फूड टेकनोलोजी एण्ड इण्टरप्रियोन्यरशिप मैनेजमेंट के सेटेलाइट केन्द्र के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। इकसे अलावा किसानों को औषधीय और सुगंध पौधों की खेती के लिए विभिन्न प्रजातियों को विकसित भी किया जाएगा।