लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में धान की कटाई शुरू हो गई है। यानी बाज़ार में कुछ ही समय में नया चावल आने वाला है, जो आप की थाली में भी दिखेगा। लेकिन क्या आपको पता है कि धान कैसे खेत में उगाया जाता है और फिर कैसे चावल बन कर आपकी थाली तक पहुंचता है? कैसे खेतों में पौध लगाई जाती है और फिर कैसे होती है? उसकी कटाई और फिर मढ़ाई। चलिए हम तस्वीरों के ज़रिए आप को दिखाते हैं खेत से थाली तक धान की यात्रा।
रायबरेली के एक गाँव में नर्सरी में धान की पौध तैयार करने के बाद खेतों में धान की रोपाई करती महिलाएं।
सीतापुर ज़िले के मामपुर बाना गाँव के एक खेत में धान के फसल की निराई करता किसान।
धान की अच्छी बढ़त और पैदावार के लिए जरुरी है कि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बनी रहे, जिसके लिए समय-समय पर यूरिया का छिड़काव किया जाता है।
अच्छी देखभाल के बाद लगभग चार महीने में धान की फसल तैयार होती है। लखनऊ ज़िले के बक्शी का तालाब ब्लॉक के अर्जुनगंज गाँव के पास अपने खेत में तैयार फसल को निहारता किसान।
धान की फसल काटने के बाद फसल को खेत में बिछा कर ट्रेक्टर की सहायता से मढ़ाई की जाति है, जिससे धान अलग हो जाता है।
ट्रेक्टर द्वारा मढ़ाई के अलावा किसान धान की फसल को पीट कर भी धान अलग करते हैं।
मढ़ाई के बाद धान को बाज़ारों तक पहुचाया जाता है। बक्शी का तालाब गल्ला मंडी में धान तौल करते किसान और व्यापारी।
तौल के बाद धान को कुटाई के लिए राइस मिलों तक पहुचाया जाता है।