किसानों को मिल रहा औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती का ज्ञान

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 13 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, हरियाणा, मेघालय, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड से आए 74 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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लखनऊ। किसान परंपरागत फसलों के साथ ही औषधीय और सगंध पौधों की खेती करके लाभ कमा सकते हैं। औषधीय पौधे लगाने से किसानों को मुनाफे के साथ-साथ भूमि कि उर्वरता शक्ति भी बढ़ेगी। किसानों को ऐसी ही जानकारी देने के लिए ‘एरोमा मिशन’ केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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परियोजना का उद्देश्य दूर-दराज के किसानों की आय को दुगुना करने के क्रम मे यह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 13 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, हरियाणा, मेघालय, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड से आए 74 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए मुख्य वैज्ञानिक एवं कार्यकारी निदेशक सीएसआईआर-सीमैप डॉ. आलोक कालरा ने कहा कि परंपरागत फसलों के फसल चक्र मे औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती का समावेश कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं।

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उन्होंने आगे कहा, “परंपरागत फसलों को जंगली जानवरों व मवेशियों से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, इस नुकसान की भरपाई औषधीय एवं सगंध फसलों की खेती अपनाकर कर सकते हैं। आप सीमैप में औषधीय फसलों के साथ-साथ सगंध फसलों पर भी समुचित जानकारी लेकर जाए और इस जानकारी को दूसरे किसानो से भी साझा करें ताकि ली गई जानकारी से दूसरे किसान भी लाभ ले सकें। डॉ. कालरा ने सभी प्रतिभागियों को सीएसआईआर की परियोजना ‘एरोम मिशन’ के बारे में भी बताया।  

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