लखनऊ/वर्धा। छत्तीसगढ़ के किसान गोपी कृष्ण का चने का खेत जो मंगलवार को सुबह तक हरा-भरा था, शाम होते होते वहां ओलों की कई इंच मोटी चादर जम गई थी। गोपीकृष्ण के मुताबिक भारी ओलावृष्टि से इलाके में चना, अरहर, टमाटर समेत कई फसलों को नुकसान हुआ है।
गोपी कृष्ण गांव कनेक्शन को अपने गांव और खेतों की कई तस्वीरें भेजते हैं जिसमें बर्फ की चादर नजर आ रही है। वो फोन पर बताते हैं, “मंगलवार की सुबह से बादल छाए थे लेकिन दोपहर करीब 3 से 4 बजे के बीच ओले गिरने लगे तो करीब एक घंटे तक गिरे। 10-25 सेंटीमीटर तक के ओले होंगे। मेरी करीब 3 एकड़ चने की फसल का नुकसान हुआ है। बाकी गेहूं अभी बोया था सो उसमें ज्यादा नुकसान नहीं है।” गोपी कृष्ण (44 वर्ष) छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के मेऊर में रहते हैं। जो छत्तीसगढ़ की राजधानी से करीब 200 किलोमीटर दूर है। छत्तीसगढ़ के कवर्धा, विलासपुर, रायगढ़, बालोद, जांजगीर-चांपा समेत कई जिलों में बारिश के सात ओलावृष्टि हुई।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में मंगलवार को भीषण ओलावृष्टि हुई। बारिश और ओलावृष्टि से अरहर, चना, टमाटर समेत कई फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
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मंगलवार से देश के कई राज्यों में बदले मौसम के चलते छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र और पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी मंगलवार को बारिश और ओलावृष्टि हुई। जबकि यूपी और दिल्ली समेत कई राज्यों में बारिश हुई है। महाराष्ट्र के वर्धा, अमरावती, औरंगाबाद, जलाना, नागपुर, भंडारा और अकोला के भी कई इलाकों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है।
महाराष्ट्र के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में गिरे ओले
वर्धा जिले में मंगलवार को दोपहर में भारी गरज और चमक के साथ ओलावृष्टि हुई। वर्धा में हिंगणघाट तालुका में गाड़ेगांव के किसान राजू गिरी (50 वर्ष) गांव कनेक्शन को बताते हैं, “वायुमंडल (मौसम) काफी बदला हुआ है। मंगलवार की दोपहर 5-7 मिनट तक ओले गिरे थे, ओले थे तो बेर के आकार के ही लेकिन तुअर की फसल को कटने को थी उसका नुकसान हुआ है। कपास में करीब 25 फीसदी का नुकसान है। बाकी आज (बुधवार) को भी हवामान ठीक नहीं है। देखते हैं क्या होता है।”
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक एक पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) चक्रवात पाकिस्तान के ऊपर बना हुआ है, वहीं दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थानी और उसके आसपास भी एक चक्रवात सक्रिय है, जिसके चलते कई राज्यों में मौसम बदला है। 30 दिसंबर के बाद मौसम फिर बदलेगा। जनवरी के पहले हफ्ते से पश्चिमी राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, बिहार समेत कई राज्यों को कड़ाके की ठंड और कोहरे का सामना करना होगा। भारत मौसम विभाग दिल्ली में वैज्ञानिक असीम मित्रा कहते हैं, “मौसम अब ठंडा होने वाला है। 31 दिसंबर से लेकर 2 जनवरी तक पश्चिमी राजस्थान में शीतलहर चल सकती है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में न्यूनतम तापमान में कमी आएगी और शीतलहर की आशंका रहेगी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे में कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. कृपाण घोष कहते हैं, “महाराष्ट्र से ज्यादा ओलोवृष्टि छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में हुई है लेकिन बारिश की बात करें तो रबी की फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं है। इस मौसम में 20-30 मिलीमीटर की बारिश फसलों के लिए अच्छी है।
