पत्ता गोभी में फफूंद का ख़तरा बढ़ने पर करें ये उपाय

रायबरेली

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। पत्ता गोभी की फसल में बढ़ रहे फफूंद रोग से किसानों को फसल खराब हो जाने का डर सता रहा है। गोभी वर्गीय सब्जियों में फफूंद रोग की रोकथाम कैसे करें। यह बता रहे हैं चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित रायबरेली कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर शैलेन्द्र विक्रम सिंह।

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फफूंद रोग क्या है, इससे गोभी की फसल में क्या हानि होती है ?

फफूंद रोग अल्टरनेरिया ब्रैसिकी प्राजातियों के बैक्टीरिया के कारण फैलता है। यह रोग गोभी वर्गीय सब्जियों में आक्रमण करता है। यह फफूंद पत्तियों के निचली सतह में रहता है, जिसमें गहरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे एक साथ जुड़कर गोलाकार वृत बनाते हैं। यह गोल छल्ले भूरे धब्बों में दिखाई देते हैं, यह रोग पत्ता गोभी में बाद की अवस्था और फूल गोभी में प्रारम्भिक अवस्था में लगता है। इससे गोभी का फूल भूरा पड़ जाता है और धीरे-धीरे खराब हो जाता है।

गोभी में इस रोग को फैलने से रोकने लिए क्या करना चाहिए ?

अगर फसल पर सफेद फफूंद का लक्षण दिखाई दे तो तुरंत खेत की जुताई करें और मिट्टी की जांच करवा लें। इसका प्रकोप कम करने के लिए फफूंद नाशक-कार्बेन्डिजिम को 2.5ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने से फफूंद हट जाता है।

क्या गर्मी का मौसम गोभी वर्गीय फसलों के अनुकूल है। तेज़ी से बढ़ रही गर्मी के कारण फसल को क्या नुकसान होता है ?

गर्मी से गोभी की फसल को कोई खास नुकसान नहीं होता है। लेकिन अचानक गर्मी बढ़ने से पत्तों में पीलापन बढ़ने का खतरा होता है। फसल में कुछ भी विपरीत प्रभाव दिखाई दे तो तुरंत केवीके की मदद लें। अपने आप से कोई खाद न डालें।

क्या इस रोग को कम करने के लिए कोई जैविक इलाज नहीं है?

वैसे तो खेत की हल्की जुताई से यह रोग कम पड़ जाता है। लेकिन फसल की पुरानी और रोगग्रस्त पत्तियों को तोड़कर जला दें, तो यह तरीका इस रोग के प्रभावशाली नियंत्रण की तरह काम करता है।

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