लखनऊ। सफलता न तो उम्र की मोहताज है न ही शिक्षा और न ही परिस्थितियों की, सही दिशा और जीवन मे कुछ खास करने की ललक इंसान को एक दिन मंजिल तक पहुंचा ही देती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही एक महिला के बारे में जिन्होंने अपने शौक के चलते न केवल करोड़ो का व्यापार खड़ा किया बल्कि औरों के लिए भी मिसाल बन गयी हैं।
लखनऊ जनपद मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर बख्शी का तालाब तहसील के सैदापुर गाँव की 63 वर्षीय शोभारानी यादव का 16 हजार वर्ग मीटर यानी चार एकड़ जमीन में पॉलीहाउस है, जिसमें शोभा जरबेरा की 16 किस्मों की खेती कर रही हैं।
साल 2012 में एक हजार वर्ग मीटर से की थी शुरुआत
शुरुआती दिनों की बात करने पर शोभा थोड़ा भावुक हो जाती हैं, शोभा ने बताती हैं, “मेरा घर हजरतगंज में है जब घर मे मैंने खेती करने की बात कही तो मेरे पति इसके बिल्कुल खिलाफ थे उन्होंने कहा कि ये जमीन ऊसर बंजर है, इसमें क्या होगा यहा से 20 किमी दूर है कैसे देखरेख होगी??”
शोभा आगे बताती हैं, “पति को मनाने के बाद पहले तो बेटे गौरव की मदद से जमीन को सही किया। फिर पहला प्रोजेक्ट नेट से सर्च करके विदेशी शिमला मिर्च का लगाया, लेकिन अभी यहां पर उसकी डिमांड कम है। इसके बाद जरबेरा की खेती शुरू की, फायदा हुआ तो साल दर साल बढ़ते हुए, पांच साल में 16 हजार वर्ग मीटर में पॉलीहाउस लगा दिया। यहां हमारे पास 12 एकड़ जमीन है तो प्रोजेक्ट आगे भी बढ़ेगा।”
जानिए पॉलीहाउस में जरबेरा की खेती का गणित
जिला उद्यान अधिकारी लखनऊ डीके वर्मा बताते हैं, “एक हजार वर्ग मीटर में पॉलीहाउस बनाने में करीब 11 लाख की लागत आती है और पौध रोपड़ में करीब छह लाख की लागत से दस हजार पौधे लग जाते हैं। दोनो में सरकार द्वारा 50 फीसदी अनुदान दिया जाता है एक बार पौधे लगाने के बाद ये पौधे तीन से पांच साल तक फूल देते हैं। औसत एक पौधे से 40 फूल मिलते हैं, एक फूल की कीमत सात से 12 रुपए के बीच में है। इस तरह अगर औसत देखा जाए तो साढ़े आठ लाख खर्च करके पहले साल को छोड़कर हर साल 25 से 28 लाख तक कि कमाई हो जाती है और पौध व पॉलीहाउस छोड़कर करीब दो लाख वार्षिक खर्च देख रेख में आता है।”
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वो आगे बताते हैं, “इस बार 2017-18 में 28 हजार वर्ग मीटर पॉली हाउस लखनऊ जिले में सरकार की तरफ से पास हुआ और जिले मे इसकी मांग बढ़ रही है।”
देखने लायक है शोभा का किचन गार्डन
शोभा रानी ने फार्म हाउस पर ही किचन गार्डन भी बना रखा है, जिसमें जैविक तरीके से गांठ गोभी, बंद गोभी, लौंग, काले रंग की मिर्च, एक ही पेड़ में हरे और नीले रंग की मिर्च, धनिया मूली, टमाटर जैसी सब्जियां भी ख़ुद प्रयोग के लिए उगा रही हैं।