डॉ. घोष गांव कनेक्शन को बताते हैं, “महाराष्ट्र में अमरावती, नागपुर, भंडारा, बुंदाना, अकोला के अलावा औरंगाबाद और जालना में ओलावृष्टि हुई है। इसके अलावा पश्चिमी मध्य प्रदेश में जबलपुर और छिंदवाड़ा में कई जगह ओले गिरे हैं। छत्तीसगढ़ में कबर्धा, सरगुजा, बलोदा, कबीरधाम, रायपुर, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा में ज्यादा ओलावृष्टि की खबर है। 29 दिसंबर को झारखंड और पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा के कुछ इलाकों में ओलावृष्टि की संभावना है। 30 दिसंबर को ओले की आशंका खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा मौसम एक दो दिन और बना रह सकता है।”
महाराष्ट्र में मंगलवार को आकाशीय बिजली गिरने से अमरावती के मोहाड़ी तहसील के घुसाला गांव में 12 साल के बच्चे और एक बौल की मौत हो गई। वहीं ततेगांव दशासर में 42 साल के किसान गजानन बापूराव मेढ़े की जान चली गई। वहीं आकाशीय बिजली की ही चपेट में आने से अकोला जिले के मौजा करला निवासी किसान राजेश जीवन मोहरिया (52 वर्ष) की खेत में ही मौत हो गई। वहीं पश्चिमी मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा और जबलपुर में मंगलवार को ओलावृष्टि हुई जबकि बडवानी समेत कई जिलों में मौसम बिगड़ा हुआ है।
मौसम की जानकारी और अपडेट मौसम विभाग के अधिकारिक वीडियो में देखिए
गेहूं की फसल के लिए अच्छी है बारिश- कृषि वैज्ञानिक
जबलपुर में जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोनॉमी (Agronomy) के हेड प्रो. वी.वी. उपाध्याय कहते हैं, “बारिश से गेहूं समेत किसी अनाज की फसल को बिल्कुल नुकसान नहीं है, किसान की एक सिंचाई बच गई। ऊपर का पानी पौधे के सीधे ऊपर पड़ता है, वो अमृत जैसा होता है। लेकिन जहां ओला गिरा है वहां नुकसान है। दलहनी और तिहलनी फसलों के लिए ये नुकसान दायक है। मटर आदि फलियां पट सकती है. पौधे जमीन पर गिर सकते हैं, जिसका असर उत्पादन और क्वालिटी दोनों पर पड़ेगा। ओला जब पिघलता है उस जगह का तामपान और कम हो जाता है, उससे पौधों की जड़ों को भी नुकसान हो सकता है।”
गिरते मौसम को गेहूं समेत दूसरी फसलों के उत्पादन के लिए बेहतर मानते हैं। प्रो. उपाध्याय कहते हैं, ” जितनी ठंड बढ़ेगी और जितना लंबे समय तक रहेगी गेहूं समेत अनाज वाली फसलों के लिए उतना ही लाभकारी है। अगर फसल पकने के दौरान मौसम गर्म होने लगा, तामपान बढ़ने लगा तो फोर्स मैत्युरिटी यानि पौधा जल्द से जल्द अपना जीवन चक्र पूरा करना चाहता, जिससे उत्पादन गिर जाता है।”
अपनी बात को वो सरल करते हुए कहते हैं, जहां जहां किसान धान काटकर गेहं बोता है वहां अमूमन 10-15 की देरी हो जाती है। ऐसे में अगर ठंड मार्च तक खिंच जाए तो लेट वाला गेहूं भी अच्छा होगा। पिछले 2-3 वर्षों से मैं लगातार देख रहा हूं कि सीजन 10-15 दिन पीछे शिफ्ट हो रहा है। ऐसे में ये सर्दी अच्छा संकेत है।”
बुंदेलखंड में बांदा जिले के किसान राहुल अवस्थी (35वर्ष) ने बुधवार को अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा, ” इस बार ईश्वर ने अमता बरसा दिया, फसलों की रंगत ही बदल गई। किसान खुश है, इसी तरह किसानों के चेहरों पर प्रशन्नता बनी रहे।” राहुल ने अपने खेतों में मटर, गेहूं और सरसों की खेती की है। बुंदेलखंड जैसे इलाकों के लिए ये बारिश काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
ये मौसम रोग लगने का है-कृषि वैज्ञानिक
बारिश और ओले से भले फसलों को कम या न्यूनतम नुकसान हुआ हो लेकिन ये मौसम कई फसलों में रोग लगने के लिए एकदम मुफीद है। न्यूनतम तापमान में गिरावट, कोहरा, बदली और आद्रता कई तरह के रोगों को पनपने और कीड़ पतंगों के लिए अनुकूल होती है। उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र कटिया-2 के प्रभारी अध्यक्ष और पादप रक्षा वैज्ञानिक डॉ.डी एस श्रीवास्तव कहते हैं, दहलनी और सब्जी वाली फसलों के लिए थोड़ा मुश्किल समय है क्योंकि ये मौसम रस चूसक कीड़ों और बीमारियों के लिए अनुकूल है। झुलसा (Bacterial blight), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery mildew), पत्तियों में उकठा और पौधों में सड़न-गलन का रोग लग सकता है। तो इस मौसम में बीमारियों का प्रकोप ज्यादा होगा।”
आलू और केला समेत दूसरी सब्जियों को इन बीमारियों और कीटों से कैसे बचाए जाए? इस पर डॉ. डी एस श्रीवास्तव कहते हैं, “आलू समेत दूसरी फसलों के आसपास शाम को थोड़ा धुआं कर दें। फसलों पर उपलों की राख का छिड़काव करते रहे। और सुरक्षा के लिए इमिडाक्लोप्रिड (IMIDACLOPRID)का पांच मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। फंफूदनाशी के लिए सल्फर (80 wdg)को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। वहीं केले की फसल में प्रॉपिकॉनाजोल (Propiconazole)2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। केले की फसल में इन दिनों सिगाटीका लीफ स्टॉप रोग तेजी से फैलता है। जककि दलहनी फसलों में कॉपर ऑक्सीक्लोराइडन 45 ग्राम का छिड़काव करना चाहिए।
मिर्च किसानों की छड़कने तेज
मौसम के बदले रुख से वो किसान भी परेशान हैं जिनको अपनी फसलें सुखानी हैं। मध्य प्रदेश के बडवानी में इन दिनों लाल मिर्च को सुखाने का काम जारी है। लेकिन सैकड़ों खेतों में लाल मिर्च नजर आ रही है लेकिन बदली देखकर किसान परेशान हैं। बडवानी के रेहगुन गांव के प्रगतिशील किसान अजय काग (45 वर्ष) फोन पर बताते हैं, “बारिश तो यहां नहीं हुई लेकिन बदली छाई है। समस्या ये है कि बड़े पैमाने पर मिर्च सुखाई जा रही है। अगर बारिश हुई तो ये मिर्च बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। 17-19 अक्टूबर को हुई भारी बारिश के दौरान मेरा कई टन माल खराब हो गया था। ऐसे ही सूखने को डाला था लेकिन बारिश में भीग गया। हम तो बस दुआ कर रहे हैं बारिश न हो।”
विदर्भ के किसानों पर लगातार प्राकृतिक मार
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में पड़ने वाले वर्धा के किसानों के मुश्किल वक्त है। भारी बारिश के चलते यहां खरीफ सीजन की फसलें पहले ही खराब हो चुकी हैं और अब मंगलवार की बारिश और ओलावृष्टि ने रबी सीजन की फसलों पर भी खतरा मंडरा दिया है। बेमौसम बारिश से यहां कपास और तुअर का नुकसान हुआ है। यमवतमाल जिले से आई तस्वीरों में नजर आ रहा है कैसे ओले गिरने से पेड़ कि सिर्फ फलियां ही नहीं टहनियां तक टूट गई हैं। वर्धा में मंगलवार को नअल्लीपुर, कापसी, कानगांव, नांदगांव, कोर्सला परिसर में जोरदार बारिश हुई।
यहां के किसानों के मुताबिक प्राकृतिक संकट उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। पिछले साल किसानों ने खरीफ मौसम में जोरों से तैयारी की थी। खेत में अच्छी फसल लहरा रही थी। इसी दौरान हुई बेमौसम बारिश के कारण कपास पानी में भीग गया। कुछ कपास नीचे गिरकर मिट्टी में मिल गया। सोयाबीन की फसल व काटकर ढेर लगाया सोयाबीन सड़ गया था। इसके कारण उत्पादन में गिरावट आने से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। रबी के मौसम में भी उत्पादन नहीं होने से आर्थिक लाभ नहीं मिला। इस वर्ष मानसून की बारिश ने समय से पहले जिले में दस्तक दी। इसके कारण किसानों ने पुरानी मुश्किलों को भुलाकर उधार व्यवहार और साहूकारों से कर्जलेकर कपास और सोयाबीन बोया था लेकिन फसलों के अंकुरित होने के वक्त फिर बारिश हो गई। जिसके चलते किसानों को दोबारा बुवाई करनी पड़ी। जिसमें पैदावार अच्छी नहीं हुई थी। अब रबी के सीजन में मौसम के बदले रुख से चना, कपास, गेहूं, प्याज के किसान परेशान हैं।
30 दिसंबर के लिए मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग के मुताबिक बदला हुआ मौसम कई और दिन बना रह सकता है, हालांकि ओलावृष्टि की आशंका 30 दिसंबर के बाद नहीं है लेकिन छिटपुट बारिश का दौर कई जगह जनवरी के पहले हफ्ते में भी दिख सकता है। मौसम विभाग ने 30 दिसंबर के लिए अलग-अलग राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया है।
ऑरेज अलर्ट– पूरा पंजाब, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी राजस्थान में कोल्ड वेब (शीत लहर ) चल सकती है, इसके अलावा घना कोहरा भी छाया रहेगा।
यलो अलर्ट- हरियाणा, चंड़ीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, मेघायल, अरुणचालय प्रदेश, जिसमें बाकी जगहों पर भारी कोहरे की संभावना जताई गई है जबकि असम मेघायल और अरुणचाल प्रदेश में तूफान और बिजली कड़कने की आशंका जताई गई है। तमिलनाडु और पुंडुचेरी में गरज के बाद बारिश हो सकती है। देश के बाकी हिस्सों में मौसम साफ रहेगा।
इनपुट- चेतन बेले, वर्धा, महाराष्ट्र